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सिंदूर की होली खेलकर नम्र आंखों से दी मां दुर्गा को विदाई - बंगाली समाज की महिला

विजयादशमी के दिन बिहार के कई जिलों में बंगाली समुदाय की महिलाओं ने सिंदूर खेला के रस्म के साथ मां दुर्गा को विदाई दी. विजयादशमी के दिन भक्तजन दुर्गा मां की विदाई में झूमते नजर आए. नम्र आंखों से मां दुर्गा को विदाई दी गई.

विजयादशमी
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Published : Oct 9, 2019, 4:15 AM IST

किशनगंज: विजयादशमी के दिन पूरा बिहार मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहा. 9 दिनों के नवरात्र के बाद बड़े ही धुमधाम के साथ विजयादशमी का पर्व मनाया गया. हर्षोल्लास के साथ मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन में भक्तजन लीन दिखे. किशनगंज सहित बिहार के अन्य जिलों में भी लोगों ने खूब धूमधाम से मां दुर्गा को विदा किया.

किशनगंज में सिंदूर खेला का रस्म
किशनगंज में बंगाली समाज की महिलाएं विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला का रस्म करती है. दसवीं के दिन सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे के साथ सिंदूर की होली खेलती नजर आई. ऐसी मानयता है कि बंगाली महिलाएं मां दुर्गा के सामने सिंदूर खेलकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है. बंगाली समाज की महिलाओं के सिंदूर खेल को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे. मां दुर्गा को खूब श्रृंगार और सिंदूर लगाकर नम्र आंखों से विदा किया गया.

किशनगंज में मां दुर्गा की विदाई

रोहतास में झूमती नजर आई महिलाएं
रोहतास में भी बंगाली समाज की महिलाएं सिंदूर खेला का रस्म करती नजर आई. जिले के डेहरी शहर में स्थित रामाकृष्ण आश्रम में विजयादशमी के अवसर पर बंगाली समाज की महिलाएं सिंदूर की होली खेलने के साथ-साथ खूब डांस करती नजर आई. यहां भी बंगाली महिलाओं ने दुर्गा पूजा के अंतिम दिन मां दुर्गा को सिंदूर लगाकर विदाई दी.

रोहतास में नवरात्र का आखिरी दिन

मधुबनी में विजयादशमी के दिन भक्तों की भीड़
मधुबनी के साहरघाट स्थित पुराने थाना भवन के पास बने दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र के अवसर पर भक्तों की धूम मची रही. यहां बिहार के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल से भी हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. यहां आरती के दौरान श्रद्धालु दुर्गा मां की भक्ति में लीन होकर झुमते नजर आए. विजयादशमी के दिन भी यहां काफी बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ रही. बता दें कि इस मंदिर की स्थापना 18 मार्च 1987 में साहरघाट के तत्कालीन थाना अध्यक्ष के नेतृत्व में जनसहयोग से हुई थी. तब से लेकर आजतक यहां विधिवत मां दुर्गा की पूजा की जाती है. यहां मां दुर्गा वैष्णवी रूप में विराजमान है.

मधुबनी में विजयादशमी

किशनगंज: विजयादशमी के दिन पूरा बिहार मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहा. 9 दिनों के नवरात्र के बाद बड़े ही धुमधाम के साथ विजयादशमी का पर्व मनाया गया. हर्षोल्लास के साथ मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन में भक्तजन लीन दिखे. किशनगंज सहित बिहार के अन्य जिलों में भी लोगों ने खूब धूमधाम से मां दुर्गा को विदा किया.

किशनगंज में सिंदूर खेला का रस्म
किशनगंज में बंगाली समाज की महिलाएं विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला का रस्म करती है. दसवीं के दिन सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे के साथ सिंदूर की होली खेलती नजर आई. ऐसी मानयता है कि बंगाली महिलाएं मां दुर्गा के सामने सिंदूर खेलकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है. बंगाली समाज की महिलाओं के सिंदूर खेल को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे. मां दुर्गा को खूब श्रृंगार और सिंदूर लगाकर नम्र आंखों से विदा किया गया.

किशनगंज में मां दुर्गा की विदाई

रोहतास में झूमती नजर आई महिलाएं
रोहतास में भी बंगाली समाज की महिलाएं सिंदूर खेला का रस्म करती नजर आई. जिले के डेहरी शहर में स्थित रामाकृष्ण आश्रम में विजयादशमी के अवसर पर बंगाली समाज की महिलाएं सिंदूर की होली खेलने के साथ-साथ खूब डांस करती नजर आई. यहां भी बंगाली महिलाओं ने दुर्गा पूजा के अंतिम दिन मां दुर्गा को सिंदूर लगाकर विदाई दी.

रोहतास में नवरात्र का आखिरी दिन

मधुबनी में विजयादशमी के दिन भक्तों की भीड़
मधुबनी के साहरघाट स्थित पुराने थाना भवन के पास बने दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र के अवसर पर भक्तों की धूम मची रही. यहां बिहार के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल से भी हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. यहां आरती के दौरान श्रद्धालु दुर्गा मां की भक्ति में लीन होकर झुमते नजर आए. विजयादशमी के दिन भी यहां काफी बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ रही. बता दें कि इस मंदिर की स्थापना 18 मार्च 1987 में साहरघाट के तत्कालीन थाना अध्यक्ष के नेतृत्व में जनसहयोग से हुई थी. तब से लेकर आजतक यहां विधिवत मां दुर्गा की पूजा की जाती है. यहां मां दुर्गा वैष्णवी रूप में विराजमान है.

मधुबनी में विजयादशमी
Intro:किशनगंज में बंगाली समाज नवरात्रि के 9 दिन पूजा पाठ के बाद दसवीं के दिन सिंदूर खेलने का परंपरा है। इसे सिंदूर खेला के नाम से जाना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे के साथ सिंदूर की होली खेलती है। ऐसा मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 10 दिन के लिए अपने मायके आती है। इसलिए पूजा मंडप एवं पंडाल सजते हैं और इन 9 दिनों में मां दुर्गा की पूजा व आराधना की जाती है।वहीं दशमी पर सिंदूर की होली खेलकर मां दुर्गा को नम्र आंखों से विदा किया जाता है। बता दे किशनगंज जिला सीमावर्ती होने के कारन किशनगंज में काफी तादाद में बंगाली समुदाय के लोग रहते हैं और आज भी ज्यादातर पूजा बंगाली समुदाय के लोग संचालित करते हैं।दशमी के दिन बंगाली समाज के सुहागन के पारंपारिक सिंदूर खेल देखने के लिए मंदिरों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। मान्यता है कि दशमी के दिन देवी माँ के सामने सिंदूर खेलकर, अपनी सुहाग की लंबी उम्र की प्रार्थना बंगाली महिलाएं करती है।

बाइटः मौसमी पाल चौधुरी, बंगाली महिला
बाइटः शुक्ला दास, बंगाली महिला


Body:नवरात्रि पर जिस तरह से शादी के बाद लड़की अपने मायके आने पर उसकी सेवा की जाती है। उसी तरह मां दुर्गा की भी खूब सेवा की जाती है। उसी तरह मां दुर्गा की मंदिरों पर सेवा की जाती है। दशमी के दिन मां दुर्गा के वापस ससुराल लौटने के वक्त हो जाता है।वहीं उन्हें खूब श्रृंगार और सिंदूर लगाकर विदा किया जाता है आपस में सिंदूर की होली खेलने से पहले पान के पत्ते से मां दुर्गे के गालों को स्पर्श किया जाता है। फिर उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाया जाता है। इसके बाद मां को मिठाई खिलाकर भोग लगाया जाता है फिर सभी महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर लंबे सुहाग की कामना करती है।


Conclusion:बंगाली समाज में वैसे तो सिंदूर खेला का रस्म केवल शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होता है। मगर बदलते समय के साथ अब कुमारी लड़कियां भी अब इस रस्म को निभाते नजर आते है ताकि उन्हें अच्छा और मनपसंद बर मिल सके। यह सुहाग की लंबी आयु की कामना का प्रतीक है। इस रस्म को निभाते वक्त पूरी माहौल उमंग और मस्ती से भरा हुआ नजर आता है। इसके कुछ देर बाद ही मां को विसर्जित करने का वक्त आ जाता है। और सभी नम्र आंखों से *मां चोलछे ससुर बाड़ी* अर्थात मां चली ससुराल गीत गाकर और शंख,ऊलु व ढाक के ध्वनि से अगले वर्ष उनके आने की कामना करते हुए विसर्जित कर देते हैं।
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