लखीसराय: बिहार के 12 जिले बाढ़ से प्रभावित है. वहीं कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां कम बारिश के कारण धान की रोपनी प्रभावित हो रही है. लखीसराय में अब तक सामान्य से 50 फीसद कम बारिश हुई है. जिसका असर धान रोपनी पर दिख रहा है. किसान डीजल पंप सेट के जरिए धान की खेती करने के लिए मजबूर हैं.
औसत से 50 प्रतिशत कम हुई बारिश
जिले में इस बार काफी कम बारिश हुई है. हालांकि मानसून की सक्रियता के कारण माह के अंत में बारिश की संभावना है. कम बारिश की वजह से किसान दूसरे संसाधनों पर निर्भर हैं. वहीं जिले में कतरनी धान की रोपनी में काफी कमी आयी है. मई, जून और जुलाई के महीने में मानसून कमजोर रहा है. मानसून की बेरूखी के कारण लक्ष्य से लगभग 8% की कम खेती की जा रही है.
डीजल पंप सेट से हो रही खेती
हलसी के किसान मुकेश शाह ने बताया कि बारिश नहीं होने के कारण सिंचाई की समस्या है. पहले बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ों में की बुआई में देरी हुई. अब कम वर्षा से धान रोपनी में परेशानी है. डीजल पंप सेट से रोपनी करना महंगा पड़ रहा है. वही एक अन्य किसान अनूप मांझी ने बताया कि डीजल पंपिंग सेट से खेती करने के लिए मजबूर हैं.
जिले में खेती का हाल
- जिले में औसत से 50 प्रतिशत कम हुई बारिश
- मई, जून और जुलाई में औसत से कम हुई बारिश
- डीजल पंप सेट से खेती कर रहे किसान
- कम बारिश से धान की रोपनी पर पड़ सकता है बुरा प्रभाव
- बारिश के भरोसे जिले के किसान
- कतरनी धान की रोपनी में भी कमी
- सिंचाईं के लिए नहरों में पानी नहीं
- लगभग 8% खरीफ की खेती में कमी
धान की फसल को क्यों जरूरी है पानी
धान की अच्छी पैदावार के लिए पौधे की जड़ों में कम से कम 1 इंच पानी की जरूरत होती है. धान की बालियां निकलने से पहले तक पौधों की जड़ों में नमी जरूरी होनी चाहिए. नमी नहीं होने के कारण पौधों का विकास रुक जाता है. खेतों की नमी की जगह दरारें पड़ जाती हैं. साथ ही पौधे पीले पड़ जाते हैं और फसल खराब हो जाती है.