किशनगंज: जिले में सेवा शर्त की प्रति जलाकर शिक्षकों ने जोरदार विरोध किया. बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ, बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ, टेट-स्टेट उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ, बिहार स्टेट उर्दू टीचर एसोसिएशन जिला शाखा किशनगंज ने संयुक्त रुप से सरकार की ओर से लागू नई सेवा शर्त की प्रति को जला दिया. बता दें सारण, बेगूसराय, जमुई और शेखपुरा में भी शिक्षकों ने सेवाशर्त की प्रति जलाकर विरोध किया.
सेवा शर्त लागू करने की मांग
शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और नियमित शिक्षकों की तरह हूबहू नियोजित शिक्षकों के लिए सेवा शर्त लागू करने की मांग की. कार्यक्रम का नेतृत्व सभी संघीय जिला अध्यक्ष ने किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षकों ने कहा कि बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के घोर विरोधी हैं.
हितैषी बनने का ढोंग
कोर्ट के दबाव, नई शिक्षा नीति, आगामी चुनाव और शिक्षकों के विरोध का डर इन्हें सता रहा है. सरकार समाज में शिक्षकों के हितैषी बनने का ढोंग कर रही है. आगामी चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. सेवा शर्त में दिखने वाला हर लाभ आगामी समय में सरकार के कपट पूर्ण शर्तों के कारण शिक्षकों को अंश मात्र ही मिलेगा.
वृद्धि की घोषणा छलावा
शिक्षक संगठनों से बिना वार्ता के सेवा शर्त की घोषणा सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर करती है. संघीय नेतृत्वकर्ता ने कहा कि सरकार न्यायालय के दबाव में ईपीएफ और अनुकंपा की घोषणा तो की. लेकिन 15% वृद्धि की घोषणा छलावा है. चुनाव के पूर्व राज्यकर्मी का दर्जा नहीं मिला तो, शिक्षक हर हाल में नीतीश कुमार को पूर्व मुख्यमंत्री बना कर ही छोड़ेंगे.
क्या है नई सेवा शर्त
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव के पहले नियोजित शिक्षकों के लिए नई सेवा शर्त लागू कर दिया है. इसके तहत उन्हें अब सरकारी शिक्षकों की तरह कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना और अंतर-जिला स्थानांतरण का लाभ मिलेगा. अब नियोजित शिक्षकों को सिर्फ शिक्षक कहा जाएगा और वे कहीं भी ट्रांसफर ले सकते हैं.
इसके अनुसार, शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ ) का लाभ सितंबर, 2020 से ही दिया जाएगा. वहीं इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसका लाभ एक अप्रैल, 2021 से मिलेगा.
अनवरत चलेगा आंदोलन
शिक्षक ने कहा कि आज से अनवरत आंदोलन चलेगा. 78 दिनों के हड़ताल की अवधि में शहीद हुए शिक्षकों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी. शिक्षक अपने हक की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाएंगे और सरकार के भ्रामक अश्वासन में नहीं फंसेंगे. कार्यक्रम में नूरुल हक, इम्तियाज आलम, तोहिद काजमी, राजकुमार पासी, फनी भूषण प्रसाद, हरिहर प्रसाद, तनवीर आलम,बदर आलम आदि सहित दर्जनों शिक्षक उपस्थित रहे.