ETV Bharat / state

अंधेरे में लाल पहाड़ी का सौंदर्यीकरण, पानी की तरह बहाया पैसा लेकिन नहीं बन सका पर्यटन स्थल

लखीसराय में बिहार सरकार के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बाद भी लाल पहाड़ी को अपना स्थान नहीं मिल सका है. अब तक हुई खुदाई में लाल पहाड़ी से कई बेशकीमती प्राचीन मूर्तियां मिली हैं. लेकिन लाल पहाड़ी अब तक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित नहीं (Lal Pahari could not be Developed) हो सकी है. यहां खुदाई की गई जगह समतल और घने जंगल जैसी हो गई है. पढ़ें पूरी खबर..

लखीसराय की लाल पहाड़ी
लखीसराय की लाल पहाड़ी
author img

By

Published : Apr 19, 2022, 6:37 PM IST

लखीसराय: बिहार के लखीसराय जिले की स्थापना 3 जुलाई 1994 में हुई थी, लेकिन लखीसराय का दुर्भाग्य है कि अबतक जिले में मौजूदा हालत नहीं बदले हैं. सरकारी आंकड़े के मुताबिक 2011 की जनगणना के मुताबिक लखीसराय की कुल आबादी 10,00,912 है, लेकिन अब चुनावी आंकड़ों के मुताबिक जनसंख्या कुल मिलाकर देखी जाए तो 14 लाख से अधिक है. इसके बाद भी लखीसराय में बायपास सड़क निर्माण को छोड़कर अन्य आसपास के जिलों को छोड़कर यहां का विकास काफी पीछे है.

ये भी पढ़ें- अधर में लटका क्रीमला पार्क का निर्माण कार्य, अधिकारियों की मिलीभगत से निकल गई लाखों की राशि

लाल पहाड़ी से मिल चुकी कई प्राचीन मूर्तियां: लखीसराय को दाल का कटोरा और दियारा में सब्जी का गढ़ माना जाता है. लखीसराय में सिंदुर का उत्पाद तक बड़े पैमाने पर किया जाता है जो कि दूरदराज तक प्रसिद्ध है. इसके बाद भी लखीसराय का विकास कम हुआ है. लखीसराय में राजा पालवंश की नगरी की कई प्राचीन मूर्तियां भी मिली हैं. इसका सीधा कनेक्शन मुगल साम्राज्य शासनकाल से जुड़ा है, जिसमें कई पहाड़ी क्षेत्रों में देखने को मिली है. इसी का एक हिस्सा लाल पहाड़ी है, जहां पत्थरों की मूर्तियों के अवशेष और कई प्रकार की मूर्तियां मिल चुकी हैं जो कि काफी बेशकीमती हैं. सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया था.

CM नीतीश भी कर चुके अवलोकन: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर लखीसराय में लाल पहाड़ी की खुदाई (Excavation of Lal Pahari in Lakhisarai) की गई थी, जिसमें करोड़ों का खर्च हुआ था. बाहरी वैज्ञानिकों ने भी लाल पहाड़ी का अवलोकन कर इसमें गहरा इतिहास छिपे रहने की बात कही थी. अधिकतम खुदाई के बाद बौद्धधर्म और ऐतिहासिक पाल वंश की कई मूर्तियां और अवशेष मिले थे. जिसे देखने के लिए लखीसराय की लाल पहाड़ी पर मुख्यमंत्री पहुंचे थे और अद्भुत मूर्तियों को परखा और उनके अवशेषों को जानने की कोशिश की थी.

करोड़ों खर्च के बाद खुदाई पर लगा ब्रेक: खुदाई के बाद लखीसराय को एक नया स्थान और पर्यटन स्थल (Tourist Destination in Lakhisarai) से भी लोग जानते पर इसकी खुदाई को विराम लग गया और आज की स्थिति ऐसी है कि खुदाई की गई जगह समतल और घने जंगल जैसी हो गई है, जिसे देखने पर जंगल ही कहा जा सकता है. बिहार सरकार ने करोड़ों रूपए इसकी खुदाई के लिए लगाए थे, लेकिन खुदाई पर विराम लगने से लखीसराय के लोग इसे भूलने पर मजबूर हैं.

लखीसराय की चारों दिशाओं में धार्मिक स्थान: जबकि लखीसराय में दो विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें एक लखीसराय तो दुसरा सूर्यगढ़ा विधानसभा है. वहीं नगर परिषद भी दो हैं, सात प्रखंड हैं जिसमें हलसी, सूर्यगढ़ा, रामगढ़, बड़हिया, लखीसराय, पिपरिया और चानन हैं. लखीसराय 50 किलोमीटर में सिमटा हुआ है. लखीसराय की चारों दिशाओं में अलग-अलग धार्मिक स्थान हैं. कई जगहों पर बौद्ध धर्म के अवशेष भी मिले हैं, जिसमें अशोकधाम इन्द्रदमेश्वर मंदिर, बड़हिया में मां जगत जननी भगवती मंदिर, पहाड़ी इलाकों में श्रृंगी ऋषि और जलप्पा स्थान हैं. रामपुर और अभयपुर में अभयनाथ स्थान, अभिपुर पर्वत, महारानी स्थान हैं. सूर्यगढ़ा में गोविंद बाबा स्थान, रामपुर और लखीसराय में मां दुर्गा स्थान हैं.

गौरतलब है कि लखीसराय को बड़े नेताओं से लेकर लेखकों तक, सांसद से लेकर विधायकों तक इस ओर कोई विशेष पहल नहीं की है, जबकि इस लखीसराय में नामी गामी नेताओं से लेकर लेखक के रूप में पंडित कार्यानंद शर्मा सामाजिक कार्यकताओं में से एक, राजेश्वर सिंह सांसद, श्रीकृष्ण सिंह विधायक, यदुबंस सिंह विधायक, उद्या देवी बिहार सरकार मंत्री, डॉक्टर कुमार विमल समाजसेवी और कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने जीवन के सभी क्षेत्रों में लखीसराय के इतिहास में एक जगह बनाई है. वर्तमान में विधायक विजय कुमार सिन्हा जो कि अभी विधानसभा अध्यक्ष भी हैं, सूर्यगढ़ के विधायक प्रह्लाद यादव हैं.

लखीसराय रेलवे स्टेशन से लूप लाइन और एनएच 80 से होकर गुजरती है. रेलवे मुख्य लाइन और लूप लाइन क्यूल जंक्शन पर एक दूसरे को पार करते हैं. इस संबंध में लखीसराय जिले के जिला अधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि बिहार सरकार की पहल पर लाल पहाड़ी की खुदाई शुरू कि गई थी, लेकिन इसकी खुदाई के बाद विराम सा लग गया है. नगर परिषद को साफ सफाई के लिए कहा गया था, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है.

''एक एनजीओ के माध्यम से भी इस बात को लेकर पहल की गई थी, लेकिन फंडिंग व्यवस्था नहीं होने के कारण लाल पहाड़ी की खुदाई से लेकर अन्य विकास कार्य में विराम लगा है, जबकि मिले अद्भुत अवशेष लखीसराय के नये म्यूजियम में रखने की बात सामने आई है. उम्मीद है कि लोग इसमें आगे आए और लाल पहाड़ी में मिले ऐतिहासिक धरोहर को बचाएं.''- संजय कुमार सिंह, जिला अधिकारी, लखीसराय

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

लखीसराय: बिहार के लखीसराय जिले की स्थापना 3 जुलाई 1994 में हुई थी, लेकिन लखीसराय का दुर्भाग्य है कि अबतक जिले में मौजूदा हालत नहीं बदले हैं. सरकारी आंकड़े के मुताबिक 2011 की जनगणना के मुताबिक लखीसराय की कुल आबादी 10,00,912 है, लेकिन अब चुनावी आंकड़ों के मुताबिक जनसंख्या कुल मिलाकर देखी जाए तो 14 लाख से अधिक है. इसके बाद भी लखीसराय में बायपास सड़क निर्माण को छोड़कर अन्य आसपास के जिलों को छोड़कर यहां का विकास काफी पीछे है.

ये भी पढ़ें- अधर में लटका क्रीमला पार्क का निर्माण कार्य, अधिकारियों की मिलीभगत से निकल गई लाखों की राशि

लाल पहाड़ी से मिल चुकी कई प्राचीन मूर्तियां: लखीसराय को दाल का कटोरा और दियारा में सब्जी का गढ़ माना जाता है. लखीसराय में सिंदुर का उत्पाद तक बड़े पैमाने पर किया जाता है जो कि दूरदराज तक प्रसिद्ध है. इसके बाद भी लखीसराय का विकास कम हुआ है. लखीसराय में राजा पालवंश की नगरी की कई प्राचीन मूर्तियां भी मिली हैं. इसका सीधा कनेक्शन मुगल साम्राज्य शासनकाल से जुड़ा है, जिसमें कई पहाड़ी क्षेत्रों में देखने को मिली है. इसी का एक हिस्सा लाल पहाड़ी है, जहां पत्थरों की मूर्तियों के अवशेष और कई प्रकार की मूर्तियां मिल चुकी हैं जो कि काफी बेशकीमती हैं. सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया था.

CM नीतीश भी कर चुके अवलोकन: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर लखीसराय में लाल पहाड़ी की खुदाई (Excavation of Lal Pahari in Lakhisarai) की गई थी, जिसमें करोड़ों का खर्च हुआ था. बाहरी वैज्ञानिकों ने भी लाल पहाड़ी का अवलोकन कर इसमें गहरा इतिहास छिपे रहने की बात कही थी. अधिकतम खुदाई के बाद बौद्धधर्म और ऐतिहासिक पाल वंश की कई मूर्तियां और अवशेष मिले थे. जिसे देखने के लिए लखीसराय की लाल पहाड़ी पर मुख्यमंत्री पहुंचे थे और अद्भुत मूर्तियों को परखा और उनके अवशेषों को जानने की कोशिश की थी.

करोड़ों खर्च के बाद खुदाई पर लगा ब्रेक: खुदाई के बाद लखीसराय को एक नया स्थान और पर्यटन स्थल (Tourist Destination in Lakhisarai) से भी लोग जानते पर इसकी खुदाई को विराम लग गया और आज की स्थिति ऐसी है कि खुदाई की गई जगह समतल और घने जंगल जैसी हो गई है, जिसे देखने पर जंगल ही कहा जा सकता है. बिहार सरकार ने करोड़ों रूपए इसकी खुदाई के लिए लगाए थे, लेकिन खुदाई पर विराम लगने से लखीसराय के लोग इसे भूलने पर मजबूर हैं.

लखीसराय की चारों दिशाओं में धार्मिक स्थान: जबकि लखीसराय में दो विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें एक लखीसराय तो दुसरा सूर्यगढ़ा विधानसभा है. वहीं नगर परिषद भी दो हैं, सात प्रखंड हैं जिसमें हलसी, सूर्यगढ़ा, रामगढ़, बड़हिया, लखीसराय, पिपरिया और चानन हैं. लखीसराय 50 किलोमीटर में सिमटा हुआ है. लखीसराय की चारों दिशाओं में अलग-अलग धार्मिक स्थान हैं. कई जगहों पर बौद्ध धर्म के अवशेष भी मिले हैं, जिसमें अशोकधाम इन्द्रदमेश्वर मंदिर, बड़हिया में मां जगत जननी भगवती मंदिर, पहाड़ी इलाकों में श्रृंगी ऋषि और जलप्पा स्थान हैं. रामपुर और अभयपुर में अभयनाथ स्थान, अभिपुर पर्वत, महारानी स्थान हैं. सूर्यगढ़ा में गोविंद बाबा स्थान, रामपुर और लखीसराय में मां दुर्गा स्थान हैं.

गौरतलब है कि लखीसराय को बड़े नेताओं से लेकर लेखकों तक, सांसद से लेकर विधायकों तक इस ओर कोई विशेष पहल नहीं की है, जबकि इस लखीसराय में नामी गामी नेताओं से लेकर लेखक के रूप में पंडित कार्यानंद शर्मा सामाजिक कार्यकताओं में से एक, राजेश्वर सिंह सांसद, श्रीकृष्ण सिंह विधायक, यदुबंस सिंह विधायक, उद्या देवी बिहार सरकार मंत्री, डॉक्टर कुमार विमल समाजसेवी और कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने जीवन के सभी क्षेत्रों में लखीसराय के इतिहास में एक जगह बनाई है. वर्तमान में विधायक विजय कुमार सिन्हा जो कि अभी विधानसभा अध्यक्ष भी हैं, सूर्यगढ़ के विधायक प्रह्लाद यादव हैं.

लखीसराय रेलवे स्टेशन से लूप लाइन और एनएच 80 से होकर गुजरती है. रेलवे मुख्य लाइन और लूप लाइन क्यूल जंक्शन पर एक दूसरे को पार करते हैं. इस संबंध में लखीसराय जिले के जिला अधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि बिहार सरकार की पहल पर लाल पहाड़ी की खुदाई शुरू कि गई थी, लेकिन इसकी खुदाई के बाद विराम सा लग गया है. नगर परिषद को साफ सफाई के लिए कहा गया था, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है.

''एक एनजीओ के माध्यम से भी इस बात को लेकर पहल की गई थी, लेकिन फंडिंग व्यवस्था नहीं होने के कारण लाल पहाड़ी की खुदाई से लेकर अन्य विकास कार्य में विराम लगा है, जबकि मिले अद्भुत अवशेष लखीसराय के नये म्यूजियम में रखने की बात सामने आई है. उम्मीद है कि लोग इसमें आगे आए और लाल पहाड़ी में मिले ऐतिहासिक धरोहर को बचाएं.''- संजय कुमार सिंह, जिला अधिकारी, लखीसराय

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.