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तालाब की खुदाई में मिली 2.5 फीट की गौतम बुद्ध की मूर्ति - भगवान बुद्ध की प्रतिमा

जिला प्रशासन द्वारा इस इलाके को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के लिए कई बार राज्य सरकार को लिखा भी गया है. लेकिन सरकार की नकारात्मक रवैया के कारण इस क्षेत्र को बौद्ध सर्किट से नहीं जोड़ा जा सका है.

भगवान बुद्ध की प्रतिमा
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Published : Jun 23, 2019, 12:28 PM IST

लखीसरायः जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत रामपुर गांव पछयारी टोला में तालाब की खुदाई की गई थी. खुदाई के दौरान लगभग 1000 साल पुरानी काले पत्थर में भगवान बुद्ध की प्रतिमा मिली. इस काले पत्थर की लंबाई करीब ढाई फीट बताई जा रही है.

बता दें कि लखीसराय का अतीत काफी गौरवशाली रहा है. यहां भगवान गौतम बुद्ध के लाली पहाड़ी, काली पहाड़ी, रामसीर, बालगुदर, रजौना चौकी सहित कई इलाकों में आने के संकेत मिले हैं. जिला प्रशासन की ओर से इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के लिए कई बार राज्य सरकार को लिखा भी गया है. लेकिन सरकार की नकारात्मक रवैया के कारण इस क्षेत्र को बौद्ध सर्किट से नहीं जोड़ा जा सका है.

तालाब की खुदाई में मिली 2.5 फीट की गौतम बुद्ध की मुर्ती

लोगों ने शुरू की पूजा पाठ
इस काले पत्थर की नक्काशी दार मंदिर के चारों ओर ऊपर और नीचे भगवान बुद्ध की 22 आकृतियां बनी हुई है. जिनमें से आठ आकृतियों के चेहरे टूटे हुए हैं. इस मूर्ति को दसवीं और बारहवीं शताब्दी के बीच होने का अनुमान लगाया जा रहा है. करीब ढाई फीट ऊंची और 1 फीट चौड़ी इस मंदिर नुमा बुद्ध की मूर्ति का वजन 46 किलो 400 ग्राम है.

lakhisarai
भगवान बुद्ध की प्रतिमा

क्या कहते हैं लोग
ग्रामीण नंदन कुमार के अनुसार दसवीं से बारहवीं शताब्दी में ऐसी मूर्तियां मंदिर के गुंबदों में लगाए जाते थे. जिसे मुगल काल में मुगल शासकों द्वारा तोड़ कर फेंक दिया गया था. उस काल के ढेरों बेशकीमती भगवान बुद्ध की मूर्तियां लखीसराय जिले के विभिन्न जगहों पर मिलती रही हैं.

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भगवान बुद्ध की प्रतिमा

सरकार को लिखा गया पत्र
भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुसार लखीसराय जिले के विभिन्न इलाकों में तालाब और कुओं की खुदाई के दौरान बेशकीमती गौतम बुद्ध की मूर्तियां मिल रही हैं. सरकार की ओर से अगर पहल की जाए तो इस ऐतिहासिक क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.

लखीसरायः जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत रामपुर गांव पछयारी टोला में तालाब की खुदाई की गई थी. खुदाई के दौरान लगभग 1000 साल पुरानी काले पत्थर में भगवान बुद्ध की प्रतिमा मिली. इस काले पत्थर की लंबाई करीब ढाई फीट बताई जा रही है.

बता दें कि लखीसराय का अतीत काफी गौरवशाली रहा है. यहां भगवान गौतम बुद्ध के लाली पहाड़ी, काली पहाड़ी, रामसीर, बालगुदर, रजौना चौकी सहित कई इलाकों में आने के संकेत मिले हैं. जिला प्रशासन की ओर से इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के लिए कई बार राज्य सरकार को लिखा भी गया है. लेकिन सरकार की नकारात्मक रवैया के कारण इस क्षेत्र को बौद्ध सर्किट से नहीं जोड़ा जा सका है.

तालाब की खुदाई में मिली 2.5 फीट की गौतम बुद्ध की मुर्ती

लोगों ने शुरू की पूजा पाठ
इस काले पत्थर की नक्काशी दार मंदिर के चारों ओर ऊपर और नीचे भगवान बुद्ध की 22 आकृतियां बनी हुई है. जिनमें से आठ आकृतियों के चेहरे टूटे हुए हैं. इस मूर्ति को दसवीं और बारहवीं शताब्दी के बीच होने का अनुमान लगाया जा रहा है. करीब ढाई फीट ऊंची और 1 फीट चौड़ी इस मंदिर नुमा बुद्ध की मूर्ति का वजन 46 किलो 400 ग्राम है.

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भगवान बुद्ध की प्रतिमा

क्या कहते हैं लोग
ग्रामीण नंदन कुमार के अनुसार दसवीं से बारहवीं शताब्दी में ऐसी मूर्तियां मंदिर के गुंबदों में लगाए जाते थे. जिसे मुगल काल में मुगल शासकों द्वारा तोड़ कर फेंक दिया गया था. उस काल के ढेरों बेशकीमती भगवान बुद्ध की मूर्तियां लखीसराय जिले के विभिन्न जगहों पर मिलती रही हैं.

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भगवान बुद्ध की प्रतिमा

सरकार को लिखा गया पत्र
भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुसार लखीसराय जिले के विभिन्न इलाकों में तालाब और कुओं की खुदाई के दौरान बेशकीमती गौतम बुद्ध की मूर्तियां मिल रही हैं. सरकार की ओर से अगर पहल की जाए तो इस ऐतिहासिक क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.

Intro:लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत रामपुर गांव पछयारी टोला में जो तालाब की खुदाई की गई जिसमें खुदाई के दौरान काले पत्थर की भगवान बुद्ध की लगभग 1000 वर्ष पुरानी मूर्ति मिली है। लखीसराय का अतीत काफी गौरवशाली रहा है यहां भगवान गौतम बुद्ध लाली पहाड़ी, काली पहाड़ी , रामसीर, बालगुदर, रजौना चौकी सहित कई इलाकों में आने के संकेत मिले हैं जिला प्रशासन द्वारा इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के लिए कई बार राज्य सरकार को लिखा भी गया है ।लेकिन सरकार की नकारात्मक रवैया के कारण इस क्षेत्र को बौद्ध सर्किट से नहीं जोड़ा जा सका है।


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तालाब की खुदाई में बेशकीमती गौतम बुद्ध की मूर्ति, लोगों ने शुरू की पूजा पाठ

Anchor-- लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत रामपुर गांव पछयारी टोला में जो तालाब की खुदाई की गई जिसमें खुदाई के दौरान काले पत्थर की भगवान बुद्ध की लगभग 1000 वर्ष पुरानी मूर्ति मिली है। ढाई फीट के काले पत्थर की नक्काशी दार मंदिर के चारों ओर ऊपर और नीचे भगवान बुद्ध की 22 आकृतियां बनी हुई है लेकिन अभी सभी आठ आकृतियां के चेहरे टूटे हुए हैं। इस टेंपल विद्या मूर्ति के दसवीं और बारहवीं शताब्दी के बीच होने का अनुमान लगाया जा रहा है । मंदिर के चारों कोनों पर बने पिलर एवं मंदिर के ऊपर बना झूमर टूट चुके हैं। करीब ढाई फीट ऊंची और 1 फीट चौड़ी इस मंदिर नुमा बुद्ध की मूर्ति का वजन 46 किलो 400 ग्राम है। मंदिर बुद्ध की मूर्ति के नीचे कुछ लिखा हुआ है इसे अब तक नहीं पढ़ा जा सका है।

गांव के युवक नंदन कुमार के अनुसार यह मूर्ति दसवीं से बारहवीं शताब्दी के बीच की है। उस समय ऐसी मूर्तियां मंदिर के गुंबज में लगाया जाता था। जो मुगल काल में मुगल शासकों द्वारा इसे तोड़फोड़ कर जहां-तहां बिखेर दिया गया। उस काल मे काले पत्थर की भगवान बुद्ध की बेशकीमती ढेरों मूर्तियां लखीसराय जिले के विभिन्न जगहों पर मिलती आ रही है ।

Vis 1--रामपुर गांव के नजदीक रामसीर गांव में ऐसी मूर्तियां पहले भी मिल चुकी है जो आपके ग्रामीण के पास है। इस संदर्भ में लखीसराय जिला प्रशासन और सीओ इस बुद्ध की मूर्तियां लेने आए लेकिन तमाम ग्रामीण इसे हम लोग जाने नहीं दिया और आज से इसका पूजा-अर्चना शुरू कर दिया गया है।

byte _Nandan Kumar __स्थानीय लोग

Vis 2 रामपुर गांव की बुजुर्ग भागीरथ सिंह ने कहा कि रामपुर गांव सदियों से ऐतिहासिक सांस्कृतिक एवं भौगोलिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखता था आज एक तालाब की खुदाई के दौरान भगवान गौतम बुद्ध की मूर्ति मिलना इसका परिचायक है अगर इस मूर्ति की सुरक्षा नहीं होगी तो चोर चोरी कर सकते हैं सरकार इसकी सुरक्षा प्रदान करें।
byte-Bhagirath shingh,,, स्थानीय निवासी



Conclusion:भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुसार लखीसराय जिले के विभिन्न इलाकों में तालाब एवं कुओं की खुदाई के दौरान बेशकीमती गौतम बुद्ध की मूर्तियां मिल रही है । सरकार द्वारा अगर पहल की जाए तो इस ऐतिहासिक क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है।
परंतु जिला प्रशासन की क्रियाकलाप सही नहीं रहने के कारण लखीसराय जिले में निकलने वाले बेशकीमती मूर्तियां जहां-तहां बिखरा पड़ा है । जिससे पर्यटन के क्षेत्र में हो रहे विकास में बाधक बना हुआ है
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