ETV Bharat / state

किशनगंज: बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर में भक्तों का है अटूट विश्वास, दूर-दूर से आते हैं भक्त - मंदिर

116 वर्ष पुरानी इस मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि जो जिस मनोकामना के साथ आता है उसकी वह मनोकामनाएं मां पूरी करती है. यहां पूरी सादगी और विधि विधान के साथ मां की आराधना की जाती है.

बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर
author img

By

Published : Oct 6, 2019, 12:47 PM IST

किशनगंज: शहर के प्राचीन और प्रसिद्ध 116 वर्ष पुराना बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है. किशनगंज में सबसे पहले ब्रिटिश जमाने में सन् 1903 में बड़ीकोठी दुर्गा मंदिर में पुजा की शुरुआत की गई थी. इस प्राचीन मंदिर में शारदीय नवरात्र में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके अलावा मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम मां की पूजा और आरती निरंतर होती है. शारदीय नवरात्र के पहले दिन से ही मां के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

मनोकामनाएं होती हैं पूरी
बता दें कि किशनगंज में सबसे पहले ब्रिटिश जमाने में सन् 1903 में बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर मे पूजा की शुरुआत की गई थी. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि जो जिस मनोकामना के साथ आता है उसकी वह मनोकामना मां पूरी करती हैं. यहां पूरे विधि-विधान के साथ मां की आराधना की जाती है.

kishanganj
नवरात्र में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है

भक्तों का है अटूट श्रद्धा और विश्वास
श्रद्धालुओं का मानना है कि सच्ची श्रद्धा के साथ मांगी गई हर मुराद मां दुर्गा पूरी करती हैं. जिसके चलते भक्तों का इस मंदिर के प्रति लोगों का अटूट श्रद्धा और विश्वास है. स्थानीय बुजुर्ग ने बताया कि बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर शहर का सबसे पुराना और पहला मंदिर है. इस जगह सबसे पहले सार्वजनिक रूप से दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई थी. आज यह मंदिर किशनगंज के गौरव के रूप में जाना जाता है.

kishanganj
भक्तों का है अटूट विश्वास

एक ही पुरोहित के वंशज कराते हैं पूजा
बता दें कि एक ही पुरोहित के वंशज आज भी इस मंदिर में पूजा कराते है. सन् 1903 में सबसे पहले पुरोहित प्रगास पांडे थे. तब से अब तक उनके ही वंशज इस मंदिर में पुरोहित है. वर्तमान समय में तीसरी पीढ़ी पंडित धन्तोष पांडेय पूजा कराते हैं. जो हर वर्ष शारदीय नवरात्र के मौके पर लगातार नौ दिनों तक वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना करते हैं.

बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा का होता है विशेष श्रृंगार

प्रतिमा को दिया जाता है एक ही रूप
वहीं इस मंदिर की प्रतिमा को 34 वर्षों से पश्चिम बंगाल के जय पाल बनाते आ रहे हैं. प्रतिमा बनाने का कार्य मंदिर परिसर में ही एक महीने पहले से शुरू कर दिया जाता है. यहां मां की प्रतिमा को हमेशा एक ही रूप दिया जाता है. वहीं इस मंदिर में हर वर्ष पूजा में होने वाले सभी खर्च थिरानी ट्रस्ट करता है.

kishanganj
धंतोष पांडेय, पुरोहित

मां का होता है विशेष श्रृंगार
इस बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर में महालया की पहली पूजा से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है. लेकिन नवरात्र के अष्टमी और नवमी में मंदिर में पांव रखने तक की जगह नहीं मिलती. अष्टमी और नवमी में देर रात तक मां का विशेष श्रृंगार किया जाता है. उसके बाद सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है.

kishanganj
श्रद्धालु

किशनगंज: शहर के प्राचीन और प्रसिद्ध 116 वर्ष पुराना बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है. किशनगंज में सबसे पहले ब्रिटिश जमाने में सन् 1903 में बड़ीकोठी दुर्गा मंदिर में पुजा की शुरुआत की गई थी. इस प्राचीन मंदिर में शारदीय नवरात्र में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके अलावा मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम मां की पूजा और आरती निरंतर होती है. शारदीय नवरात्र के पहले दिन से ही मां के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

मनोकामनाएं होती हैं पूरी
बता दें कि किशनगंज में सबसे पहले ब्रिटिश जमाने में सन् 1903 में बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर मे पूजा की शुरुआत की गई थी. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि जो जिस मनोकामना के साथ आता है उसकी वह मनोकामना मां पूरी करती हैं. यहां पूरे विधि-विधान के साथ मां की आराधना की जाती है.

kishanganj
नवरात्र में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है

भक्तों का है अटूट श्रद्धा और विश्वास
श्रद्धालुओं का मानना है कि सच्ची श्रद्धा के साथ मांगी गई हर मुराद मां दुर्गा पूरी करती हैं. जिसके चलते भक्तों का इस मंदिर के प्रति लोगों का अटूट श्रद्धा और विश्वास है. स्थानीय बुजुर्ग ने बताया कि बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर शहर का सबसे पुराना और पहला मंदिर है. इस जगह सबसे पहले सार्वजनिक रूप से दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई थी. आज यह मंदिर किशनगंज के गौरव के रूप में जाना जाता है.

kishanganj
भक्तों का है अटूट विश्वास

एक ही पुरोहित के वंशज कराते हैं पूजा
बता दें कि एक ही पुरोहित के वंशज आज भी इस मंदिर में पूजा कराते है. सन् 1903 में सबसे पहले पुरोहित प्रगास पांडे थे. तब से अब तक उनके ही वंशज इस मंदिर में पुरोहित है. वर्तमान समय में तीसरी पीढ़ी पंडित धन्तोष पांडेय पूजा कराते हैं. जो हर वर्ष शारदीय नवरात्र के मौके पर लगातार नौ दिनों तक वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना करते हैं.

बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा का होता है विशेष श्रृंगार

प्रतिमा को दिया जाता है एक ही रूप
वहीं इस मंदिर की प्रतिमा को 34 वर्षों से पश्चिम बंगाल के जय पाल बनाते आ रहे हैं. प्रतिमा बनाने का कार्य मंदिर परिसर में ही एक महीने पहले से शुरू कर दिया जाता है. यहां मां की प्रतिमा को हमेशा एक ही रूप दिया जाता है. वहीं इस मंदिर में हर वर्ष पूजा में होने वाले सभी खर्च थिरानी ट्रस्ट करता है.

kishanganj
धंतोष पांडेय, पुरोहित

मां का होता है विशेष श्रृंगार
इस बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर में महालया की पहली पूजा से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है. लेकिन नवरात्र के अष्टमी और नवमी में मंदिर में पांव रखने तक की जगह नहीं मिलती. अष्टमी और नवमी में देर रात तक मां का विशेष श्रृंगार किया जाता है. उसके बाद सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है.

kishanganj
श्रद्धालु
Intro:किशनगंज शहर के प्राचीन और प्रसिद्ध 116 वर्ष पुराना बड़ीकोठी दुर्गा मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है।किशनगंज मे सबसे पहले ब्रिटिश जमाने में सन् 1903 मे बड़ीकोठी दुर्गा मंदिर मे पुजा की शुरुवात की गई थी।इस मंदिर में भक्तों का अटूट आस्था है।यहां आने वाले भक्तों की ऐसी आस्था कि एक बार अगर मां के दरबार में सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ भक्त पहुंच जाते हैं तो वह स्वतः मां की स्थाई भक्त बन जाते हैं। यही इस मंदिर की विशेषता है। हर दुखियों की दुख माँ हरती है। जो जिस मनोकामना के साथ पहुंचता है उसका हर मनोकामना मां पूरी करती है। मां की इस दरबार में हाजिरी लगाने वाले भक्तों पर मां की विशेष कृपा रहती है। यहां पूरी सादगी और विधि विधान के साथ मां की आराधना और पूजा की जाती है।

बाइटःधंतोष पांडेय, पुरोहित,बड़ीकोठी
बाइटःपंडित अशोक झा, श्रद्धालु
बाइटः राजेंद्र प्रसाद साह,बुर्जुग श्रद्धालु
बाइटः माला, श्रद्धालु


Body:शारदीय नवरात्र में विशेष पूजा अर्चना इस प्राचीन मंदिर मे होती है। इसके अलावा इस मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम मां की पूजा आरती निरंतर की जाती है। जिसमें सुबह-शाम स्थानीय भक्तों की भीड़ हर रोज उमड़ती है।यहां शारदीय नवरात्र के पहले दिन से ही मां के मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालुओं का मानना है की सच्ची श्रद्धा के साथ मांगी गई हर मुरादे मां दुर्गा पूरी करती है। जिस कारन इस मंदिर के प्रति लोगों का अटूट श्रद्धा और विश्वास है। मंदिर के रास्ते से होकर गुजरने वाले श्रद्धालुओं का शीष श्रद्धा से स्वयं मंदिर के समक्ष झुक जाता है। शहर के बीचों-बीच गुदरी बाजार में स्थित बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पूराना है। स्थानीय बुजुर्गों ने बताया कि 1903 में मंदिर की स्थापना हुआ था। बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर शहर के सबसे पुराने और पहला दुर्गा स्थान है। इस जगह सबसे पहले सार्वजनिक रूप से दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई थी।आज यह मंदिर किशनगंज के गौरव के रूप में जाना जाता है।


Conclusion:बतादे एक ही पुरोहित के वंशज आज भी पूजा करते आ रहे हैं ।सन् 1903 में सबसे पहला पुरोहित प्रगास पांडे थे। तब से अब तक उनके ही वंशज इस मंदिर में पुरोहित है। वर्तमान समय में तीसरा पीढ़ी पंडित धन्तोष पांडेय पूजा कराते हैं। और वह बनारस से शिक्षा ग्रहण किया है। जो हर वर्ष शारदीय नवरात्र के मौके पर लगातार नौ दिनों तक वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना करते हैं वही प्रतिदिन शाम में भव्य दुर्गा आरती व पाठ का आयोजन विधिवत तरीका से होता है। वही इस मंदिर में प्रतीमा भी 34 वर्षों से पश्चिम बंगाल के धर्मपुर के रहने वाला जय पाल प्रतिमा बनाते आ रहे हैं। जो इस बार भी बनाया है। प्रतिमा बनाने का कार्य मंदिर परिसर में ही किया जाता है। करीब एक माह पहले से ही प्रतिमा बनाने की कार्य शुरू हो जाता है। इससे भी बड़ा बात यहां हमेशा प्रतिमा को एक ही रूप दिया जाता है। वहीं इस मंदिर में हर वर्ष पूजा में आने वाले सभी खर्च थिरानी ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है। पूजा के नाम पर चंदा लोगों से नहीं लिया जाता है। हालाकी श्रद्धालुओं के मुरादें पूरी होते ही भक्तों के द्वारा गुप्तदान किया जाता हैं। इस बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर में ऐसे तो महालया के बाद पहला पूजा से ही मां दुर्गा की पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ मंदिर में जुटने लगती है। लेकिन अष्टमी और नवमी को मंदिर में पांव रखने तक का जगह नहीं मिलता है। अष्टमी और नवमी को माँ का विशेष शिंगार पुजा होता है। वही सुबह से जो मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। जो देर रात तक जारी रहता है। इस दौरान मंदिर परिसर में 2 दिनों तक मेला सा नजारा रहता है। वहीं सिर्फ किशनगंज के भक्त ही नहीं आसपास के क्षेत्र पश्चिम बंगाल सहित कई महानगरों से भी श्रद्धालु माँ के पास पहुचता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.