लखीसरायः जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत रामपुर गांव पछयारी टोला में तालाब की खुदाई की गई थी. खुदाई के दौरान लगभग 1000 साल पुरानी काले पत्थर में भगवान बुद्ध की प्रतिमा मिली. इस काले पत्थर की लंबाई करीब ढाई फीट बताई जा रही है.
बता दें कि लखीसराय का अतीत काफी गौरवशाली रहा है. यहां भगवान गौतम बुद्ध के लाली पहाड़ी, काली पहाड़ी, रामसीर, बालगुदर, रजौना चौकी सहित कई इलाकों में आने के संकेत मिले हैं. जिला प्रशासन की ओर से इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के लिए कई बार राज्य सरकार को लिखा भी गया है. लेकिन सरकार की नकारात्मक रवैया के कारण इस क्षेत्र को बौद्ध सर्किट से नहीं जोड़ा जा सका है.
लोगों ने शुरू की पूजा पाठ
इस काले पत्थर की नक्काशी दार मंदिर के चारों ओर ऊपर और नीचे भगवान बुद्ध की 22 आकृतियां बनी हुई है. जिनमें से आठ आकृतियों के चेहरे टूटे हुए हैं. इस मूर्ति को दसवीं और बारहवीं शताब्दी के बीच होने का अनुमान लगाया जा रहा है. करीब ढाई फीट ऊंची और 1 फीट चौड़ी इस मंदिर नुमा बुद्ध की मूर्ति का वजन 46 किलो 400 ग्राम है.
क्या कहते हैं लोग
ग्रामीण नंदन कुमार के अनुसार दसवीं से बारहवीं शताब्दी में ऐसी मूर्तियां मंदिर के गुंबदों में लगाए जाते थे. जिसे मुगल काल में मुगल शासकों द्वारा तोड़ कर फेंक दिया गया था. उस काल के ढेरों बेशकीमती भगवान बुद्ध की मूर्तियां लखीसराय जिले के विभिन्न जगहों पर मिलती रही हैं.
सरकार को लिखा गया पत्र
भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुसार लखीसराय जिले के विभिन्न इलाकों में तालाब और कुओं की खुदाई के दौरान बेशकीमती गौतम बुद्ध की मूर्तियां मिल रही हैं. सरकार की ओर से अगर पहल की जाए तो इस ऐतिहासिक क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.