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मधेपुरा: जिले के गांवों में धूमधाम से मनाई गई गोवर्धन पूजा, पशुपालकों ने मवेशियों को को गंगाजल से नहलाकर किया पूजन - भगवान श्री कृष्ण

इस अवसर पर महिलाओं ने गाय समेत सभी पशुओं के सिर पर सिंदूर, अक्षत, हल्दी और धूप-दीप से पूजा अर्चना करने के बाद पशुओं के पैर पर गंगाजल देकर नमन करते हुए सुख- समृद्धि की कामना की.

धूमधाम से मनाई गई गोवर्धन पूजा
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Published : Oct 29, 2019, 6:36 AM IST

मधेपुरा: जिले में गांवों में लोगों ने गोवर्धन पूजा की. इस दौैरन श्रद्धालुओं ने अपने मवेशियों को नहला-धुला कर विशेष साज सज्जा कर उसके गले मे घण्टियों का माला पहनाकर लाल और हरा रंग से उनके देह पर धारियां बनाकर सुख- समृद्धि की याचना की.

महिलाओं ने किया पुजन
इस अवसर पर महिलाओं ने गाय समेत सभी पशुओं के सिर पर सिंदूर, अक्षत, हल्दी और धूप-दीप से पूजा अर्चना करने के बाद पशुओं के पैर पर गंगाजल देकर नमन करते हुए सुख- समृद्धि की कामना की. इस बाबत पशुपालक धर्मेंद्र यादव का कहना है कि गाय को गंगाजल से नहलाकर घर की शादीशुदा महिलाएं पूजा अर्चना करती है. जिसके बाद मवेशियों को नया रस्सी पहनाकर घर में बनने वाला सबसे पहला आहार खिलाया जाता है. उन्होंने बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन दूध को नहीं बेचा जाता है, जो भी दूध होता उसको घर के ही लोग उपयोग करते है.

गाय की पूजा करती महिला
गाय की पूजा करती महिला

अन्नकूट के नाम से भी होती है पूजा
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. कई जगह लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं. बताया जाता है कि इस पूजा की शूरूआत भगवान श्री कृष्ण ने किया था. इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. बताया जाता है कि यह पूजा ब्रज से आरम्भ हुयी थी और धीरे धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हुई. इस दिन राजा बलि, अन्नकूट, मार्गपाली आदि उत्सव भी मनाएं जाते हैं.

धूमधाम से मनाई गई गोवर्धन पूजा

मधेपुरा: जिले में गांवों में लोगों ने गोवर्धन पूजा की. इस दौैरन श्रद्धालुओं ने अपने मवेशियों को नहला-धुला कर विशेष साज सज्जा कर उसके गले मे घण्टियों का माला पहनाकर लाल और हरा रंग से उनके देह पर धारियां बनाकर सुख- समृद्धि की याचना की.

महिलाओं ने किया पुजन
इस अवसर पर महिलाओं ने गाय समेत सभी पशुओं के सिर पर सिंदूर, अक्षत, हल्दी और धूप-दीप से पूजा अर्चना करने के बाद पशुओं के पैर पर गंगाजल देकर नमन करते हुए सुख- समृद्धि की कामना की. इस बाबत पशुपालक धर्मेंद्र यादव का कहना है कि गाय को गंगाजल से नहलाकर घर की शादीशुदा महिलाएं पूजा अर्चना करती है. जिसके बाद मवेशियों को नया रस्सी पहनाकर घर में बनने वाला सबसे पहला आहार खिलाया जाता है. उन्होंने बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन दूध को नहीं बेचा जाता है, जो भी दूध होता उसको घर के ही लोग उपयोग करते है.

गाय की पूजा करती महिला
गाय की पूजा करती महिला

अन्नकूट के नाम से भी होती है पूजा
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. कई जगह लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं. बताया जाता है कि इस पूजा की शूरूआत भगवान श्री कृष्ण ने किया था. इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. बताया जाता है कि यह पूजा ब्रज से आरम्भ हुयी थी और धीरे धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हुई. इस दिन राजा बलि, अन्नकूट, मार्गपाली आदि उत्सव भी मनाएं जाते हैं.

धूमधाम से मनाई गई गोवर्धन पूजा
Intro:मधेपुरा में पशुपालको द्वारा आज धूम धाम से गोबर्धन पूजा किया जा रहा है।इसमें महिलाओं द्वारा धार्मिक गतिविधियों के अनुरूप पूजा अर्चना मवेशियों का किया जा रहा है।Body:मधेपुरा में गोवर्धन पूजा धुम धाम से पशुपालक द्वारा मनाया गया।बता दें कि सदियों से हिन्दू रीति रिवाज के मुताबिक दीपावली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है।इस पूजा को लक्ष्मी पूजा भी कहा जाता है।जिसमे महिलाओं द्वारा गाय समेत सभी पशुओं के सर और सिंह में सिंदूर,अरवा धान, हल्दी लगाकर धूप दिखाया जाता है फिर पैर पर गंगाजल देकर घर के सभी सदस्य मवेशी को बारी बारी से नमन करते हैं।धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जिस तरह आदमी हर पर्व त्योहार में नए वस्त्र का धारण करते हैं उसी तरह हर साल खासकर गोवर्धन पूजा के दिन मवेशियों को बांधने बाली रस्सी को बदलकर नया रस्सी दिया जाता है और गले में घण्टी बाँधी जाती है।इसलिए गोवर्धन पूजा का सदियों से हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है।पशुपालक धर्मेंद्र यादव कहते हैं कि गाय को गंगाजल से स्न्नान कराकर घर के शादी शुदा महिलाओं के द्वारा पूजा अर्चना कराया जाता है।इसके बाद उन्हें नया रस्सी पहनाकर घर में बनने बाला खाना पहले मवेशी को खिलाया जाता है फिर घर के कोई सदस्य खाते हैं।उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा के दिन दूध को नहीं बेचा जाता है जो भी दूध होता उसको घर के ही लोग खाते हैं ।बाइट
1 धर्मेंद्र यादव पशुपालक।बाइट 2 पशुपालक।Conclusion:मधेपुरा से रुद्रनारायण।
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