किशनगंज: बिहार में सबसे ज्यादा अनानास उत्पादन करने वाला जिला किशनगंज के किसान बेहाल है. किसान दिन रात मेहनत करके फल उगाते हैं, लेकिन लॉकडाउन और अत्यधिक बारिश के कारण इनके फल खेत में ही खराब हो रहे है. दरअसल, जिले में लगभग 5 हजार बीघे में अनानास की खेती होती है, लेकिन फिर भी सरकार ऐसे किसानों पर ध्यान नहीं दे रही है.
‘अनानास की खेती शुरु की’
किसानों का कहना है कि किशनगंज में धान-गेहूं की फसल नहीं होती है और ना ही किसी भी तरह का कल कारखाना है. फिर यहां के किसानों ने अनानास की खेती शुरु की, लेकिन इस साल अत्यधिक बरसात और लॉकडाउन की वजह से खरीदार नहीं आने से फल पक कर खराब हो रहे हैं.
5 हजार बीघे से ज्यादा भूमि में अनानास की होने लगी खेती
दरअसल, किशनगंज एक बाढ ग्रस्त जिला हैं. इस जिले के किसान पहले पारम्परिक खेती करते थे. जिसमे उन्हे प्रतिवर्ष नुकसान झेलना पड़ता था. चुकी प्रतिवर्ष महानंदा, कन्काई, डॉक, रतुआ और रमजान नदी में आने वले बाढ की वजह से सारे फसलों की बाढ़ की बली चढ़ जाता था. जिसके कारण किसानों को अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता था.
फिर किशनगंज के किसानों ने अनानास की खेती शुरु की और देखते ही देखते यहां के ज्यादातर किसान जिले में अनानास की खेती करने लगे. जिसमे उन्हे नगद रुपये की आमदनी होने लगी. वहीं फिर जिले में 5 हजार बीघे से ज्यादा भूमि में अनानास की खेती होने लगी और किसानों के भी दिन बहुरने लगे.
फल खेतों मे होने लगे खराब
किसानों का कहना है कि प्रतीवर्ष उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो जाती है और उनके अनानास जिले के साथ-साथ बिहार राज्य से बाहर जाते थे. लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस की वजह से मार्च महिने से ही लॉकडाउन लग गया और फिर इस वर्ष समय से पहले अत्यधिक बारिश होने की वजह से अनानास के फल खेतों मे खराब होने लगे.
वहीं लॉकडाउन की वजह से फल खरीदने के लिए बाहर से व्यापारी भी नही पहुंचे. पहले हमारा फल 30-35 रुपए प्रती पीस बिकता था और अब 10-12 रुपए में भी कोई खरीदार नहीं मिलता है.
आर्थिक मदद की मांग की
किसानों ने बताया कि अनानास देश के अन्य राज्य दिल्ली, वाराणसी, लखनऊ, कोलकाता और मेरठ इत्यादि राज्यों से व्यापारी खरीदने के लिए किशनगंज आते थे, लेकिन महामारी के डर से इस साल व्यापारी फल खरीदने नहीं आ रहे है. जिसके कारण खेतों में लगे फल पककर खेत में ही खराब हो रहे हैं.
साथ ही किसानों ने कहा कि अगर जिले में भंडारण की व्यवस्था होती, तो किसानों को नुकसान नहीं सहना पड़ता. सरकार से इनकी मांग है कि इन्हे आर्थिक मदद दी जाए और जो ऋण लेकर इन्होंने खेती की है, उसे माफ किया जाए.