मुंगेर: राज्यभर में पिछले ढाई महीने से लागू लॉकडाउन के कारण जिले में फंसे गुब्बारे वालों के चेहरों पर अब चमक देखने को मिल रही है. ये लोग दूसरे राज्यों से बिहार पैसे कमाने आए थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण यहीं फंस गए. इनके पास कमाने का कोई साधन नहीं बचा. इस कारण इन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही थी. लेकिन, अनलॉक-1 में इन्होंने राहत की सांस ली है.
दरअसल, जिले के कासिम बाजार थाना क्षेत्र अंतर्गत सफियाबाद कृषि बाजार समिति के परिसर हर साल सितंबर महीने में दशहरा का मेला लगता है. इस मेले में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं पंजाब से सैकड़ों बंजारा परिवार गुब्बारा और खिलौना बेचने आते हैं. ये लोग इसी बाजार समिति के परिसर में अस्थाई तंबू लगाकर अपना आशियाना बना कर रहते हैं. ये लोग गांव-गांव, गली-गली घूमकर गुब्बारा बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. फिर अप्रैल के महीने में वापस चले जाते हैं.
लॉकडाउन के कारण फंस गया था परिवार
इस बार ये बंजारा परिवार दशहरा में आया था, लेकिन लॉकडाउन के कारण यहीं फंस गया. जो भी जमा पूंजी थी, वो सभी खत्म हो गई. इस क्रम में उत्तर प्रदेश के बालाजी ने बताया कि दुर्गा पूजा से लेकर होली तक तो घर-घर, गांव-गांव घूमकर हम लोग गुब्बारा बेच कर कुछ पैसे कमाए थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण यहीं रह गए और हमारे सारे पैसे भी खत्म हो गए. उन्होंने कहा कि हमलोगों की स्थिति बेहद खराब हो गई थी. किसी भी तरह हमलोगों ने अपना जीवन यापन किया.
गुब्बारा बेचकर चलाते थे घर
वहीं, राजस्थान के राजकुमार ने बताया कि जिस गांव में हम लोग गुब्बारा बेचकर अपना घर चलाते थे. उसी गांव में हम लोगों ने किसी प्रकार खाना मांग कर अपना गुजारा किया. अब अनलॉक-1 के तहत जो रियायतें मिली हैं, उससे हम काफी खुश हैं. अब हम लोग गुब्बारा बेच रहे हैं और लोग खरीदने भी आ रहे हैं.
राजकुमार ने बताया कि शहर के गांधी चौक, चंद्रशेखर आजाद चौक, पुरानी गंज, नंदलालपुर, संदलपुर इलाके में हम लोग घूम-घूमकर रंग-बिरंगे गुब्बारे बेचने लगे हैं. सभी लोग गुब्बारा खरीद भी रहे हैं. इस वजह से अब हमलोगों के परिवार का पोषण हो जाएगा.
सरकार से मदद की उम्मीद
हालांकि इन लोगों को अब डर सताने लगा है कि आगे भविष्य में क्या होगा? अभी पर्व-त्यौहार का मौसम नहीं है. घर परिवार बड़ा है. गुब्बारे बेचकर उतने पैसे नहीं आ पाते हैं, जितने में घर भी चले और दो पैसे की बचत भी हो जाए. ऐसे में घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है. इसलिए इन लोगों ने सरकार से मांग की है कि प्रशासन अगर वापस जाने का साधन मुहैया करा दे तो हम लोग घर चले जाएंगे.