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किशनगंजः नगर परिषद और आर्मी के विवाद में शहीद कारगिल पार्क बना वीरान, कायाकल्प की जो रहा बाट - कारगिल युद्ध

किशनगंज में बना शहीद कारगिल पार्क नगर परिषद और आर्मी के विवाद में वीरान पड़ा हुआ है. बताया जाता है कि एनओसी नहीं मिलने के कारण पार्क का रखरखाव नहीं हो सका है. वर्तमान में पार्क जंगल में तब्दील हो चुका है.

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Published : Sep 3, 2020, 10:55 PM IST

किशनगंज: नगर परिषद क्षेत्र के रुइधासा मैदान स्थित कारगिल शहीद पार्क एनओसी के चक्कर में जंगल में तब्दील हो रहा है. शहीद कारगिल पार्क नगर परिषद और आर्मी के विवाद में फंस कर रह गया है. आर्मी के तरफ से एनओसी नहीं मिलने से पार्क का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. आर्मी ने कारगिल युद्ध के बाद अपनी भूमि पर शहीदों की याद में इस पार्क का न्यू रखा था और इस पार्क को सुंदरीकरण करने के लिए नगर परिषद ने करोड़ो रुपये खर्च कर किए.

किशनगंज नगर परिषद ने करोड़ों का खर्च कर इस पार्क का निर्माण करवाया. वहीं आर्मी की शर्त थी कि इस पार्क को शहीदों के नाम पर रखा जाएगा. नगर परिषद ने पार्क का निर्माण कर शहीद कारगिल पार्क नाम रखा. निर्माण के बाद एक दो बार इसकी साफ-सफाई करवाई गई. वर्ष 2004 में बने इस पार्क को लेकर पेंच उस समय फंसा जब निवर्तमान डीएम ने आर्मी से नगर परिषद किशनगंज को एनओसी देने की मांग की.

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शहीद कारगिल पार्क
आकर्षण के केंद्र में वीरानी
एनओसी नहीं मिलने की स्थिति में पार्क का रखरखाव नहीं हो सका. वर्तमान में पार्क जंगल में तब्दील हो चुका है. शहर के बीचों-बीच इस पार्क में बच्चों के खेलने के लिए तरह-तरह के झूले थे. इसके अलावा रंग बिरंगे फूल लगाए गए थे, जो जंगल में पूरी तरह से ढक चुके हैं. शहर के लिए आकर्षण का केंद्र रहने वाला खूबसूरत पार्क फिलहाल जंगली पौधों से ढक गया है. वहीं आवारा पशुओं के लिए चारागाह बन गया है, तो असामाजिक तत्वों का यह एक अड्डा भी बना हुआ है.
देखें पूरी रिपोर्ट

जंगल में फेंकी नेता जी की मुर्ति
बता दें कि शहीदों के सम्मान में बने इस कारगिल पार्क में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई थी. जिसे इस पार्क मे अपना अड्डा बना चुके असमाजिक तत्वों ने जंगल में फेंक दिया है. बच्चों की किलकारिया, स्थानीय और पड़ोसी राज्य बंगाल से आने वाले लोगों से गुलजार रहता था. परंतु अब यहां सिर्फ विरानी रहती है.

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शहीद कारगिल पार्क

पार्क का होना चाहिए सौंदर्यीकरण
स्थानीय वार्ड पार्षद सुशांत गोप का कहना है कि अगर आर्मी इस जमीन का एनओसी दे दें, तो एक बार फिर से ये पार्क गुलजार हो जायेगा और फिर से एक बार इस पार्क में बच्चों की किलकारिया गूंजने लगेंगी. वहीं एक अन्य स्थानीय गणेश झा का कहना है कि किशनगंज जिला में पहले से ही कोई पार्क नहीं था. जब इस पार्क का निर्माण हुआ तो लोगों में काफी खुशी थी और साथ ही इस पार्क में आने के बाद हमारे देश के वीर जवानों के बलिदान याद आते है. ऐसे धरोहरो से आने वाली हमारी पीढ़ी भी सब जान सकेगी. उन्होंने कहा की प्रशसान को जल्द ही इस पार्क का सौंदर्यीकरण कराना चाहिए.

एनओसी मिलते ही सुंदरीकरण का शुरू होगा काम
इस्पात का निर्माण निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष और वर्तमान उपाध्यक्ष त्रिलोकचन्द जैन के कार्यकाल में हुआ था. उन्होंने बताया कि इस पार्क के निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च किए गए. नगर परिषद उपाध्यक्ष के मुताबिक आर्मी के शर्त के मुताबिक ही कारगिल के शहीदों के नाम पर पार्क का नामांकन हुआ. लेकिन इस पार्क के लिए आर्मी ने एनओसी नहीं दिया, इसके वजह से नगर परिषद ने इस पर आगे खर्च नहीं किया. आलम यह है कि पार्क जंगल के रूप में तब्दील हो चुका है. हालांकि इस संबंध में आर्मी के अधिकारियों से बात की गई है. एनओसी देने का आश्वासन मिला है. एनओसी मिलते ही सुंदरीकरण का काम शुरू किया जाएगा.

किशनगंज: नगर परिषद क्षेत्र के रुइधासा मैदान स्थित कारगिल शहीद पार्क एनओसी के चक्कर में जंगल में तब्दील हो रहा है. शहीद कारगिल पार्क नगर परिषद और आर्मी के विवाद में फंस कर रह गया है. आर्मी के तरफ से एनओसी नहीं मिलने से पार्क का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. आर्मी ने कारगिल युद्ध के बाद अपनी भूमि पर शहीदों की याद में इस पार्क का न्यू रखा था और इस पार्क को सुंदरीकरण करने के लिए नगर परिषद ने करोड़ो रुपये खर्च कर किए.

किशनगंज नगर परिषद ने करोड़ों का खर्च कर इस पार्क का निर्माण करवाया. वहीं आर्मी की शर्त थी कि इस पार्क को शहीदों के नाम पर रखा जाएगा. नगर परिषद ने पार्क का निर्माण कर शहीद कारगिल पार्क नाम रखा. निर्माण के बाद एक दो बार इसकी साफ-सफाई करवाई गई. वर्ष 2004 में बने इस पार्क को लेकर पेंच उस समय फंसा जब निवर्तमान डीएम ने आर्मी से नगर परिषद किशनगंज को एनओसी देने की मांग की.

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शहीद कारगिल पार्क
आकर्षण के केंद्र में वीरानी
एनओसी नहीं मिलने की स्थिति में पार्क का रखरखाव नहीं हो सका. वर्तमान में पार्क जंगल में तब्दील हो चुका है. शहर के बीचों-बीच इस पार्क में बच्चों के खेलने के लिए तरह-तरह के झूले थे. इसके अलावा रंग बिरंगे फूल लगाए गए थे, जो जंगल में पूरी तरह से ढक चुके हैं. शहर के लिए आकर्षण का केंद्र रहने वाला खूबसूरत पार्क फिलहाल जंगली पौधों से ढक गया है. वहीं आवारा पशुओं के लिए चारागाह बन गया है, तो असामाजिक तत्वों का यह एक अड्डा भी बना हुआ है.
देखें पूरी रिपोर्ट

जंगल में फेंकी नेता जी की मुर्ति
बता दें कि शहीदों के सम्मान में बने इस कारगिल पार्क में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई थी. जिसे इस पार्क मे अपना अड्डा बना चुके असमाजिक तत्वों ने जंगल में फेंक दिया है. बच्चों की किलकारिया, स्थानीय और पड़ोसी राज्य बंगाल से आने वाले लोगों से गुलजार रहता था. परंतु अब यहां सिर्फ विरानी रहती है.

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शहीद कारगिल पार्क

पार्क का होना चाहिए सौंदर्यीकरण
स्थानीय वार्ड पार्षद सुशांत गोप का कहना है कि अगर आर्मी इस जमीन का एनओसी दे दें, तो एक बार फिर से ये पार्क गुलजार हो जायेगा और फिर से एक बार इस पार्क में बच्चों की किलकारिया गूंजने लगेंगी. वहीं एक अन्य स्थानीय गणेश झा का कहना है कि किशनगंज जिला में पहले से ही कोई पार्क नहीं था. जब इस पार्क का निर्माण हुआ तो लोगों में काफी खुशी थी और साथ ही इस पार्क में आने के बाद हमारे देश के वीर जवानों के बलिदान याद आते है. ऐसे धरोहरो से आने वाली हमारी पीढ़ी भी सब जान सकेगी. उन्होंने कहा की प्रशसान को जल्द ही इस पार्क का सौंदर्यीकरण कराना चाहिए.

एनओसी मिलते ही सुंदरीकरण का शुरू होगा काम
इस्पात का निर्माण निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष और वर्तमान उपाध्यक्ष त्रिलोकचन्द जैन के कार्यकाल में हुआ था. उन्होंने बताया कि इस पार्क के निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च किए गए. नगर परिषद उपाध्यक्ष के मुताबिक आर्मी के शर्त के मुताबिक ही कारगिल के शहीदों के नाम पर पार्क का नामांकन हुआ. लेकिन इस पार्क के लिए आर्मी ने एनओसी नहीं दिया, इसके वजह से नगर परिषद ने इस पर आगे खर्च नहीं किया. आलम यह है कि पार्क जंगल के रूप में तब्दील हो चुका है. हालांकि इस संबंध में आर्मी के अधिकारियों से बात की गई है. एनओसी देने का आश्वासन मिला है. एनओसी मिलते ही सुंदरीकरण का काम शुरू किया जाएगा.

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