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CM Samadhan Yatra: छात्र को रोका तो ETV Bharat ने पूछा सवाल- सुनकर चौंक गए नीतीश कुमार, जानें क्या है मामला

बिहार के सीएम नीतीश कुमार समाधान यात्रा (CM Nitish Kumar Samadhan Yatra) पर हैं. फरवरी को सीएम किशनगंज पहुंचे थे, जहां जीएनएम एवं पैरा मेडिकल संस्थान में शिक्षकों की कमी के बारे में पूछा गया तो सीएम चौंक गए. वहीं जब छात्र इस समस्या को लेकर सीएम से मिलने पहुंचे तो उन्हें मिलने नहीं दिया गया. जानिए क्या है मामला....

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Published : Feb 4, 2023, 10:53 PM IST

किशनगंज में सीएम नीतीश कुमार

किशनगंजः बिहार के किशनगंज में समाधान यात्रा (Samadhan Yatra in Kishanganj) के तहत सीएम नीतीश कुमार पहुंचे थे. इस दौरान सीएम ने सरकारी जीएनएम एवं पैरा मेडिकल संस्थान में शिक्षकों की बहाली नहीं होने पर आश्चर्य किया. जब सीएम से पत्रकारों ने इस बारे में सवाल किया गया तो सीएम चौंक गए. उन्होंने तुरंत इस मामले को देखने का आदेश दिया. इधर शिक्षक नहीं होने की समस्या लेकर पहुंचे छात्र को सीएम से मिलने ही नहीं दिया गया.

यह भी पढ़ेंः Chirag Pawan On Nitish: CM नीतीश के पास किसी भी समस्या का समाधान 'लाठी', किसान से लेकर छात्रों पर..

"क्या, सरकारी जीएनएम एवं पैरा मेडिकल संस्थान शिक्षक नहीं है? ये क्या बोल रहे हैं जी, डीएम साहब? क्या सही में शिक्षक नहीं है. इसको देखिए क्यों नहीं है शिक्षक. ये लोग बो रहे हैं तो बात सही ही होगा. इस मामले में तुरंत कार्रवाई कीजिए." -नीतीश कुमार, सीएम, बिहार

छात्र को सीएम से मिलने से रोकः बता दें कि किशनगंज मे सरकारी जीएनएम एवं पैरा मेडिकल संस्थान खोला गया है, लेकिन उसमें पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं. जिससे विद्यार्थियों का भविष्य अंधेरे में है. शनिवार को जिले में सीएम आने की खबर सुनकर विद्यार्थी सीएम से गुहार लगाने जिला परिषद सभागार पहुंचे थे, लेकिन विद्यार्थियों का सीएम से मुलाकात नहीं हो पाया. विद्यार्थियों का आरोप है कि उन्हें वहां से हटा दिया गया और सीएम से मिलने नहीं दिया गया.

20 करोड़ की लागत बना है कॉलेजः शहर से 13 किमी दूर मोतिहारी गांव में 20 करोड़ की लागत से सरकारी जीएनएम व पैरा मेडिकल कॉलेज बना है. संस्थान में बीसीईसीईबी ने सत्र 2021-23 के लिए 69 छात्र- छात्राओं का नामांकन रेडियोलोजी व एनेस्थीसिया विभाग के लिए लिया था. लेकिन संस्थान में एक भी प्रोफेसर नियुक्त नहीं हैं. नामांकन के कुछ माह में ही विद्यार्थियों को संस्थान की हकीकत समझ में आ गई. शिक्षकों की बहाली नहीं होने का जबाव न तो सीएस के पास है न डीएम के पास.

सिर्फ प्रैक्टिकल करवाया जाताः इसी समस्या का समाधान के लिए छात्र सीएम से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें मिलने ही नहीं दिया गया. संस्थान के छात्र-छात्राओं ने बताया उन लोगों की थ्योरिटिकल पढ़ाई नहीं हुई है. सिर्फ सदर अस्पताल में उन लोगों से प्रैक्टिकल करवाया जाता है. संस्थान के छात्र-छात्राएं सदर अस्पताल में मानव बल की कर्मियों की कमी दूर करने का साधन मात्र बन कर रह गए हैं. अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के नाम की इंट्री करना, एक्सरे की रिपोर्ट बांटना व मरहम पट्टी करने वाले कर्मियों की सहायता करना इनका काम है.

किशनगंज में सीएम नीतीश कुमार

किशनगंजः बिहार के किशनगंज में समाधान यात्रा (Samadhan Yatra in Kishanganj) के तहत सीएम नीतीश कुमार पहुंचे थे. इस दौरान सीएम ने सरकारी जीएनएम एवं पैरा मेडिकल संस्थान में शिक्षकों की बहाली नहीं होने पर आश्चर्य किया. जब सीएम से पत्रकारों ने इस बारे में सवाल किया गया तो सीएम चौंक गए. उन्होंने तुरंत इस मामले को देखने का आदेश दिया. इधर शिक्षक नहीं होने की समस्या लेकर पहुंचे छात्र को सीएम से मिलने ही नहीं दिया गया.

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"क्या, सरकारी जीएनएम एवं पैरा मेडिकल संस्थान शिक्षक नहीं है? ये क्या बोल रहे हैं जी, डीएम साहब? क्या सही में शिक्षक नहीं है. इसको देखिए क्यों नहीं है शिक्षक. ये लोग बो रहे हैं तो बात सही ही होगा. इस मामले में तुरंत कार्रवाई कीजिए." -नीतीश कुमार, सीएम, बिहार

छात्र को सीएम से मिलने से रोकः बता दें कि किशनगंज मे सरकारी जीएनएम एवं पैरा मेडिकल संस्थान खोला गया है, लेकिन उसमें पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं. जिससे विद्यार्थियों का भविष्य अंधेरे में है. शनिवार को जिले में सीएम आने की खबर सुनकर विद्यार्थी सीएम से गुहार लगाने जिला परिषद सभागार पहुंचे थे, लेकिन विद्यार्थियों का सीएम से मुलाकात नहीं हो पाया. विद्यार्थियों का आरोप है कि उन्हें वहां से हटा दिया गया और सीएम से मिलने नहीं दिया गया.

20 करोड़ की लागत बना है कॉलेजः शहर से 13 किमी दूर मोतिहारी गांव में 20 करोड़ की लागत से सरकारी जीएनएम व पैरा मेडिकल कॉलेज बना है. संस्थान में बीसीईसीईबी ने सत्र 2021-23 के लिए 69 छात्र- छात्राओं का नामांकन रेडियोलोजी व एनेस्थीसिया विभाग के लिए लिया था. लेकिन संस्थान में एक भी प्रोफेसर नियुक्त नहीं हैं. नामांकन के कुछ माह में ही विद्यार्थियों को संस्थान की हकीकत समझ में आ गई. शिक्षकों की बहाली नहीं होने का जबाव न तो सीएस के पास है न डीएम के पास.

सिर्फ प्रैक्टिकल करवाया जाताः इसी समस्या का समाधान के लिए छात्र सीएम से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें मिलने ही नहीं दिया गया. संस्थान के छात्र-छात्राओं ने बताया उन लोगों की थ्योरिटिकल पढ़ाई नहीं हुई है. सिर्फ सदर अस्पताल में उन लोगों से प्रैक्टिकल करवाया जाता है. संस्थान के छात्र-छात्राएं सदर अस्पताल में मानव बल की कर्मियों की कमी दूर करने का साधन मात्र बन कर रह गए हैं. अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के नाम की इंट्री करना, एक्सरे की रिपोर्ट बांटना व मरहम पट्टी करने वाले कर्मियों की सहायता करना इनका काम है.

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