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एक ही बिहार में दो हालात, एक तरफ बाढ़ का कहर तो दूसरी तरफ सूखे की मार - लखीसराय

जिले के किसान बारिश नहीं होने के कारण पंप सेट के जरिए धान की रोपनी कर रहे हैं. इस बार जिले में लक्ष्य से 8 प्रतिशत धान की रोपनी में कमी आयी है. जिले के नहरों में पानी नहीं है. जिसके कारण डीजल पंप सेट से किसान खेती करने पर मजबूर हैं.

लखीसराय में सूखे का संकट
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Published : Jul 17, 2019, 1:14 PM IST

लखीसराय: बिहार के 12 जिले बाढ़ से प्रभावित है. वहीं कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां कम बारिश के कारण धान की रोपनी प्रभावित हो रही है. लखीसराय में अब तक सामान्य से 50 फीसद कम बारिश हुई है. जिसका असर धान रोपनी पर दिख रहा है. किसान डीजल पंप सेट के जरिए धान की खेती करने के लिए मजबूर हैं.

सूखे की मार झेल रहा लखीसराय

औसत से 50 प्रतिशत कम हुई बारिश
जिले में इस बार काफी कम बारिश हुई है. हालांकि मानसून की सक्रियता के कारण माह के अंत में बारिश की संभावना है. कम बारिश की वजह से किसान दूसरे संसाधनों पर निर्भर हैं. वहीं जिले में कतरनी धान की रोपनी में काफी कमी आयी है. मई, जून और जुलाई के महीने में मानसून कमजोर रहा है. मानसून की बेरूखी के कारण लक्ष्य से लगभग 8% की कम खेती की जा रही है.

lakhisarai
खेत जुताई करते किसान

डीजल पंप सेट से हो रही खेती
हलसी के किसान मुकेश शाह ने बताया कि बारिश नहीं होने के कारण सिंचाई की समस्या है. पहले बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ों में की बुआई में देरी हुई. अब कम वर्षा से धान रोपनी में परेशानी है. डीजल पंप सेट से रोपनी करना महंगा पड़ रहा है. वही एक अन्य किसान अनूप मांझी ने बताया कि डीजल पंपिंग सेट से खेती करने के लिए मजबूर हैं.

lakhisarai
किसान

जिले में खेती का हाल

  • जिले में औसत से 50 प्रतिशत कम हुई बारिश
  • मई, जून और जुलाई में औसत से कम हुई बारिश
  • डीजल पंप सेट से खेती कर रहे किसान
  • कम बारिश से धान की रोपनी पर पड़ सकता है बुरा प्रभाव
  • बारिश के भरोसे जिले के किसान
  • कतरनी धान की रोपनी में भी कमी
  • सिंचाईं के लिए नहरों में पानी नहीं
  • लगभग 8% खरीफ की खेती में कमी

धान की फसल को क्यों जरूरी है पानी
धान की अच्छी पैदावार के लिए पौधे की जड़ों में कम से कम 1 इंच पानी की जरूरत होती है. धान की बालियां निकलने से पहले तक पौधों की जड़ों में नमी जरूरी होनी चाहिए. नमी नहीं होने के कारण पौधों का विकास रुक जाता है. खेतों की नमी की जगह दरारें पड़ जाती हैं. साथ ही पौधे पीले पड़ जाते हैं और फसल खराब हो जाती है.

लखीसराय: बिहार के 12 जिले बाढ़ से प्रभावित है. वहीं कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां कम बारिश के कारण धान की रोपनी प्रभावित हो रही है. लखीसराय में अब तक सामान्य से 50 फीसद कम बारिश हुई है. जिसका असर धान रोपनी पर दिख रहा है. किसान डीजल पंप सेट के जरिए धान की खेती करने के लिए मजबूर हैं.

सूखे की मार झेल रहा लखीसराय

औसत से 50 प्रतिशत कम हुई बारिश
जिले में इस बार काफी कम बारिश हुई है. हालांकि मानसून की सक्रियता के कारण माह के अंत में बारिश की संभावना है. कम बारिश की वजह से किसान दूसरे संसाधनों पर निर्भर हैं. वहीं जिले में कतरनी धान की रोपनी में काफी कमी आयी है. मई, जून और जुलाई के महीने में मानसून कमजोर रहा है. मानसून की बेरूखी के कारण लक्ष्य से लगभग 8% की कम खेती की जा रही है.

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खेत जुताई करते किसान

डीजल पंप सेट से हो रही खेती
हलसी के किसान मुकेश शाह ने बताया कि बारिश नहीं होने के कारण सिंचाई की समस्या है. पहले बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ों में की बुआई में देरी हुई. अब कम वर्षा से धान रोपनी में परेशानी है. डीजल पंप सेट से रोपनी करना महंगा पड़ रहा है. वही एक अन्य किसान अनूप मांझी ने बताया कि डीजल पंपिंग सेट से खेती करने के लिए मजबूर हैं.

lakhisarai
किसान

जिले में खेती का हाल

  • जिले में औसत से 50 प्रतिशत कम हुई बारिश
  • मई, जून और जुलाई में औसत से कम हुई बारिश
  • डीजल पंप सेट से खेती कर रहे किसान
  • कम बारिश से धान की रोपनी पर पड़ सकता है बुरा प्रभाव
  • बारिश के भरोसे जिले के किसान
  • कतरनी धान की रोपनी में भी कमी
  • सिंचाईं के लिए नहरों में पानी नहीं
  • लगभग 8% खरीफ की खेती में कमी

धान की फसल को क्यों जरूरी है पानी
धान की अच्छी पैदावार के लिए पौधे की जड़ों में कम से कम 1 इंच पानी की जरूरत होती है. धान की बालियां निकलने से पहले तक पौधों की जड़ों में नमी जरूरी होनी चाहिए. नमी नहीं होने के कारण पौधों का विकास रुक जाता है. खेतों की नमी की जगह दरारें पड़ जाती हैं. साथ ही पौधे पीले पड़ जाते हैं और फसल खराब हो जाती है.

Intro:लखीसराय जिले में 50 फीसद सामान्य से कम बारिश हुई। दो-तीन दिनों में यदि अच्छी बारिश नहीं हुई तो धान की खेती प्रभावित हो जाएगी और यदि बारिश होती है तो किसानों को धान की कम अवधि का प्रवेश का उपयोग करना चाहिए ।इसमें रबी फसल के प्रभावित होने की संभावना कब होगी ।
मई के अंत तक जो बारिश होती है वह किसानों को नर्सरी बीज में देते हैं स्थिति यह है कि जुलाई माह भी आधा बीत चुका है।


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सामान्य से भी कम बारिश होने पर किसानों को खेती करने में हो रही है परेशानी ,
----देर से हो रही है धान की खेती

anchor-- लखीसराय जिले में इस बार काफी कम बारिश हुई है। बारिश का समय अब एक-एक दिन निकल रहा है। बारिश नहीं होने से किसानों के चेहरे पर फसल उत्पादन की चिंता सताने लगी है । मई ,जून और जुलाई के महीने में बारिश नहीं होने और मानसून को कमजोर पड़ने से इस साल खरीफ की फसल करने में किसानों को काफी आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।
जिसके चलते इस बार किसानों ने लक्ष्य लगभग 8% कम खरीफ की खेती करने जा रही है।
खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान है । धान की रोपनी के समय भी मानसून धोखा दे रहा है और बारिश नहीं होने से किसानों को निजी पंप सेट में महंगे डीजल डालकर रोपनी करनी पड़ रही है।

लखीसराय जिले में 50 फीसद सामान्य से कम बारिश हुई। दो-तीन दिनों में यदि अच्छी बारिश नहीं हुई तो धान की खेती प्रभावित हो जाएगी और यदि बारिश होती है तो किसानों को धान की कम अवधि का प्रवेश का उपयोग करना चाहिए ।इसमें रबी फसल के प्रभावित होने की संभावना कब होगी ।
मई के अंत तक जो बारिश होती है वह किसानों को नर्सरी बीज में देते हैं स्थिति यह है कि जुलाई माह भी आधा बीत चुका है।

फसल के उत्पादन में उपयुक्त समय चाहिए डीजल पंपिंग सेट चला कर खेतों में पानी देने पर महंगा पड़ रहा है। बड़े किसानों द्वारा डीजल पंपिंग सेट के माध्यम से खेती की जा रही है सामान्य से कम बारिश होने से किसानों के बीच में मायूसी का माहौल है।

धान फसल को पानी की है जरूरत:
धान की अच्छी पैदावार के लिए पौधे के जड़ों में कम से कम 1 इंच पानी का रहना जरूरी है। धान की बलिया निकलने से पहले पौधे के जड़ों में गीली रहना जरूरी होता है। ऐसा नहीं होने से पौधे का ग्रोथ रुक जाता है । खेतों की नमी की जगह अब दरारे दिखने लगी है। साथ ही पौधे पीले पड़ सकते हैं।

औसत से 50% कम हुई बारिश:
लखीसराय जिले में इस बार काफी कम वर्षा हुई है मानसून के सक्रिय रहने से वर्ष जुलाई माह के अंत तक थोड़ी बारिश की संभावना है। हमारे यहां वर्षा का हाल 15 जून से 15 अक्टूबर तक माना जाता है इस बीच 15 जून से 15 सितंबर तक मानसून सक्रिय होता है उसके बाद मौसम अनुकूल रहने वह नक्षत्र के हिसाब से वर्षा होती है जिले में इस वर्ष सामान्य वर्षा पात फिर भी काफी कम बारिश हुई है इस साल औसत से 50% कम बारिश होने के कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

रबी फसल पर पड़ सकता है बुरा प्रभाव:
किसानों को उम्मीद के अनुसार नक्षत्र पर बारिश होने की संभावना बनी रहती है लेकिन इस साल कई ना छात्रों ने किसानों को दगा दे गया।

बारिश नहीं होने से उत्पादन पर पड़ सकता है असर:
बारिश कम होने से उत्पादन पर कुछ असर पड़ेगा अभी किसान अपने संसाधनों से सिंचाई कार्य में जुटे हैं भगवान पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।
कतरनी धान की रोपनी में कमी आई है ।कतरनी धान को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। किसानों के बीच काफी मायूसी का माहौल बना हुआ है। किसानों को गुणवत्ता सुधारने के लिए किसानों ने फसल नुकसान पहुंचने पर बीज निगम उसकी भरपाई करने की बात करती है लेकिन सिंचाई के लिए नहर में पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। और उस पर काफी कम बारिश होने के कारण किसान और भी परेशान है।

V,O 1,,, हलसी के किसान मुकेश शाह के अनुसार सामान्य से कम बारिश होने के साथ सिंचाई की व्यापक समस्या बना हुआ है। इसके कारण धान की बुआई में देरी हुई और कम बारिश होने के कारण किसानों के धान की सीधी बुवाई करने में परेशानी हो रही है । परंतु डीजल पंपिंग सेट चला कर कुछ किसानों द्वारा खेतों में बुआई कार्य शुरू किया गया है जो आम किसानों के लिए काफी महंगा साबित हो रहा है।

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V,O 2,, हसनपुर गांव के किसान अनूप मांझी ने बताया कि हम लोग पूरे परिवार के साथ डीजल पंपिंग सेट चला कर धान की मोरी को उखाड़ रहे हैं। बारिश कम होने के कारण अब किसानों को खेतों में गीली रखने के लिए पंपिंग सेट चलाकर ट्रैक्टर चलाया जा रहा है। उसके बाद धान की बुवाई की जाएगी।

byte,,,किसान अनूप मांझी


Conclusion:लखीसराय जिले में इस बार काफी कम वर्षा हुई है मानसून के सक्रिय रहने से वर्ष जुलाई माह के अंत तक थोड़ी बारिश की संभावना है। हमारे यहां वर्षा का हाल 15 जून से 15 अक्टूबर तक माना जाता है इस बीच 15 जून से 15 सितंबर तक मानसून सक्रिय होता है उसके बाद मौसम अनुकूल रहने वह नक्षत्र के हिसाब से वर्षा होती है जिले में इस वर्ष सामान्य वर्षा पात फिर भी काफी कम बारिश हुई है इस साल औसत से 50% कम बारिश होने के कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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