मधेपुरा: जिले में गांवों में लोगों ने गोवर्धन पूजा की. इस दौैरन श्रद्धालुओं ने अपने मवेशियों को नहला-धुला कर विशेष साज सज्जा कर उसके गले मे घण्टियों का माला पहनाकर लाल और हरा रंग से उनके देह पर धारियां बनाकर सुख- समृद्धि की याचना की.
महिलाओं ने किया पुजन
इस अवसर पर महिलाओं ने गाय समेत सभी पशुओं के सिर पर सिंदूर, अक्षत, हल्दी और धूप-दीप से पूजा अर्चना करने के बाद पशुओं के पैर पर गंगाजल देकर नमन करते हुए सुख- समृद्धि की कामना की. इस बाबत पशुपालक धर्मेंद्र यादव का कहना है कि गाय को गंगाजल से नहलाकर घर की शादीशुदा महिलाएं पूजा अर्चना करती है. जिसके बाद मवेशियों को नया रस्सी पहनाकर घर में बनने वाला सबसे पहला आहार खिलाया जाता है. उन्होंने बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन दूध को नहीं बेचा जाता है, जो भी दूध होता उसको घर के ही लोग उपयोग करते है.
अन्नकूट के नाम से भी होती है पूजा
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. कई जगह लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं. बताया जाता है कि इस पूजा की शूरूआत भगवान श्री कृष्ण ने किया था. इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. बताया जाता है कि यह पूजा ब्रज से आरम्भ हुयी थी और धीरे धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हुई. इस दिन राजा बलि, अन्नकूट, मार्गपाली आदि उत्सव भी मनाएं जाते हैं.