किशनगंजः जिले में खेती का ट्रेंड बदलने लगा है. परंपरागत खेती को छोड़ अब जिले के किसान कैश क्रोप की खेती करने लगे हैं. यहां के कई किसानों का रुझान हल्दी की खेती की और बढ़ रहा है. जिसमें परंपरागत खेती से कई गुना ज्यादा फायदा है.
बाढ़ में बर्बाद हो जाती है धान मक्के की फसल
किशनगंज जिला धान, मक्का और केले की खेती के लिए जाना जाता है. लेकिन जिले में हर साल आने वाले बाढ़ के कारण धान और मक्के की फसल हर साल बर्बाद हो जाती है और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में कुछ किसान परंपरागत खेती का ट्रेंड बदलकर अब आधुनिक खेती की ओर निकल पड़े हैं.
कैश क्रॉप की खेती में किसानों को तिगुना-चौगुना फायदा होता है. यही वजह है कि जिले के दर्जनों किसानों का रुझान हल्दी की खेती की ओर बढ़ रहा है. जिले के पोठिया प्रखंड में किसानों ने हल्दी की खेती की शुरुआत की और अब वह समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं.
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कम लागत में है ज्यादा मुनाफा
किसानों का कहना है कि हल्दी की खेती करने से लागत भी कम है और मुनाफा ज्यादा है. किसानों ने बताया कि हल्दी को बेचने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता. हल्दी जब खेत में लगी रहती है तो व्यापारी खेत से खरीद लेते हैं. जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा मुनाफा हो जाता है. किसानों का कहना है कि इस खेती में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है.
'किसानों की पहली पसंद हल्दी की खेती'
किशनगंज के जिला परियोजना पदाधिकारी अवधेश कुमार ने बताया कि हल्दी की खेती किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है. इस खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा है. इसमें सबसे बड़ा फायदा ये है कि हल्दी तैयार होने के बाद इसको बेचने की समस्या नहीं होती है. हल्दी को व्यापारी खेत से ही खरीद लेते हैं.