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प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का बुरा हाल, मवेशी और कुत्तों का बना आरामगाह

जिला मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर बेलवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल है. जबकि इस पीएचसी के भरोसे आधा दर्जन पंचायत के दर्जनों गांव के एक से डेढ़ लाख ग्रामीण है.

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Published : Jun 30, 2019, 3:01 PM IST

बेलवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

किशनगंज: बिहार में स्वास्थ्य विभाग की कमी के कारण हुई बच्चों की मौत के बाद उसपर सवालिया खड़े होने लगे हैं. वहीं, सीमावर्ती किशनगंज जिले में भी स्वास्थ्य विभाग राम भरोसे चल रहा है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा बदहाल होने से ग्रामीण मरीज परेशान हैं.

जिला मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर बेलवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल है. जबकि इस पीएचसी के भरोसे आधा दर्जन पंचायत के दर्जनों गांव के एक से डेढ़ लाख ग्रामीण है. बेलवा पीएचसी चिकित्सक, नर्स, कर्मचारी और फार्मासिस्ट की कमी से जूझ रहा है. पीएचसी परिसर में मवेशी और कुत्तों का चरागाह बना हुआ है. अस्पताल में गंदगी का ढेर है. शौचालय का हाल भी खास्ता है.

किशनगंज से खास रिपोर्ट

ऑपरेशन थिएटर का हाल बेहाल
इस पीएचसी के प्रसव वार्ड के ऑपरेशन थिएटर का ये हाल है कि यहां प्रसव करवाने आयी मरीज और बीमार हो जाय. यहां मरीज तो छोड़िये नर्स भी ओटी रूम में घुसने से पहले नाक में रुमाल लगा लेती हैं. कारण है ओटी रुम मे गंदे बदबू से मरीज और नर्स परेशान रहते हैं. लेकिन इसी गंदे और बदबूदार ओटी में प्रसव पीड़ा से कराहती मरीजों को प्रसव करवाया जाता है.

ज्यादातर प्रसव नर्स ही करवाती
ड्यूटी पर तैनात नर्स नेहा दास ने बताया कि ओटी में जमा गंदगी को लेने एनजीओ वाले के वाहन कभी-कभी आते हैं. जिस कारण काफी परेशानी हो रही है. वहीं एक मात्र महिला चिकित्सक होने के कारण ज्यादातर प्रसव नर्स ही करवाती हैं. महिला चिकित्सक सिर्फ ओपीडी में ही आती हैं. ऐसे में इस बदबूदार ओटी में नर्स किसी तरह प्रसव करवा देती हैं. लेकिन कई बार नर्सों की लापरवाही और अधूरी जानकारी के कारण जच्चा-बच्चा दोनों को जान गंवानी पड़ती है.

एक मिनट में एक मरीज की जांच
यहां पर तैनात डॉक्टर मरीजों की तकलीफ पूछकर ही दवाई लिख देते हैं. सिर्फ एक मिनट में ही एक मरीज की जांच डॉक्टर कर देते हैं. पीएचसी के नर्सों को पहचानना तक मुश्किल है. यहां की नर्स यूनिफॉर्म नहीं पहनती हैं. पूछने पर नर्स ने बताया कि सरकार यूनिफॉर्म का पैसा नहीं देती है. पीएचसी में कुल तीन चिकित्सक तैनात हैं, जिसमें दो पुरुष और एक महिला हैं. उसी में से एक पुरूष डॉक्टर प्रभारी भी हैं, जिस कारण अक्सर पीएचसी और कार्यालय के कार्य से उन्हें बाहर रहना पड़ता है.

दो बजे के बाद नहीं रहते डॉक्टर
ग्रामीणों ने बताया कि दो बजे के बाद इस पीएचसी में कोई भी डॉक्टर नहीं रहता है. इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. दोपहर में कोई भी अचानक बीमार पड़ता है तो उन्हें जिला मुख्यालय ले जाना पड़ता है. इस मामले में प्रभारी डॉक्टर से पूछने पर कहा कि बेलवा पीएचसी मे डॉक्टरों की कमी है. जल्द डॉक्टर की कमी दूर हो जायेगी.

किशनगंज: बिहार में स्वास्थ्य विभाग की कमी के कारण हुई बच्चों की मौत के बाद उसपर सवालिया खड़े होने लगे हैं. वहीं, सीमावर्ती किशनगंज जिले में भी स्वास्थ्य विभाग राम भरोसे चल रहा है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा बदहाल होने से ग्रामीण मरीज परेशान हैं.

जिला मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर बेलवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल है. जबकि इस पीएचसी के भरोसे आधा दर्जन पंचायत के दर्जनों गांव के एक से डेढ़ लाख ग्रामीण है. बेलवा पीएचसी चिकित्सक, नर्स, कर्मचारी और फार्मासिस्ट की कमी से जूझ रहा है. पीएचसी परिसर में मवेशी और कुत्तों का चरागाह बना हुआ है. अस्पताल में गंदगी का ढेर है. शौचालय का हाल भी खास्ता है.

किशनगंज से खास रिपोर्ट

ऑपरेशन थिएटर का हाल बेहाल
इस पीएचसी के प्रसव वार्ड के ऑपरेशन थिएटर का ये हाल है कि यहां प्रसव करवाने आयी मरीज और बीमार हो जाय. यहां मरीज तो छोड़िये नर्स भी ओटी रूम में घुसने से पहले नाक में रुमाल लगा लेती हैं. कारण है ओटी रुम मे गंदे बदबू से मरीज और नर्स परेशान रहते हैं. लेकिन इसी गंदे और बदबूदार ओटी में प्रसव पीड़ा से कराहती मरीजों को प्रसव करवाया जाता है.

ज्यादातर प्रसव नर्स ही करवाती
ड्यूटी पर तैनात नर्स नेहा दास ने बताया कि ओटी में जमा गंदगी को लेने एनजीओ वाले के वाहन कभी-कभी आते हैं. जिस कारण काफी परेशानी हो रही है. वहीं एक मात्र महिला चिकित्सक होने के कारण ज्यादातर प्रसव नर्स ही करवाती हैं. महिला चिकित्सक सिर्फ ओपीडी में ही आती हैं. ऐसे में इस बदबूदार ओटी में नर्स किसी तरह प्रसव करवा देती हैं. लेकिन कई बार नर्सों की लापरवाही और अधूरी जानकारी के कारण जच्चा-बच्चा दोनों को जान गंवानी पड़ती है.

एक मिनट में एक मरीज की जांच
यहां पर तैनात डॉक्टर मरीजों की तकलीफ पूछकर ही दवाई लिख देते हैं. सिर्फ एक मिनट में ही एक मरीज की जांच डॉक्टर कर देते हैं. पीएचसी के नर्सों को पहचानना तक मुश्किल है. यहां की नर्स यूनिफॉर्म नहीं पहनती हैं. पूछने पर नर्स ने बताया कि सरकार यूनिफॉर्म का पैसा नहीं देती है. पीएचसी में कुल तीन चिकित्सक तैनात हैं, जिसमें दो पुरुष और एक महिला हैं. उसी में से एक पुरूष डॉक्टर प्रभारी भी हैं, जिस कारण अक्सर पीएचसी और कार्यालय के कार्य से उन्हें बाहर रहना पड़ता है.

दो बजे के बाद नहीं रहते डॉक्टर
ग्रामीणों ने बताया कि दो बजे के बाद इस पीएचसी में कोई भी डॉक्टर नहीं रहता है. इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. दोपहर में कोई भी अचानक बीमार पड़ता है तो उन्हें जिला मुख्यालय ले जाना पड़ता है. इस मामले में प्रभारी डॉक्टर से पूछने पर कहा कि बेलवा पीएचसी मे डॉक्टरों की कमी है. जल्द डॉक्टर की कमी दूर हो जायेगी.

Intro:किशनगंज: बिहार मे स्वास्थ्य विभाग के कमी के कारन हुयी बच्चों की मौत के बाद जिस तरह पूरे बिहार में स्वास्थ्य विभाग में सवालिया निशान खड़ा हो गया है।वहीं सीमावर्ती किशनगंज जिले में भी स्वास्थ्य विभाग राम भरोसे चल रहा है।आज हम आपको देखाते है जिले के पीएचसी का खास्ता हाल।
किशनगंज जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा बदहाल होने से ग्रामीण मरीज बदहाल है। यही हाल जिला मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर बेलवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का। जबकि इस पीएचसी के भरोसे आधा दर्जन पंचायत के दर्जनों गांव के एक से डेढ़ लाख ग्रामीण है । चिकित्सक, नर्स, कर्मचारी व फार्मासिस्ट की कमी से जूझ रहा है बेलवा पीएचसी। ग्रामीणों का इलाज करते करते खुद आईसीयू में चला गया है।वहीं पीएचसी परिसर में मवेशी व कुत्तों का चरागाह बना हुआ है। गंदगी व शौचालय की भी खास्ता हाल है।

बाइटः डा.सी.एम.मिश्रा, प्रभारी चिकित्सक
बाइटःकिशोर कुमार कैसरी, प्रखंड अस्पताल प्रबंधक
बाइटः नेहा दास, नर्स
पीटूसी


Body:इस पीएचसी के प्रसव वार्ड के ऑपरेशन थिएटर का ये हाल है कि यहां प्रसव करवाने आयी मरीज और बिमार गिर जायेगी।यहां मरीज तो छोड़िये नर्स भी ओटी रूम में घुसने से पहले नांक मे रुमाल लगा लेती है।कारन ओटी रुम मे गंदे बदबू से मरीज व नर्स परेशान रहते है।लेकिन इसी गंदे बदबू मे ही प्रसव पीड़ा से कदराती मरीजों को प्रसव करवाया जाता हैं। गंदे बदबू का कारन है प्रसव के दौरान निकलने वाले गंदगी प्लेसेंटा कई दिनों तक ओटी रूम के डस्टबिन मे पड़ा रहता हैं।जिससे गंदे बदबू आने लगता है।ड्यूटी पर तैनात नर्स नेहा दास ने बताया की प्लेसेंटा को लेने एनजीओ वाले का वाहन कभी कभी आते हैं।जिस कारन काफी परेशानी हो रही है। वहीं एक मात्र महिला चिकित्सक होने के कारन ज्यादातर प्रसव नर्स ही करवाते हैं।महिला चिकित्सक सिर्फ ओपीडी में ही आती है। ऐसे में इस बदबू दार ओटी मे नर्स किसी तरह प्रसव करबा देते हैं लेकिन कई बार नर्सों की लापरवाही और अधुरा जानकारी के कारन जच्चा बच्चा दोनों को जान गबाना पड़ता है।


Conclusion:स्वास्थ्य विभाग जिले मे किसी तरह काम चलाउ पीएचसी चलाकर ग्रामीण मरीजों का भगवान भरोसे इलाज कर रहे है। यहां पर तैनात चिकित्सक मरीजों का तकलीफ पुछकर ही दवाई लिख देते हैं।सिर्फ़ एक मिनट में ही एक मरीज का जांच चिकित्सक कर देते है। वहीं पीएचसी के नर्सों को पहचाना तक मुश्किल है कारन यहां के नर्स युनिफोर्म तक नहीं पहनते है।पुछने पर बताया उन लोगों को सरकार युनिफोर्म का पैसा नहीं देता है।पीएचसी कूल तीन चिकित्सक तैनात है।जिसमें दो पुरुष व एक महिला वहीं एक पुरूष चिकित्सक प्रभारी भी है जिस कारन अक्सर पीएचसी व कार्यालय के कार्य से बेलवा से बाहर रहना पड़ता है।ग्रामीणों ने बताया की दो बजे के बाद इस पीएचसी मे कोई भी चिकित्सक नहीं रहता है। जिसे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है।दोपहर के कोई भी अचानक बीमार पड़ता है तो उन्हें जिला मुख्यालय ले आना पड़ता है।वहीं इस मामले में प्रभारी चिकित्सक से पुछने पर कहा बेलवा पीएचसी मे चिकित्सक की कमी है और जल्द चिकित्सक की कमी दूर हो जायेगी। वहीं प्रसव ओटी के गंदे बदबू के बारे पुछने पर कहा प्लेसेंटा को ले जाने के लिए एनजीओ वाला आता है लेकिन कुछ दिनों से नहीं आरहा फोन किया गया है। नहीं आने पर कारवाई की जायेगी।
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