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किशनगंज: कंकई नदी से हो रहा कटाव, पलायन को मजबूर हुए तटवर्ती गांवों के लोग - कंकई नदी से हो रहा कटाव

बाढ़ के कारण एक बार फिर लोग पलायन करने को मजबूर नजर आ रहे हैं. कंकई नदी के आसपास के लोग ऊंचे स्थानों की ओर रुख करते नजर आ रहे हैं.

किशनगंज में बाढ़
किशनगंज में बाढ़
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Published : Jul 29, 2020, 7:25 PM IST

किशनगंज: जिले के बहादुरगंज प्रखण्ड स्थित खाड़ी टोल महेशबथना और केका हाट बस्ती में कंकई नदी से भीषण कटाव हो रहा है. जिस कारण लोगों में डर का माहौल है. ग्रामीण सड़कों और ऊंची जगहों पर पलायन करने को मजबूर नजर आ रहे हैं.

कंकई में कटाव के कारण लोग अपने कच्चे-पक्के मकानों को छोड़कर जान-माल की रक्षा करते देखे जा रहे हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो कटाव के कारण दर्जनों घर नदी में समा गए है. पीड़ित लोग कहते हैं कि कटाव झेलना उनकी नियति हो गई है. हर साल वे विस्थापित होते हैं.

kishanganj
कंकई नदी से हो रहा कटाव

पहले भी झेल चुके हैं बाढ़ का दंश
ग्रामीणों की मानें तो साल 2004 और 2011 में भी नदी में हुए कटाव के कारण उन्हें विस्थापित होना पड़ा था. अधिकांश लोगों की जमीन नदी में समा चुकी है. लोग बेघर हो रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि उनके पास अब खाने-पीने को भी कुछ नहीं बचा है. सरकार भी उन पर ध्यान नहीं दे रही है.

लोगों ने बताई आपबीती
स्थानीय जलाल अहमद का कहना है कि लोग सड़क पर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं. अब तक प्रशासन या जनप्रतिनिधि से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली है. वह लोग किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं.

किशनगंज: जिले के बहादुरगंज प्रखण्ड स्थित खाड़ी टोल महेशबथना और केका हाट बस्ती में कंकई नदी से भीषण कटाव हो रहा है. जिस कारण लोगों में डर का माहौल है. ग्रामीण सड़कों और ऊंची जगहों पर पलायन करने को मजबूर नजर आ रहे हैं.

कंकई में कटाव के कारण लोग अपने कच्चे-पक्के मकानों को छोड़कर जान-माल की रक्षा करते देखे जा रहे हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो कटाव के कारण दर्जनों घर नदी में समा गए है. पीड़ित लोग कहते हैं कि कटाव झेलना उनकी नियति हो गई है. हर साल वे विस्थापित होते हैं.

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कंकई नदी से हो रहा कटाव

पहले भी झेल चुके हैं बाढ़ का दंश
ग्रामीणों की मानें तो साल 2004 और 2011 में भी नदी में हुए कटाव के कारण उन्हें विस्थापित होना पड़ा था. अधिकांश लोगों की जमीन नदी में समा चुकी है. लोग बेघर हो रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि उनके पास अब खाने-पीने को भी कुछ नहीं बचा है. सरकार भी उन पर ध्यान नहीं दे रही है.

लोगों ने बताई आपबीती
स्थानीय जलाल अहमद का कहना है कि लोग सड़क पर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं. अब तक प्रशासन या जनप्रतिनिधि से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली है. वह लोग किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं.

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