लखीसराय: बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया में गंगा स्नान करने के लिए भारी मात्रा में महिला श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. जानकारी के मुताबिक आज के ही दिन भगवान शिव ने अपनी जटा से गंगा नदी का उत्पन्न किया था. बताया जाता है कि आज माघ माह की सप्तमी है. इसी कारण से भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ बड़हिया गंगा नदी के तट पर पहुंची है. यहां पर मौजूद कई लोगों ने गंगा स्नान करने के बाद पूजा अर्चना भी की.
ये भी पढ़ें: खगड़िया में मूर्ति विसर्जन को लेकर बवाल, पुलिस पर पथराव के बाद लाठीचार्ज
गंगा घाट पर उमड़ी भीड़: गंगा स्नान करने पहुंची श्रद्धालु किस्मत कुमारी ने बताया कि माघ मास के सप्तमी दिन कई लोग नमक को वंचित कर उपवास रखते है. वहीं कई महिला बिना नमक के खाना खाते हैं. उन्होंने बताया कि आज के दिन शिव की पूजा की जाती है. जबकि दूसरी महिला कुसम देवी ने बताया कि आज के दिन भगवान शिव ने अपने जटा से गंगा नदी को उत्पन्न किए और धरती पर विराजमान किए. इसी कारण से माघ सप्तमी को भगवान शिव-शंकर का पूजा पाठ किया जाता है. इस पूजा के पहले बेलपत्र, धतुरा फूल के साथ अकमन पत्ते को अपने सिर पर रखकर स्नान किया जाता है.
नर्मदा नदी का उद्भव: गौरतलब है कि पहले भी माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था. इसलिए इस दिन को नर्मदा जयंती या नर्मदा प्राकट्य दिवस के रूप में माना जाता है. नर्मदा के धरती पर आगमन को लेकर कई कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हुई है. एक प्रचलित मान्यता के अनुसार नर्मदा शिव की पुत्री है. जिन्हें अविनाशी होने के वरदान के साथ स्वयं भगवान शिव ने धरती पर भेजा था.
नर्मदा नदी की पौराणिक कहानियां:कई लोग यह भी कहते है कि अन्य मान्यताओं के अनुसार अमरकंटक की पहाड़ी पर ध्यान में लीन भगवान शंकर के पसीने की बूंदों से नर्मदा नदी का जन्म हुआ था. वहीं एक और कहानी के अनुसार राजा पुरूरव ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए भगवान शंकर की तपस्या की. पुरूरव की तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान ने वरदान मांगने के लिए कहा तो राजा ने नर्मदा को धरती पर भेजने का वरदान मांग लिया. वहीं भगवान शंकर के निर्देश पर नर्मदा स्वर्ग से धरती पर उतर गईं. यही कारण है कि नर्मदा को शंकरी नदी भी कहा जाता है.
'आज के दिन भगवान शिव ने अपने जटा से गंगा नदी को उत्पन्न किए और धरती पर विराजमान किए. इसी कारण से आज ही के दिन माघ महीने के सप्तमी को भगवान शिव-शंकर का पूजा पाठ किया जाता है. इस पूजा के पहले बेलपत्र, धतुरा फूल के साथ अकमन पत्ते को अपने सिर पर रखकर स्नान किया जाता है और भगवान शिव की आराधना स्वयं करते हैं'.- कुसम देवी, श्रद्धालु
ये भी पढ़ें: नहाय-खाय पर सिमरिया और झमटिया घाट पर उमड़ी भक्तों की भीड़