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किशनगंज जूट मिल बना 'झूठ' मिल, शाहनवाज हुसैन के चुनाव हारते ही इसका निर्माण कार्य भी हुआ बंद

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Published : Aug 12, 2020, 7:25 PM IST

भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन 2004 लोकसभा चुनाव में राजद उम्मीदवार तस्लीमुद्दीन से लाखों वोटों से हार गए. उनके हार का असर किशनगंज में बनने वाले जूट मिल पर पड़ा. इसके बाद जूट मिल का निर्माण अधर में लटक गया.

किशनगंज
किशनगंज

किशनगंज: किशनगंज एक सीमावर्ती जिला है. इसकी सीमा से बांग्लादेश और नेपाल की सीमा लगती है. इसके बावजूद यह जिला आज तक बिहार के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार किया जाता है. इस जिले में बीजेपी के कद्दावर नेता सैयद शाहनवाज हुसैन, राजद के दिग्गज नेता तस्लीमुद्दीन जैसे कई नेता सांसद रह चुके हैं. फिर भी आज तक किशनगंज विकास की बाट जोह रहा है.

किशनगंज
किशनगंज में निर्माण की बाट जोहता जूट मिल

सैयद शाहनवाज हुसैन यहां से साल 2004 में सांसद थे. उन्होने यहां के लोगों की गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने के उद्देश्य से एक जूट मिल खोलने की घोषणा की. इसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने जूट मिल का शिलान्यास भी कर दिया. इसके लिए 14 बीघा भूमि अधिग्रहित कर जोर-शोर से भवन निर्माण शुरू किया गया. साथ ही मिल के लिए मशीनें भी मंगा ली गई.

किशनगंज
जूट मिल का शिलान्यास सैय्यद शाहनवाज हुसैन द्वारा किया गया

2004 लोकसभा चुनाव ने बदली जूट मिल की दिशा
वहीं तत्कालीन सासंद का प्रयास देख एक बारगी तो यहां के बेरोजगारों की बांछें तक खिल गई. हालांकि, उनकी यह खुशी ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकी. बता दें कि जूट मिल शिलान्यास होते ही यहां के किसान एक नई ऊर्जा के साथ जूट की खेती में लग गए. वहीं समस्या शुरू हुई जूट मिल निर्माण के दौरान वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव के दिन आने पर. इसके बाद सभी लोग चुनाव की तैयारियों में व्यस्त हो गए.

किशनगंज
किशनगंज स्थित अर्धनिर्मित जूट मिल

'उदासीनता की भेंट चढ़ा जूट मिल'
वर्ष 2004 लोकसभा चुनाव भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन राजद उम्मीदवार तस्लीमुद्दीन से लाखों वोटों से हार गए. उनके हार का असर किशनगंज में बनने वाले जूट मिल पर पड़ा. जूट मिल का निर्माण अधर में लटक गया. साथ ही स्थानीय लोगों ने कई दफा इस मिल के निर्माण के लिए अपने नए सांसदों से आग्रह किया, लेकिन उनकी उदासीनता के कारण 17 साल बीत जाने के बाद भी ये मिल बनकर तैयार नहीं हुआ.

किशनगंज
बंद पड़ा अनिर्मित जूट मिल

'ये जूट मिल नहीं बल्कि झूठ मिल था'
वहीं किशनगंज में जूट मिल निर्माण के शिलान्यास के समय से मिल के केयर टेकर अब्दुल लतीफ ने बताया कि शाहनवाज हुसैन के चुनाव हारते ही मिल निर्माण पर भी ग्रहण लग गया. एक अन्य स्थानीय अशफाक आलम ने बताया कि ये जूट मिल नहीं बल्कि झूठ मिल था. जो सिर्फ राजनीति के लिए शुरू किया गया था. चुनाव नजदीक आते ही मिल निर्माण की घोषणा कर कार्य शुरू की गई. वहीं चुनाव हारते ही इस मिल की तरफ किसी ने नजर उठाकर भी नहीं देखा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'शाहनवाज हुसैन ही बताएंगे जूट मिल बंद होने का कारण'
अशफाक आलम ने बताया कि इस जूट मिल के शुरू होते ही किशनगंज के किसानों और मजदूरों के साथ बिहार के अन्य मजदूरों को पलायन करने की नौबत नहीं आती. उन्हें अपने घर में ही रोजगार मिल जाता. वहीं किशनगंज सांसद और कांग्रेस नेता डॉ. जावेद आजाद ने कहा कि ये जूट मिल नहीं खुलने का सही कारण तो इसकी घोषणा करने वाले भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ही बताएंगे.

किशनगंज
किशनगंज स्थित अनिर्मित जूट मिल

'BJP सिर्फ जुमलेबाजों की सरकार'
सांसद डॉ. जावेद ने कहा कि शाहनवाज हुसैन उस पार्टी से ताल्लुक रखते हैं, जिस पार्टी को सिर्फ जुमलेबाजी आती है. भाजपा ने आज तक सिर्फ जनता को ठगने का काम किया है.

किशनगंज: किशनगंज एक सीमावर्ती जिला है. इसकी सीमा से बांग्लादेश और नेपाल की सीमा लगती है. इसके बावजूद यह जिला आज तक बिहार के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार किया जाता है. इस जिले में बीजेपी के कद्दावर नेता सैयद शाहनवाज हुसैन, राजद के दिग्गज नेता तस्लीमुद्दीन जैसे कई नेता सांसद रह चुके हैं. फिर भी आज तक किशनगंज विकास की बाट जोह रहा है.

किशनगंज
किशनगंज में निर्माण की बाट जोहता जूट मिल

सैयद शाहनवाज हुसैन यहां से साल 2004 में सांसद थे. उन्होने यहां के लोगों की गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने के उद्देश्य से एक जूट मिल खोलने की घोषणा की. इसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने जूट मिल का शिलान्यास भी कर दिया. इसके लिए 14 बीघा भूमि अधिग्रहित कर जोर-शोर से भवन निर्माण शुरू किया गया. साथ ही मिल के लिए मशीनें भी मंगा ली गई.

किशनगंज
जूट मिल का शिलान्यास सैय्यद शाहनवाज हुसैन द्वारा किया गया

2004 लोकसभा चुनाव ने बदली जूट मिल की दिशा
वहीं तत्कालीन सासंद का प्रयास देख एक बारगी तो यहां के बेरोजगारों की बांछें तक खिल गई. हालांकि, उनकी यह खुशी ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकी. बता दें कि जूट मिल शिलान्यास होते ही यहां के किसान एक नई ऊर्जा के साथ जूट की खेती में लग गए. वहीं समस्या शुरू हुई जूट मिल निर्माण के दौरान वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव के दिन आने पर. इसके बाद सभी लोग चुनाव की तैयारियों में व्यस्त हो गए.

किशनगंज
किशनगंज स्थित अर्धनिर्मित जूट मिल

'उदासीनता की भेंट चढ़ा जूट मिल'
वर्ष 2004 लोकसभा चुनाव भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन राजद उम्मीदवार तस्लीमुद्दीन से लाखों वोटों से हार गए. उनके हार का असर किशनगंज में बनने वाले जूट मिल पर पड़ा. जूट मिल का निर्माण अधर में लटक गया. साथ ही स्थानीय लोगों ने कई दफा इस मिल के निर्माण के लिए अपने नए सांसदों से आग्रह किया, लेकिन उनकी उदासीनता के कारण 17 साल बीत जाने के बाद भी ये मिल बनकर तैयार नहीं हुआ.

किशनगंज
बंद पड़ा अनिर्मित जूट मिल

'ये जूट मिल नहीं बल्कि झूठ मिल था'
वहीं किशनगंज में जूट मिल निर्माण के शिलान्यास के समय से मिल के केयर टेकर अब्दुल लतीफ ने बताया कि शाहनवाज हुसैन के चुनाव हारते ही मिल निर्माण पर भी ग्रहण लग गया. एक अन्य स्थानीय अशफाक आलम ने बताया कि ये जूट मिल नहीं बल्कि झूठ मिल था. जो सिर्फ राजनीति के लिए शुरू किया गया था. चुनाव नजदीक आते ही मिल निर्माण की घोषणा कर कार्य शुरू की गई. वहीं चुनाव हारते ही इस मिल की तरफ किसी ने नजर उठाकर भी नहीं देखा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'शाहनवाज हुसैन ही बताएंगे जूट मिल बंद होने का कारण'
अशफाक आलम ने बताया कि इस जूट मिल के शुरू होते ही किशनगंज के किसानों और मजदूरों के साथ बिहार के अन्य मजदूरों को पलायन करने की नौबत नहीं आती. उन्हें अपने घर में ही रोजगार मिल जाता. वहीं किशनगंज सांसद और कांग्रेस नेता डॉ. जावेद आजाद ने कहा कि ये जूट मिल नहीं खुलने का सही कारण तो इसकी घोषणा करने वाले भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ही बताएंगे.

किशनगंज
किशनगंज स्थित अनिर्मित जूट मिल

'BJP सिर्फ जुमलेबाजों की सरकार'
सांसद डॉ. जावेद ने कहा कि शाहनवाज हुसैन उस पार्टी से ताल्लुक रखते हैं, जिस पार्टी को सिर्फ जुमलेबाजी आती है. भाजपा ने आज तक सिर्फ जनता को ठगने का काम किया है.

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