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किशनगंजः लाइन उर्दू मध्य विद्यालय में हेडमास्टर पद का विवाद सुलझा, जानें कौन बना प्रिंसिपल

किशनगंज के लाइन उर्दू मध्य विद्यालय में चल रहे हेडमास्टर पद का विवाद सुलझ गया है. हिंदी शिक्षिका झरना वाला साह जिला शिक्षा पदाधिकारी के समक्ष उर्दू मध्य विद्यालय में पदभार ग्रहण किया. पढ़ें पूरी खबर..

लाइन उर्दू मध्य विद्यालय
लाइन उर्दू मध्य विद्यालय
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Published : Sep 5, 2021, 1:14 AM IST

किशनगंजः जिले के लाइन उर्दू मध्य विद्यालय (Line Urdu Middle School) में चल रहे हेडमास्टर पद (Principal) को लेकर विवाद सुलझ गया है. हिंदी शिक्षिका झरना वाला साह जिला शिक्षा पदाधिकारी के समक्ष उर्दू मध्य विद्यालय में पदभार ग्रहण किया. बता दें कि इस स्कूल में उन्हें प्राचार्यॉ के पद का पदभार इसलिए ग्रहण नही करने दिया जा रहा था क्योंकि वो हिंदी मीडियम की शिक्षिका थीं.

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स्कूल के अभिभावक और स्कूल कमिटी टीम हिंदी मीडियम की शिक्षिका झरना वाला साह का विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि विद्यालय के प्राचार्य के पद पर किसी उर्दू मीडियम के शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की जाए. हालांकि, स्कूल के नाम के साथ उर्दू शब्द यानी लाइन उर्दू मध्य विद्यालय अवश्य लिखा हुआ है, लेकिन उस स्कूल में सभी विषयों की पढ़ाई होती है. बता दें कि शिक्षा विभाग ने स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्या अंजर अलीम को हिंदी भाषी शिक्षक मामले में ही निलंबित कर दिया था.

इसके बाद ठाकुरगंज के राजद विधायक सऊद आलम नदवी ने 20 अगस्त को जिला शिक्षा पदाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में उन्होंने लिखा कि लाइन उर्दू मध्य विद्यालय अल्पसंख्यक समुदाय का एक मात्र विद्यालय है. यहां शत-प्रतिशत उर्दू भाषी छात्र-छात्राएं पठन-पाठन करते हैं.

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झरना वाला के प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त करने के खिलाफ विधायक ने ज्ञापन के माध्यम से उन्हें विरमित करने की मांग की है. साथ ही किसी योग्य उर्दू शिक्षक को नियुक्त करने की मांग की है.

इधर भाजपा नेता ने इस पूरे मामले पर कहा है कि देश में ऐसा कानून नहीं है जिससे यह तय हो कि किसी भी स्कूल का प्रधानाचार्य हिंदू होगा या मुसलमान. उन्होंने राजद विधायक पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने मदरसे से पढ़ाई की तो उर्दू शिक्षक की मांग कर दी.

इसे भी पढ़ें- सील किये गये किशनगंज कस्टम ऑफिस को प्रशासन की मौजूदगी में खोला गया, तलाशी के दौरान नहीं मिली शराब

वहीं, हिंदी भाषी होने के कारण निलंबित किए गए प्रभारी शिक्षक अंजर अलीम ने कहा कि उन्हें साजिश के तहत निलंबित किया गया है, जबकि इसमें उनका कोई दोष नहीं है. उन्होंने कहा कि स्कूल कमेटी और अभिभावकों के द्वारा उनपर लगातार पदभार नहीं ग्रहण करने दिए जाने का दबाव बनाया जा रहा था. इधर, विवादों के बीच स्कूल के प्राचार्य के तौर पर योगदान देने वाली शिक्षिका ने कहा कि वे इस स्कूल का नाम रोशन करेंगी.

किशनगंजः जिले के लाइन उर्दू मध्य विद्यालय (Line Urdu Middle School) में चल रहे हेडमास्टर पद (Principal) को लेकर विवाद सुलझ गया है. हिंदी शिक्षिका झरना वाला साह जिला शिक्षा पदाधिकारी के समक्ष उर्दू मध्य विद्यालय में पदभार ग्रहण किया. बता दें कि इस स्कूल में उन्हें प्राचार्यॉ के पद का पदभार इसलिए ग्रहण नही करने दिया जा रहा था क्योंकि वो हिंदी मीडियम की शिक्षिका थीं.

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स्कूल के अभिभावक और स्कूल कमिटी टीम हिंदी मीडियम की शिक्षिका झरना वाला साह का विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि विद्यालय के प्राचार्य के पद पर किसी उर्दू मीडियम के शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की जाए. हालांकि, स्कूल के नाम के साथ उर्दू शब्द यानी लाइन उर्दू मध्य विद्यालय अवश्य लिखा हुआ है, लेकिन उस स्कूल में सभी विषयों की पढ़ाई होती है. बता दें कि शिक्षा विभाग ने स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्या अंजर अलीम को हिंदी भाषी शिक्षक मामले में ही निलंबित कर दिया था.

इसके बाद ठाकुरगंज के राजद विधायक सऊद आलम नदवी ने 20 अगस्त को जिला शिक्षा पदाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में उन्होंने लिखा कि लाइन उर्दू मध्य विद्यालय अल्पसंख्यक समुदाय का एक मात्र विद्यालय है. यहां शत-प्रतिशत उर्दू भाषी छात्र-छात्राएं पठन-पाठन करते हैं.

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झरना वाला के प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त करने के खिलाफ विधायक ने ज्ञापन के माध्यम से उन्हें विरमित करने की मांग की है. साथ ही किसी योग्य उर्दू शिक्षक को नियुक्त करने की मांग की है.

इधर भाजपा नेता ने इस पूरे मामले पर कहा है कि देश में ऐसा कानून नहीं है जिससे यह तय हो कि किसी भी स्कूल का प्रधानाचार्य हिंदू होगा या मुसलमान. उन्होंने राजद विधायक पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने मदरसे से पढ़ाई की तो उर्दू शिक्षक की मांग कर दी.

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वहीं, हिंदी भाषी होने के कारण निलंबित किए गए प्रभारी शिक्षक अंजर अलीम ने कहा कि उन्हें साजिश के तहत निलंबित किया गया है, जबकि इसमें उनका कोई दोष नहीं है. उन्होंने कहा कि स्कूल कमेटी और अभिभावकों के द्वारा उनपर लगातार पदभार नहीं ग्रहण करने दिए जाने का दबाव बनाया जा रहा था. इधर, विवादों के बीच स्कूल के प्राचार्य के तौर पर योगदान देने वाली शिक्षिका ने कहा कि वे इस स्कूल का नाम रोशन करेंगी.

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