किशनगंज: बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन सरकार इन दावों पर खरी उतरती नहीं दिखाई देती. शिक्षा के क्षेत्र में बिहार देश में सबसे निचले पायदान पर खड़ा है, तो बिहार का किशनगंज जिला भी प्रदेश के सबसे निरक्षर जिला है.
किशनगंज के साथ पूरे सीमांचल को सभी राजनीतिक दलों ने सिर्फ अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है. इसका जीता जागता उदाहरण है किशनगंज मे उच्च शिक्षा संस्थानो की कमी होना है. किशनगंज जिले मे जनसंख्या के हिसाब से लगभग 18 लाख से ज्यादा की आबादी है, जिसमें से लगभग 2 लाख के करीब युवा है.
एक नजर किशनगंज के शिक्षण संस्थानों पर
- जिले में 813 प्राथमिक विद्यालय हैं.
- जिले में 592 माध्यमिक विद्यालय हैं.
- जिले में 114 माध्यमिक विद्यालय से उच्चतर विद्यालय में अपग्रेड विद्यालयों की संख्या हैं.
- 10+2 उच्च विद्यालय की संख्या 31 है.
- जिले में दो डिग्री कॉलेज हैं, जिनमें पढ़ाई नहीं होती.
जिले के दो डिग्री कॉलेजों में मारवाड़ी कॉलेज और जवाहरलाल नेहरू डिग्री कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था पर छात्र खुद सवाल उठाते नजर आते हैं. मारवाड़ी डिग्री कॉलेज किशनगंज जिला मुख्यालय में है. इस डिग्री कॉलेज की स्थापना 1960 में हुई थी. कॉलेज में कुल 17 विभाग है. यहां 10 शिक्षकों के सहारे लगभग 8 हजार छात्र छात्राएं पढ़ाई करते हैं. इस महाविद्यालय मे कुल 39 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं. ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सका है कि जिस डिग्री कॉलेज में 17 विभागों की पढ़ाई होती हैं, वहां शिक्षकों की घोर कमी के चलते शिक्षा व्यवस्था के क्या हाल होंगे.
जवाहरलाल नेहरू डिग्री कॉलेज की बात करें, तो बहादुरगंज प्रखंड मे स्थित है. यहां सिर्फ कला संकाय की पढ़ाई होती है. इस डिग्री कॉलेज में 4 शिक्षकों के सहारे 2 हजार 857 छात्र अध्ययनरत हैं. किशनगंज के अधिकतर विद्यार्थियो का नामांकन डिग्री कॉलेज में नहीं हो पाता है और जिनका होता हैं उन्हे अपने पसंद का विषय नहीं मिलता.
क्या कहते हैं छात्र
एनएसयूआई के प्रदेश सचिव अमन रजा ने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था बहुत ज्यादा खराब है. किशनगंज में शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है. आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की पढ़ाई छूट जा रही है. लेकिन सरकार इस ओर ध्यान हीं दे रही है. बीकॉम के छात्र इख्तियाज ने बताया कि 10+2 पास होते ही छात्र उच्च शिक्षा पाने के लिए दर दर भटक रहे हैं. हालत ऐसे ही कई छात्र पढ़ाई छोड़ दे रहे हैं.
नहीं होती पढ़ाई- छात्रा
छात्रा सबा प्रवीण ने कैमरे के पीछे कहा कि एडमिशन के बाद जब कॉलेज पहुंची, तो यहां क्लास ही नहीं लगी. इस वजह से कोचिंग और सेल्फ स्टडी का सहारा ले रहीं हूं. उसने बताया कि वो मारवाड़ी डिग्री कॉलेज में बीकॉम की छात्रा है.
वहीं एक अभिभावक पप्पू तिवारी ने बताया कि उसने अपनी बहन का नामांकन के लिए पिछ्ले वर्ष एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में भटक रहे हैं लेकिन उनकी बहन का नामांकन नहीं हुआ है. उनकी बहन जैसे हजारों छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा के लिए भटक रहे हैं. यही हाल रहा तो आने वाली पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा.
आर्थिक कमजोर छात्र कैसे करें पढ़ाई
ज्यादतर विद्यार्थी 10+2 पास करने के बाद जब डिग्री कॉलेज मे दाखिले के लिए जाते हैं और उनका दाखिला किशनगंज मे ना होकर किसी अन्य जिला मे होता है. ऐसे में उनकी पढ़ाई सही से नहीं हो पाती. आर्थिक रूप से कमजोर फैमिली से आने वाले छात्रों को क्या-क्या मुसीबतें उठानी पड़ती है. उसका दर्द वे ही समझ सकते हैं. सरकारें आईं और गईं लेकिन किशनगंज की शिक्षा व्यवस्था पर ग्रहण सालों से लगा हुआ है. छात्र पढ़ना तो चाहते हैं, लेकिन कॉलेजों में शिक्षकों की घोर कमी और सीटों का ना मिलना इस बात की तस्दीक करता है कि हालात कैसे हैं.