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किशनगंज के SP ने फ्रेंच में लिखी छठ महापर्व पर किताब, 54 देशों में फैल रहा पावन संदेश

नहाय खाय के साथ शुरू हुए छठ (Chhath) महापर्व को बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है. आज खरना है. आज के दिन व्रती रात में खीर खाकर फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखते हैं. इसी बीच हम आपको बताने जा रहे हैं कि बिहार कैडर के एक आईपीएस अफसर कुमार आशीष की कोशिश से आज 54 देशों के लोग आज इस पावन पर्व की महत्ता के बारे में जान-समझ रहे हैं.

IPS Kumar Ashish
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Published : Nov 9, 2021, 7:46 AM IST

किशनगंज: बिहार के किशनगंज (Kishanganj) जिले के एसपी कुमार आशीष (IPS Kumar Ashish) ने छठ महापर्व (Chhath Puja 2021) पर फ्रेंच भाषा में पुस्तक लिखी है. उनकी इस पुस्तक के जरिये 54 देशों में लोग छठ महापर्व की महिमा के बारे में जान रहे हैं. आस्था का महापर्व छठ की महिमा अपरमपार है. यह महापर्व सदियों से बिहारवासियों के मन में अपनी मिटटी और संस्कृति के प्रति लगाव और आस्था का संगम है. यह पर्व उन तमाम बिहारवासियों के लिए और खास हो जाता है जो इस वक्त अपनी मिटी से दूर देश-विदेश के किसी और हिस्से में होते हैं. ऐसी ही कुछ निराली बात बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी कुमार आशीष के साथ सन 2006-2007 में यहां से 9000 किलोमीटर दूर फ्रांस में हुई थी.

ये भी पढ़ें: शाम को खीर खाकर शुरू हो जाएगा छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास, कल पहला अर्घ्य

बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा निवासी आईपीएस ऑफिसर कुमार आशीष ने बताया 14 साल पहले जब वे फ्रांस में स्टडी टूर पर गए थे, तब वहां एक संगोष्ठी में कुछ फ्रेंच लोगों ने उनसे बिहार के बारे में कुछ रोचक और अनूठा बताने को कहा. उन्होंने बिहार के महापर्व छठ के बारे में विस्तार से उन लोगों को समझाया. फ्रेंच लोग इससे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कहा कि इस विषय पर फ्रांस के साथ फ्रेंच बोलने-समझने वाले अन्य 54 देशों तक भी इस पर्व की महत्ता और पावन संदेश पहुंचाना चाहिए.

देखें रिपोर्ट

स्वदेश लौटने के बाद एसपी आशीष ने इस पर्व के बारे में और गहन अध्ययन एवं बारीकी से शोध कर छठ पर्व को पूर्णत: परिभाषित करने वाला एक लेख "Chhath Pouja: l'adoration du Dieu Soleil" लिखा जोकि भारत सरकार के अंग भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् दिल्ली के द्वारा फ्रेंच भाषा में "rencontre avec l'Inde" नामक किताब में 2013 में प्रकाशित हुई.

इस लेख में आशीष ने छठ पर्व के सभी पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण कर फ्रांसीसी भाषा के लोगों के लिए इस महापर्व की जटिलताओं को समझने का एक नया आयाम दिया है. शुरुआत में वे बताते हैं कि छठ मूलत: सूर्य भगवान की उपासना का पर्व है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में धार्मिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक एवं आचारिक-व्यावहरिक कठोर शुद्धता रखी जाती है.

ये भी पढ़ें: Chhath Puja 2021: छठ पूजा में भोजपुरी गीत सुनते ही झूम उठते हैं बिहारी

'छठ' शब्द सिर्फ दिवाली के छठे दिन का ही द्योतक नहीं है बल्कि ये इंगित करता है की भगवान सूर्य की प्रखर किरणों की सकारात्मक ऊर्जा को हठ योग के छह अभ्यासों के माध्यम से एक आम आदमी कैसे आत्मसात कर सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकता है? इस पर्व के हर छोटे से छोटे विधान की योगिक और वैज्ञानिक महत्ता है. मसलन, साल में दो बार क्यों मनाया जाता है यह पर्व? सूर्य की उपासना के वक्त जल में खड़े रहने का आधार है? डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे का विचार है? सूप और दौरे का पूजा में क्या महत्व है? यह पूजा ऋग्वेद काल से शुरू हुई, महाभारत में धौम्य ऋषि के कहने पर द्रौपदी ने पांचो पांडवों के साथ छठ पर्व कर सूर्य की कृपा से अपना खोया राज्य वापस प्राप्त किया था. बिहार में इसका प्रचलन सूर्यपुत्र अंगराज कर्ण से शुरू होना माना जाता है.

कुमार आशीष भारतीय पुलिस सेवा के 2012 बैच के अधिकारी हैं. वे मधेपुरा तथा नालंदा में एसपी के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं. वर्तमान में वे किशनगंज के एसपी हैं. कुमार आशीष सामुदायिक पुलिसिंग के विभिन्न सफल प्रयोगों के लिए बिहार सहित पूरे देश में जाने जाते हैं. जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली से उन्होंने फ्रेंच भाषा में स्नातक, स्नातोकोत्तर तथा पीएचडी की है. पुलिसिंग के साथ पठन-पाठन और लेखन में भी उनकी व्यापक रूचि रही है. अब तक कई लेख विभिन्न जगहों से प्रकाशित हो चुके हैं.

ये भी पढ़ें: छठ को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी, भीड़-भाड़ वाले घाट पर वैक्सीनेशन की होगी व्यवस्था

किशनगंज: बिहार के किशनगंज (Kishanganj) जिले के एसपी कुमार आशीष (IPS Kumar Ashish) ने छठ महापर्व (Chhath Puja 2021) पर फ्रेंच भाषा में पुस्तक लिखी है. उनकी इस पुस्तक के जरिये 54 देशों में लोग छठ महापर्व की महिमा के बारे में जान रहे हैं. आस्था का महापर्व छठ की महिमा अपरमपार है. यह महापर्व सदियों से बिहारवासियों के मन में अपनी मिटटी और संस्कृति के प्रति लगाव और आस्था का संगम है. यह पर्व उन तमाम बिहारवासियों के लिए और खास हो जाता है जो इस वक्त अपनी मिटी से दूर देश-विदेश के किसी और हिस्से में होते हैं. ऐसी ही कुछ निराली बात बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी कुमार आशीष के साथ सन 2006-2007 में यहां से 9000 किलोमीटर दूर फ्रांस में हुई थी.

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बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा निवासी आईपीएस ऑफिसर कुमार आशीष ने बताया 14 साल पहले जब वे फ्रांस में स्टडी टूर पर गए थे, तब वहां एक संगोष्ठी में कुछ फ्रेंच लोगों ने उनसे बिहार के बारे में कुछ रोचक और अनूठा बताने को कहा. उन्होंने बिहार के महापर्व छठ के बारे में विस्तार से उन लोगों को समझाया. फ्रेंच लोग इससे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कहा कि इस विषय पर फ्रांस के साथ फ्रेंच बोलने-समझने वाले अन्य 54 देशों तक भी इस पर्व की महत्ता और पावन संदेश पहुंचाना चाहिए.

देखें रिपोर्ट

स्वदेश लौटने के बाद एसपी आशीष ने इस पर्व के बारे में और गहन अध्ययन एवं बारीकी से शोध कर छठ पर्व को पूर्णत: परिभाषित करने वाला एक लेख "Chhath Pouja: l'adoration du Dieu Soleil" लिखा जोकि भारत सरकार के अंग भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् दिल्ली के द्वारा फ्रेंच भाषा में "rencontre avec l'Inde" नामक किताब में 2013 में प्रकाशित हुई.

इस लेख में आशीष ने छठ पर्व के सभी पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण कर फ्रांसीसी भाषा के लोगों के लिए इस महापर्व की जटिलताओं को समझने का एक नया आयाम दिया है. शुरुआत में वे बताते हैं कि छठ मूलत: सूर्य भगवान की उपासना का पर्व है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में धार्मिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक एवं आचारिक-व्यावहरिक कठोर शुद्धता रखी जाती है.

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'छठ' शब्द सिर्फ दिवाली के छठे दिन का ही द्योतक नहीं है बल्कि ये इंगित करता है की भगवान सूर्य की प्रखर किरणों की सकारात्मक ऊर्जा को हठ योग के छह अभ्यासों के माध्यम से एक आम आदमी कैसे आत्मसात कर सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकता है? इस पर्व के हर छोटे से छोटे विधान की योगिक और वैज्ञानिक महत्ता है. मसलन, साल में दो बार क्यों मनाया जाता है यह पर्व? सूर्य की उपासना के वक्त जल में खड़े रहने का आधार है? डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे का विचार है? सूप और दौरे का पूजा में क्या महत्व है? यह पूजा ऋग्वेद काल से शुरू हुई, महाभारत में धौम्य ऋषि के कहने पर द्रौपदी ने पांचो पांडवों के साथ छठ पर्व कर सूर्य की कृपा से अपना खोया राज्य वापस प्राप्त किया था. बिहार में इसका प्रचलन सूर्यपुत्र अंगराज कर्ण से शुरू होना माना जाता है.

कुमार आशीष भारतीय पुलिस सेवा के 2012 बैच के अधिकारी हैं. वे मधेपुरा तथा नालंदा में एसपी के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं. वर्तमान में वे किशनगंज के एसपी हैं. कुमार आशीष सामुदायिक पुलिसिंग के विभिन्न सफल प्रयोगों के लिए बिहार सहित पूरे देश में जाने जाते हैं. जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली से उन्होंने फ्रेंच भाषा में स्नातक, स्नातोकोत्तर तथा पीएचडी की है. पुलिसिंग के साथ पठन-पाठन और लेखन में भी उनकी व्यापक रूचि रही है. अब तक कई लेख विभिन्न जगहों से प्रकाशित हो चुके हैं.

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