ETV Bharat / state

दिव्यांगता को मात देकर बदरंग जिन्दगी में स्नेही ने भरे रंग, सैंकड़ों को दिलाया रोजगार

दिव्यांगता को मात देकर कूची से कई बदरंग जिन्दगी में ओम प्रकाश स्नेही ने भरे रंग. हिन्दी, भोजपुरी फिल्मों में कई शिष्य कर रहे हैं अपना नाम रौशन

author img

By

Published : Jun 12, 2019, 12:44 PM IST

ओम प्रकाश स्नेही

लखीसराय: जब कुछ कर गुजरने का जज्बा आपके अंदर में हो तो किसी भी प्रकार की मुश्किलें आपके रास्ते का बाधक नहीं बन सकता है. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है एक कलाकार ने.

आवाज के जादूगर दिव्यांग ओमप्रकाश स्नेही अपनी अद्भुत कला कौशल के बदौलत खुद की पहचान बनाई है. हिंदी साहित्य, गीत-संगीत, चित्रकला पेंटिंग एवं अन्य कला के क्षेत्र में खुद को स्थापित कर एक नई पहचान बनाई है. मुंगेर प्रमंडल के लखीसराय जिला अन्तर्गत नया बाजार स्थित गोपाल प्रसाद स्नेही के घर में 1955 ईसवीं में ओमप्रकाश स्नेही का जन्म हुआ.

दिव्यांग ओम प्रकाश स्नेही

घर वाले समझते थे नाकारा
जन्म से ही दिव्यांग होने के कारण घरवाले उन्हें नाकारा समझने लगे थे. इस नाकारेपन से लड़ने के लिए सर्वप्रथम स्कूल में पढ़ना शुरू किया. बुलंद हौसले के बदौलत छात्र जीवन से ही कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना शुरू किया. कड़ी मेहनत करते हुए गीत संगीत को बढ़ावा देने के लिए गीतांजलि नामक संस्था का निर्माण किया. इसके माध्यम से 24 बेरोजगारों को जोड़कर गीत-संगीत के विधा में परांगत कराया. कुछ ही दिनों में उन्होंने बोर्ड पेंटिंग, चित्रकला, साईन पेंटिंग करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे इस क्षेत्र से उनकी रोजी-रोटी चलने लगी.

दिव्यांग युवाओं का संगठन बना खोला निःशुल्क प्रशिक्षण केन्द्र
1970 की दशक में सैकड़ों दिव्यांग युवाओं की संगठन तैयार कर खूद के पैर पर खड़ा होने की का हौसला दिया. पेंटिंग का गुर सिखाने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण केन्द्र भी खोला. दोनों पैरो से दिव्यांग स्नेही ने अपने हौसले को कभी डिगने नहीं दिया. मुंगेर, जमुई, शेखपुरा, सिकंदरा, अलीगंज, झाझा और बेगूसराय शहर सहित अन्य शहरों में रोजमर्रा की जिन्दगी में सफलता हासिल किया है.

मन की बात को करते हैं हू-ब-हू नकल
स्नेही को आवाज के दुनिया से बहुत ही लगाव है. रेडियो व टीवी से इतना लगाव है कि पीएम के मन की बात को बखूबी अपनी आवाज से हूबहू नकल करना उनके शौक में शामिल है. स्नेही शहर में होने वाले सभी आयोजनों में सफल नंबर वन उद्घोषक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं. निःशुल्क गीत संगीत व पेंटिंग की विधा को सिखाकर स्वरोजगार को बढ़ावा देना इनकी सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा सकती है. कॉमर्शियल आर्ट, फाईन आर्ट में दो दर्जन से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित करने के बाद प्रशासन ने इन्हें कुशल पेंटर बाबू के खिताब से नावाजा है.

पेंटिंग में कई शिष्यों ने कमाया है नाम
इनके कई प्रतिभावान शिष्य मुंगेर प्रमंडल से लेकर पूरे बिहार में ख्याति प्राप्त किया है. इनके शिष्य रणवीर राम (पटना आर्ट कॉलेज) बिहार एवं उत्तर प्रदेश के वाराणसी आर्ट गैलरी में अपनी कुशल पेंटिंग के बदौलत गोल्ड मेडल प्राप्त कर चुका है.

lakhisarai
कलाकार ओम प्रकाश स्नेही
उनके शिष्यों में जमुई जिले के राजेश आर्टिको, सिकंदरा शहर में प्रताप कुमार, शेखपुरा में सुनील गुप्ता, लखीसराय में सुग्गन पेंटर, आदित्य कुमार, धीरज कुमार, मनोज आर्टिको, विजय पेंटर, सुरेश कुमार, मुन्ना भाई, प्रितम कुमार, बृजेश कुमार, केदार नाथ, संजय कुमार, रघुवीर, रुपेश कुमार, सरोवर पेंटर हैं. इन सभी को अपने कमाई के 25प्रतिशत आमदनी का रंग-पेंट खरीद कला का जौहर सिखाया जो आज पेटिंग के बदौलत आज गुरू का नाम रोशन कर रहे हैं.
om prakash lakhisarai
अपनी दास्तां सुनाते ओम प्रकाश स्नेही

फिल्म इंडस्ट्री में भी हैं कई शिष्य
इसके अलावे गीत और अभिनय के क्षेत्र में ललन ललित, मनोज मेहता, संतोष पांडे, चेन्नई कचरा को मुकाम दिलाया. वही हिन्दी,भोजपुरी फिल्मों में कॉमेडियन कलाकार के रूप में मनोज अलकतरा ने कई फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है.

कभी निराश नहीं रहता
इटीवी भारत से विशेष बातचीत में दिव्यांग ओमप्रकाश स्नेही कहते हैं कि बचपन से सोचता था कि कब तक अपने परिजनों के बीच बोझ बनकर रहूंगा. इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जीवन को सकारात्मकता जीने की आदत डाली. अब मैं कभी निराश नहीं रहता हूँ और ना ही किसी भी दूसरे व्यक्ति को निराश देखना चाहता हूं.
जीना तो है उसी का..जिसने जीने का राज जाना...
है काम आदमी का, औरों का काम आना...
स्नेही दिव्यांगों को आह्वान करते हुए कहते हैं कि आप आगे आइए हम आपके साथ हैं. कई दिव्यांग भाई पेंटिंग और कला के क्षेत्र में पारांगत हुए हैं. आगे भी ऐसे लोगों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहूंगा.

लखीसराय: जब कुछ कर गुजरने का जज्बा आपके अंदर में हो तो किसी भी प्रकार की मुश्किलें आपके रास्ते का बाधक नहीं बन सकता है. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है एक कलाकार ने.

आवाज के जादूगर दिव्यांग ओमप्रकाश स्नेही अपनी अद्भुत कला कौशल के बदौलत खुद की पहचान बनाई है. हिंदी साहित्य, गीत-संगीत, चित्रकला पेंटिंग एवं अन्य कला के क्षेत्र में खुद को स्थापित कर एक नई पहचान बनाई है. मुंगेर प्रमंडल के लखीसराय जिला अन्तर्गत नया बाजार स्थित गोपाल प्रसाद स्नेही के घर में 1955 ईसवीं में ओमप्रकाश स्नेही का जन्म हुआ.

दिव्यांग ओम प्रकाश स्नेही

घर वाले समझते थे नाकारा
जन्म से ही दिव्यांग होने के कारण घरवाले उन्हें नाकारा समझने लगे थे. इस नाकारेपन से लड़ने के लिए सर्वप्रथम स्कूल में पढ़ना शुरू किया. बुलंद हौसले के बदौलत छात्र जीवन से ही कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना शुरू किया. कड़ी मेहनत करते हुए गीत संगीत को बढ़ावा देने के लिए गीतांजलि नामक संस्था का निर्माण किया. इसके माध्यम से 24 बेरोजगारों को जोड़कर गीत-संगीत के विधा में परांगत कराया. कुछ ही दिनों में उन्होंने बोर्ड पेंटिंग, चित्रकला, साईन पेंटिंग करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे इस क्षेत्र से उनकी रोजी-रोटी चलने लगी.

दिव्यांग युवाओं का संगठन बना खोला निःशुल्क प्रशिक्षण केन्द्र
1970 की दशक में सैकड़ों दिव्यांग युवाओं की संगठन तैयार कर खूद के पैर पर खड़ा होने की का हौसला दिया. पेंटिंग का गुर सिखाने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण केन्द्र भी खोला. दोनों पैरो से दिव्यांग स्नेही ने अपने हौसले को कभी डिगने नहीं दिया. मुंगेर, जमुई, शेखपुरा, सिकंदरा, अलीगंज, झाझा और बेगूसराय शहर सहित अन्य शहरों में रोजमर्रा की जिन्दगी में सफलता हासिल किया है.

मन की बात को करते हैं हू-ब-हू नकल
स्नेही को आवाज के दुनिया से बहुत ही लगाव है. रेडियो व टीवी से इतना लगाव है कि पीएम के मन की बात को बखूबी अपनी आवाज से हूबहू नकल करना उनके शौक में शामिल है. स्नेही शहर में होने वाले सभी आयोजनों में सफल नंबर वन उद्घोषक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं. निःशुल्क गीत संगीत व पेंटिंग की विधा को सिखाकर स्वरोजगार को बढ़ावा देना इनकी सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा सकती है. कॉमर्शियल आर्ट, फाईन आर्ट में दो दर्जन से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित करने के बाद प्रशासन ने इन्हें कुशल पेंटर बाबू के खिताब से नावाजा है.

पेंटिंग में कई शिष्यों ने कमाया है नाम
इनके कई प्रतिभावान शिष्य मुंगेर प्रमंडल से लेकर पूरे बिहार में ख्याति प्राप्त किया है. इनके शिष्य रणवीर राम (पटना आर्ट कॉलेज) बिहार एवं उत्तर प्रदेश के वाराणसी आर्ट गैलरी में अपनी कुशल पेंटिंग के बदौलत गोल्ड मेडल प्राप्त कर चुका है.

lakhisarai
कलाकार ओम प्रकाश स्नेही
उनके शिष्यों में जमुई जिले के राजेश आर्टिको, सिकंदरा शहर में प्रताप कुमार, शेखपुरा में सुनील गुप्ता, लखीसराय में सुग्गन पेंटर, आदित्य कुमार, धीरज कुमार, मनोज आर्टिको, विजय पेंटर, सुरेश कुमार, मुन्ना भाई, प्रितम कुमार, बृजेश कुमार, केदार नाथ, संजय कुमार, रघुवीर, रुपेश कुमार, सरोवर पेंटर हैं. इन सभी को अपने कमाई के 25प्रतिशत आमदनी का रंग-पेंट खरीद कला का जौहर सिखाया जो आज पेटिंग के बदौलत आज गुरू का नाम रोशन कर रहे हैं.
om prakash lakhisarai
अपनी दास्तां सुनाते ओम प्रकाश स्नेही

फिल्म इंडस्ट्री में भी हैं कई शिष्य
इसके अलावे गीत और अभिनय के क्षेत्र में ललन ललित, मनोज मेहता, संतोष पांडे, चेन्नई कचरा को मुकाम दिलाया. वही हिन्दी,भोजपुरी फिल्मों में कॉमेडियन कलाकार के रूप में मनोज अलकतरा ने कई फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है.

कभी निराश नहीं रहता
इटीवी भारत से विशेष बातचीत में दिव्यांग ओमप्रकाश स्नेही कहते हैं कि बचपन से सोचता था कि कब तक अपने परिजनों के बीच बोझ बनकर रहूंगा. इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जीवन को सकारात्मकता जीने की आदत डाली. अब मैं कभी निराश नहीं रहता हूँ और ना ही किसी भी दूसरे व्यक्ति को निराश देखना चाहता हूं.
जीना तो है उसी का..जिसने जीने का राज जाना...
है काम आदमी का, औरों का काम आना...
स्नेही दिव्यांगों को आह्वान करते हुए कहते हैं कि आप आगे आइए हम आपके साथ हैं. कई दिव्यांग भाई पेंटिंग और कला के क्षेत्र में पारांगत हुए हैं. आगे भी ऐसे लोगों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहूंगा.

Intro:Lakhisarai l bihar

Slug...दिव्यांगता को मात देकर कूची से कई बदरंग जिन्दगी मे ओम प्रकाश स्नेही ने भरे रंग, दिव्यांगता नहीं बन सकी कोई भी कार्य में बाधक, हिन्दी साहित्य एवं संगीत के आलावे पेंटिंग मे किया महारत हासिल, सैकड़ों बेरोजगारों को कला और पेंटिंग के माध्यम से मुहैया कराई रोजगार

Cine.. दिव्यांग ओम प्रकाश स्नेही के द्वारा पेंटिंग कार्य करते हुए

रिपोर्ट..रणजीत कुमार सम्राट

Date..12 June 2019

Anchor...लखीसराय । आवाज के जादूगर दिव्यांग ओमप्रकाश स्नेही अपनी अद्भुत कला शक्ति के बदौलत हिंदी साहित्य ,गीत संगीत, चित्रकला पेंटिंग एवं अन्य कला के क्षेत्र में अपने आपको स्थापित कर नया पहचान दिलाई।
मुंगेर प्रमंडल के अन्तर्गत लखीसराय जिले के नया बाजार स्थित गोपाल प्रसाद स्नेही के घर मे 1955 ईसवीं मे जन्मे ओमप्रकाश स्नेही दिव्यांग रहने के कारण घरवालों ने उन्हे नाकारा समझने लगे थे।उन्होंने इस नाकारेपन को धिक्कारते हुए सर्वप्रथम स्कूल में पढना शुरू कर दिया।

और अपने बुलंद हौसले के बदौलत छात्र जीवन से ही कला के क्षेत्र में कूद गए। उन्होंने अपने कड़ी मेहनत कर गीत संगीत को बढ़ावा देने के लिए गीतांजलि नामक संस्था बनाए और उसमे 24 बेरोजगारों को जोड़कर गीत संगीत के विधा को सिखाया। कुछ ही दिनों में उन्होंने वोर्ड पेंटिंग ,चित्रकला, साईन पेंटिंग करना शुरू कर दिया। और धीरे धीरे इस क्षेत्र से उनकी रोजी रोटी चलने लगा।

1970 की दशक में ओमप्रकाश स्नेही ने सैकड़ों दिव्यांग युवाओं की संगठन तैयार किया और उन्हें खूद के पैर पर खड़ा होने की हिम्मत दिलवाया।
पेंटिंग का गुर सिखाने के उन्होंने निःशुल्क प्रशिक्षण केन्द्र भी खोला। दोनों पैरो से दिव्यांग स्नेही ने कभी भी अपने हौसले को झुकने नहीं दिया।
जिसमें 30- 40 हर तरह से बेरोजगार यूवको को रोजगार पूरक पेंटिंग सिखलाई। जो मुंगेर, जमुई,शेखपुरा, सिकंदरा, अलीगंज, झाझा और बेगूसराय शहर सहित अन्य शहरों में रोजमर्रा की जिन्दगी मे सफलता हासिल किया है।

आवाज की दुनिया में पहचान बनाना, रेडियो व टीवी से लगाव रखना, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी मन की बात को बखूबी अपनी आवाज से हूबहू नकल करना उनके शौक मे शामिल हैं। शहरों में होने वाली सभी तरह के आयोजनों में अपने उद्घोषणा से सफल व नम्बर वन उद्घोषक का मिशाल कायम किया है। निःशुल्क गीत संगीत व पेंटिंग की विधा को सिखाकर स्नेही जी ने स्वरोजगार को बढ़ावा दिया है। खासकर कामर्शियल आर्ट, फाईन आर्ट मे दो दर्जन से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित करने के बाद प्रशासन ने उन्हें कुशल पेंटर बाबू की खिताब से नावाजा।

बहीं इनके कई प्रतिभावान शिष्य मुंगेर प्रमंडल मे ही नहीं बल्कि सूबे बिहार में ख्याति प्राप्त किया है। जैसे रणवीर राम जो पटना आर्ट काँलेज बिहार, एवं उत्तर प्रदेश के वाराणसी आर्ट गैलरी में अपने कुशल पेंटिंग के बदौलत गोल्ड मेडल प्राप्त किया है।
उनके शिष्यों में जमुई जिले के राजेश आर्टिको, सिकंदरा शहर मे प्रताप कुमार, शेखपुरा मे सुनील गुप्ता, लखीसराय मे सुग्गन पेंटर, आदित्य कुमार, धीरज कुमार, मनोज आर्टिको, विजय पेंटर, सुरेश कुमार, मुन्ना भाई, प्रितम कुमार, बृजेश कुमार, केदार नाथ, संजय कुमार, रघुवीर, रुपेश कुमार, सरोवर पेंटर को अपने कमाई के 25प्रतिशत आमदनी का रंग पेंट खरीद कर उन्हें सिखाया जो आज पेटिंग के बदौलत सफल जिन्दगी जी रहा है।

गीत और अभिनय के क्षेत्र में ललन ललित, मनोज मेहता, संतोष पांडे, चेन्नई कचरा को मुकाम दिलाया। वहीं हिन्दी भोजपुरी फिल्मों में काँमेडियन कलाकार के रूप में मनोज अलकतरा को मुंबई से बननेवाली क ई फिल्मों में अभिनय के लोहा मनवाया।


V.O 1..इटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान दिव्यांग ओमप्रकाश स्नेही ने कहा कि बचपन से मै सोचता था कि ना जाने कब तक अपने परिजनों के बीच बोझ बना रहुंगा। आखिर कबतक इस दिव्यांगता के सहारे किसी दूसरों की दया पर जीवन जीने की मजबूरी बनी रहेगी। धीरे धीरे जीवन को सकारात्मकता के साथ देखने की आदत डाली और अब मै खूद कभी निराश नहीं रहता हूँ और नाही किसी भी दूसरे व्यक्ति को निराश देखना चाहता हूं।
जीना तो है उसी का,.जिसने जीने का राज जाना..।।
है काम आदमी का, औरों का काम आना..।।
आज मै तमाम दिव्यांगों को आह्वान करते हुए कहता हुँ आप आगे आओ हम तुम्हारे साथ है। आज कई दिव्यांग भाई पेंटिंग और कला के क्षेत्र में पारांगत होकर अपनी जीने की शैली में सुधार लाया है और आगे भी बैसे लोगों की मदद के लिए तैयार हूँ।

बाइट.ओमप्रकाश स्नेही.. पेंटर व कलाकार


Body:दिव्यांगता को मात देकर कूची से कई बदरंग जिन्दगी मे ओम प्रकाश स्नेही ने भरे रंग, दिव्यांगता नहीं बन सकी कोई भी कार्य में बाधक, हिन्दी साहित्य एवं संगीत के आलावे पेंटिंग मे किया महारत हासिल, सैकड़ों बेरोजगारों को कला और पेंटिंग के माध्यम से मुहैया कराई रोजगार


Conclusion:दिव्यांगता को मात देकर कूची से कई बदरंग जिन्दगी मे ओम प्रकाश स्नेही ने भरे रंग, दिव्यांगता नहीं बन सकी कोई भी कार्य में बाधक, हिन्दी साहित्य एवं संगीत के आलावे पेंटिंग मे किया महारत हासिल, सैकड़ों बेरोजगारों को कला और पेंटिंग के माध्यम से मुहैया कराई रोजगार
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.