किशनगंजः बिहार की गंगा नदी के बाद सीमावर्ती किशनगंज की महानंदा नदी में सबसे ज्यादा राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन देखी जा रही है. पूरे बिहार में पहली बार सबसे ज्यादा डॉल्फिन गंगा के बाद किशनगंज के महानंदा नदी में मिली है. किशनगंज में महानंदा और उसकी सहयोगी नदियों में 14 से ज्यादा डॉल्फिन है. आजकल डॉल्फिन को देखने लिए लोगों की भीड़ शाम होते ही नदी किनारे जुटने लगी है.
डॉल्फिन को बचाने के लिए जागरुकता अभियान
दरअसल, विलुप्त प्राय डॉल्फिन को बचाने के लिए किशनगंज वन विभाग नदी के किनारे बसे ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार और लोगों के बीच जागरुकता अभियान भी चला रहा है. ताकि कम पानी में डॉल्फिन अगर फंस जाए तो ग्रामीण या मछुआरे उन्हें शिकार ना कर उनकी सूचना वन विभाग को दें. अब तक किशनगंज जिले में कम पानी के कारण तीन बार डॉल्फिन को रेस्क्यू कर गहरे पानी में छोड़ा गया है.
किशनगंज की महानंदा नदी में 14 डॉल्फिन
किशनगंज वन विभाग के रेंजर यू.एन. दुबे ने बताया कि डॉल्फिन को लेकर जिले की नदियों में सर्वे करवाया गया था. इस दौरान किशनगंज जिले में 14 डॉल्फिन देखी गई है. वन विभाग ने भागलपुर के टीएमबीयू के पीजी बॉटनी विभाग स्थित विक्रमशिला जैव विविधता शिक्षा एवं शोध केंद्र ने जिले की महानंदा और उनके सहायक नदी, डंक नदी, कंकई नदी, रतुआ नदी और मेची नदी में सर्वे किया है. इस दौरान नदियों में 7 वयस्क और 7 युवा डॉल्फिन देखी गई. जबकि एक भी शीशु डॉल्फिन नहीं देखी गई.
नदियों में प्रदूषण के कारण हो रही विलुप्त
यू.एन.दुबे ने ये भी बताया कि ये सर्वे जिले में एक महीना चलाया गया. उन्होंने बताया की यदि ये सर्वे जुलाई से फरवरी के बीच होता तो परिणाम और अच्छा होता. वहीं सर्वे टीम ने बिहार सरकार से अनुशंसा की है कि 15 अक्टूबर से फरवरी के बीच ये सर्वे दोबारा कराई जाए. ताकि डॉल्फिन की सही आबादी का पता चल पाए. विशेषज्ञों का मानना है गंगा और अन्य सहयोगी नदियों में प्रदूषण, जलस्तर में कमी, शिल्ट का जमाव और अवैध शिकार ने डॉल्फिन को दुर्लभ और विलुप्तप्राय बना दिया है.
साल 2009 में राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित
बिहार में डॉल्फिन संकटग्रस्त जीव है. जिसके संरक्षण के लिए बिहार सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही प्रयासरत हैं. 5 अक्टूबर 2009 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में नेशनल गंगा रिवर ऑथोरिटी (NGRBA) की बैठक हुई थी. इस पहली बैठक में ही डॉल्फिन को संरक्षण प्रदान करने के लिए सरकार ने इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था.
डॉल्फिन के देखने जुटती है भीड़
मालूम हो कि डॉल्फिन का लोकप्रिय नाम सोंस है. जो किशनगंज की महानंदा और डोंक नदी के पानी में गुलाटी मारते कभी-कभी देखी जाती है. लेकिन घंटों नदी किनारे इंतजार करने के बाद आपकी खुशकिस्मती होगी जो आप डॉल्फिन को देख पाएं. आजकल डॉल्फिन को देखने लिए लोगों की भीड़ शाम होते ही नदी किनारे जुटने लगी है. भारत के अलावा फ्रेशवाटर डॉल्फिन चीन के यांग्जी नदी में, दक्षिण अमेरिका के अमेजन नदी में, और पाकिस्तान के सिंधु नदी में देखे जा सकते हैं.
बन सकती है किशनगंज की पहचान
भारतीय नस्ल का डॉल्फिन बांग्लादेश और नेपाल में भी थोड़ी संख्या में मौजूद है. वहीं किशनगंज में बहने वाली गंगा की सहयोगी नदी होने के कारण महानंदा में काफी संख्या में डॉल्फिन देखी जा रही है. सरकार को ऐसा प्रयास करना चाहिए कि किशनगंज में विलुप्तप्राय डॉल्फिन को सुरक्षित स्थान देश में मिल सके. साथ ही डॉल्फिन को लेकर किशनगंज की एक नई पहचान बन सके.