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नौकरी का मोह छोड़ हल्दी की खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं युवा, कम लागत में है ज्यादा मुनाफा

किशनगंज में गरीबी की मार झेल रहे किसान हल्दी की खेती कर काफी खुश हैं. इनका कहना है कि इसमें लागत भी कम लगती है और मुनाफा भी ज्यादा होता है.

किशनगंज में हल्दी की खेती
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Published : Oct 7, 2019, 10:49 AM IST

Updated : Oct 7, 2019, 1:27 PM IST

किशनगंज: जिला मुख्यालय से लगभग 40-45 किलोमीटर दूर बिहार-बंगाल सीमा पर स्थित मैदा गांव में किसान अब हल्दी की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. नवयुवक नौकरी के पीछे न जाकर खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इनका कहना है कि इससे इन्हें हर साल हजारों रुपये का फायदा होता है.

जिले के मैदा गांव में गरीबी की मार झेल रहे नवयुवकों ने ठान लिया है कि वो अपने बल बूते पर बेरोजगारी से आजादी पाएंगे. इसलिये उन्होंने हल्दी की खेती करनी शुरू की है. मोहम्मद नुरुल बताते हैं कि वो हल्दी की खेती से काफी खुश भी हैं. क्योंकि हल्दी का उपयोग रोजमर्रा की जिंदगी में काफी होता है. इसमें लागत भी कम लगती है और मुनाफा भी ज्यादा होता है.

kishanganj
किशनगंज में हल्दी की खेती

हल्दी की खेती से काफी मुनाफा
वहीं, कृषि वैज्ञानिक डॉ. हेमंत कुमार ने बताया कि हल्दी की खेती में काफी फायदा है. इसमें नगद पैसे की आमदनी है. इसे स्टोर करके नहीं रखना पड़ता है. ये जैसे ही तैयार होता है किसान इसे आसानी से बेच कर पैसे कमा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस खेती में जितना फायदा है उतनी ही सावधानी बरतने की भी जरूरत है.

पेश है रिपोर्ट

सावधानी से करें बीज का चयन
डॉ. हेमंत कुमार ने बताया कि सबसे पहले तो बीज का चयन करने में सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. उसके बाद इसके पौधों में कितनी दूरी होनी चाहिए और मिट्टी की जांच सबसे ज्यादा जरूरी है. हल्दी की खेती हमेशा ऊंचे खेतों में की जाती है, ताकि बरसात के मौसम में खेतों में पानी न ठहरे. अगर पानी का ठहराव हो जाता है तो हल्दी के पौधे नष्ट हो जाते हैं.

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हल्दी की खेती कर किसान हो रहे खुशहाल

हल्दी की खेती का विवरण
हल्दी की खेती छह या सात महीने की होती है. एक बीघे में हल्दी का दो क्विंटल बीज लग जाता है, जो 1500 से 1800 रुपए क्विंटल मिलता है. हल्दी की पूरी फसल में 50 किलो यूरिया और एक बोरी डीएपी डालते हैं. चार से पांच बार पानी देना पड़ता है. पेड़ से पेड़ की दूरी एक फीट रखते हैं और लाइन से लाइन की दूरी भी एक फीट होती है. एक बीघे में लगभग 5000 हजार से 6000 रुपए की लागत आती है. इसमें कच्चा माल लगभग 20 से 25 क्विंटल निकल आता है जिसका रेट 1200 से 1500 के बीच होता है. एक बीघे में लगभग 20 हजार का मुनाफा होता है. हल्दी को सुखाकर भी बाजारों में महंगे दामों पर बेची जाती है.

किशनगंज: जिला मुख्यालय से लगभग 40-45 किलोमीटर दूर बिहार-बंगाल सीमा पर स्थित मैदा गांव में किसान अब हल्दी की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. नवयुवक नौकरी के पीछे न जाकर खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इनका कहना है कि इससे इन्हें हर साल हजारों रुपये का फायदा होता है.

जिले के मैदा गांव में गरीबी की मार झेल रहे नवयुवकों ने ठान लिया है कि वो अपने बल बूते पर बेरोजगारी से आजादी पाएंगे. इसलिये उन्होंने हल्दी की खेती करनी शुरू की है. मोहम्मद नुरुल बताते हैं कि वो हल्दी की खेती से काफी खुश भी हैं. क्योंकि हल्दी का उपयोग रोजमर्रा की जिंदगी में काफी होता है. इसमें लागत भी कम लगती है और मुनाफा भी ज्यादा होता है.

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किशनगंज में हल्दी की खेती

हल्दी की खेती से काफी मुनाफा
वहीं, कृषि वैज्ञानिक डॉ. हेमंत कुमार ने बताया कि हल्दी की खेती में काफी फायदा है. इसमें नगद पैसे की आमदनी है. इसे स्टोर करके नहीं रखना पड़ता है. ये जैसे ही तैयार होता है किसान इसे आसानी से बेच कर पैसे कमा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस खेती में जितना फायदा है उतनी ही सावधानी बरतने की भी जरूरत है.

पेश है रिपोर्ट

सावधानी से करें बीज का चयन
डॉ. हेमंत कुमार ने बताया कि सबसे पहले तो बीज का चयन करने में सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. उसके बाद इसके पौधों में कितनी दूरी होनी चाहिए और मिट्टी की जांच सबसे ज्यादा जरूरी है. हल्दी की खेती हमेशा ऊंचे खेतों में की जाती है, ताकि बरसात के मौसम में खेतों में पानी न ठहरे. अगर पानी का ठहराव हो जाता है तो हल्दी के पौधे नष्ट हो जाते हैं.

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हल्दी की खेती कर किसान हो रहे खुशहाल

हल्दी की खेती का विवरण
हल्दी की खेती छह या सात महीने की होती है. एक बीघे में हल्दी का दो क्विंटल बीज लग जाता है, जो 1500 से 1800 रुपए क्विंटल मिलता है. हल्दी की पूरी फसल में 50 किलो यूरिया और एक बोरी डीएपी डालते हैं. चार से पांच बार पानी देना पड़ता है. पेड़ से पेड़ की दूरी एक फीट रखते हैं और लाइन से लाइन की दूरी भी एक फीट होती है. एक बीघे में लगभग 5000 हजार से 6000 रुपए की लागत आती है. इसमें कच्चा माल लगभग 20 से 25 क्विंटल निकल आता है जिसका रेट 1200 से 1500 के बीच होता है. एक बीघे में लगभग 20 हजार का मुनाफा होता है. हल्दी को सुखाकर भी बाजारों में महंगे दामों पर बेची जाती है.

Intro:किशनगंज:-किशनगंज के नवयुवक अब रूख कर रहे है खेती की और,इसका सबसे बड़ी वजह है किशनगंज में रोज़गार का न होना।जो नवयुवक नौकरी के पीछे भागते नज़र आते थे आज वो अपने हुनर और ज्ञान को नई तकनीक की खेती में लगा रहे है।


Body:किशनगंज:-किशनगंज के नवयुवक अब रूख कर रहे है खेती की और,इसका सबसे बड़ी वजह है किशनगंज में रोज़गार का न होना।जो नवयुवक नौकरी के पीछे भागते नज़र आते थे आज वो अपने हुनर और ज्ञान को नई तकनीक की खेती में लगा रहे है।
किशनगंज के नवयुवक खुद लिख रहे है अपनी किस्मत अपनी मेहनत के बल पर।
किशनगंज ज़िला मुख्यालय से लगभग 40-45 किलोमीटर दूर बिहार-बंगाल सिमा पर स्थित मैदा गाँव स्थित है,इस गाँव मे बहुत गरीबी है इसका कारण बेरोजगारी है पर अब हालात बदल रहे है।इस गाँव के नवयुवको ने ठान लिया है कि वो अपने बल पर इस बेरोजगारी से आज़ादी पाएंगे और इसीलिए उन्होंने खेती को चुना,खेती भी धान,या गेहूँ की नही।इन नवयुवको ने हल्दी की खेती करना चालू किया उन्हें इस खेती से मुनाफा हुआ तो अगले सीजन में ज्यादा खेतो में हल्दी लगाई।जिससे उन्हें नगद पैसे का मुनाफा होने लगा और उनकी समस्या भी कम होती गई और वो लोग ज्यादा से ज्यादा खेतो में हल्दी की खेती करने लगे है।



Conclusion:वही कृषि वैज्ञानिक डॉ हेमंत कुमार ने बताया कि हल्दी की खेती बहुत फायदे की खेती है इसमें नगद पैसे की आमदनी है,इसे स्टोर करके नही रखना पड़ता है ,ये जैसे ही तयार होता है किसान इसे आसानी से बेच कर पैसे कमा सकता है।
साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस खेती में जितना फायदा है उतनी ही सावधानी बरतने की ज़रूरत होती है, सबसे पहले तो बीज के चयन में सतर्कता बरतने की ज़रूरत होती है, उसके बाद इसके पौधों में कितनी दूरी होनी चाहिए, मिट्टी की जांच सबसे ज्यादा ज़रूरी होता है।हल्दी की खेती हमेसा ऊंचे खेतो में कई।जाती है ताकि बरसात के मौसम में खेतों में पानी ठहर न सके,,अगर पानी की ठहराव हो जाती है तो हल्दी के पौधे सड़ जाते है।

बाईट-डॉ हेमंत कुमार (कृषि वैज्ञानिक, कृषि केंद्र किशनगंज)
बाईट-मोहम्मद नुरुल ( किसान )
Last Updated : Oct 7, 2019, 1:27 PM IST
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