किशनगंज: दिल्ली में स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किये गये पाकिस्तानी आतंकी अशरफ (Pakistani Terrorist Ashraf) के बारे में प्रतिदिन नया खुलासा हो रहा है. वह 2005 में बांग्लादेश के रास्ते किशनगंज आया. यहां आने पर कोई स्थानीय संपर्क नहीं मिलने पर अशरफ अजमेर गया और वहां रेहड़ी पर काम करने लगा. जहां उसने किशनगंज के एक युवक से दोस्ती कर ली और उसके साथ किशनगंज आ गया. जहां एक संरपंच की मदद से पहचान पत्र बनवाया. बड़ी चालाकी से आईएसआई को सूचना (Ashraf Send Information to ISI) भेजने के लिए वह ई-मेल का प्रयोग करता था.
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सूत्रों का कहना है कि वह सेना की गतिविधियों की रेकी कर सूचना आईएसआई को देता था. इकट्ठा की गयी जानकारी को भेजने के लिए नयी तकनीक का इस्तेमाल किया करता था. हैंडलर्स को जानकारी भेजने के लिए वह अपने जीमेल के ड्राफ्ट में मेल सेव कर देता था. वहीं, दूसरी तरफ जीमेल के ड्राफ्ट से वह जानकारी आईएसआई का एजेंट नासिर देखता था. पूछताछ में उसने जम्मू कश्मीर में हुई आतंक की 10 से 12 घटनाओं की रेकी करने की बात कबूल की है. जांच एजेंसियां पुलवामा हमले में अशरफ की भूमिका की भी जांच कर रही हैं.
बता दें कि दिल्ली के लोधी कॉलोनी स्थित स्पेशल सेल के ऑफिस में आतंकी अशरफ से लगातार पूछताछ की जा रही है. जम्मू-कश्मीर पुलिस, आईबी और एनआईए के अधिकारी उससे पूछताछ कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार जानकारी मिल रही है कि आतंकी अशरफ किशनगंज से पहचान पत्र बनवाने के बाद अजमेर गया और वहां से दिल्ली चला गया. किशनगंज में बने पहचान पत्र के आधार पर उसने दिल्ली में अपना दूसरा पहचान पत्र बनवाया और बिहार के वैशाली में तलाकशुदा महिला से शादी की. इसके बाद 2009 के अंत में आतंकी घटनाओं की साजिश रचने के लिए जम्मू-कश्मीर गया था.
आतंकी अशरफ के तार बिहार से जुड़ने के बाद पुलिस सतर्क हो गई है. बिहार पुलिस ने जांच में दिल्ली पुलिस को हरसंभव सहयोग देने के लिए कदम उठाया है. पुलिस मुख्यालय ने जांच में मदद के लिए एटीएस को दिल्ली पुलिस से संपर्क में रहने का निर्देश दिया है. हालांकि इस मामले में किशनगंज पुलिस के वरीय अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं.
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गौरतलब है कि किशनगंज जिला मुख्यालय से बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा की दूरी मात्र 21 किलोमीटर है. यहां से महज आधे घंटे में बाग्लादेश के सरहद पर आसानी से पहुंचा जा सकता है. सरहद के उस पार बांग्लादेश का ठाकुरगांव और दिनाजपुर शहर सटा हुआ है. घुसपैठी रात के अंधेरे मे तारबेड़ा को पार कर भारत मे घुसपैठ करते हैं. बीएसएफ की 24 घंटे की कड़ी निगरानी के बावजूद बांग्लादेशी घुसपैठी चोरी छिपे पश्चिम बंगाल से होकर किशनगंज में घुस जाते हैं.
इसके बाद किशनगंज मे आसानी से नकली परिचय पत्र बनाकर रहते हैं और देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं. किशनगंज जिला को बाग्लादेशी घुसपैठ सबसे सुरक्षित शरण स्थल मानते हैं. यहां पर शरण लेते ही कुछ दिनों के अदंर तथाकथित दलालों को मोटी रकम देकर प्रमाण पत्र भी बनवा लेते हैं. फर्जी प्रमाण पत्र किशनगंज में बनता हैं, इसकी पुष्टि इस बात से की जा सकती है किकुछ माह पहले एसडीएम ने एक कंप्यूटर दुकान मे छापेमारी कर नकली प्रमाण पत्र के साथ कई लोगों को गिरफ्तार किया था.