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किशनगंज में बहने वाली सभी नदियों ने लिया विकराल रूप, खतरे के निशान को छू रहा है पानी

एसडीओ शाहनवाज अहमद नियाजी ने बताया कि महानंदा और डोंक नदी की पानी बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी घुस गया है. लेकिन प्रशासन ने बाढ़ को लेकर सभी तैयारी पूरी कर रखी है. लगातार नदियों के में बढ़ रहे पानी पर नजर रख रहे हैं.

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Published : Jul 13, 2019, 11:32 PM IST

नदी में बाढ़ का पानी

किशनगंज: नेपाल के तराई क्षेत्र और किशनगंज में एक सप्ताह से लगातार हो रही बारिश से नेपाल सीमा से सटे जिले से होकर बहने वाले सभी नदियां उफान पर हैं. नदियों के जलस्तर लगातार बढ़ने से नदी खतरे के निशान को छू रही है. बाढ़ की स्थिति को देखते हुए अब ग्रामीण क्षेत्र के लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में लगे हैं. बाढ़ आने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. हजारों एकड़ में लगे धान, अदरक, हल्दी जैसी फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है.

Kishanganj
नदी में बाढ़ का पानी

नदियों के बढ़ते जलस्तर से खौफ में ग्रामीण
सीमावर्ती जिला किशनगंज नेपाल और पहाड़ी क्षेत्र में सटे होने के कारण हर वर्ष बारिश के मौसम में इस इलाके में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो जाती है. किशनगंज जिले में बहने वाली महानंदा, डोंक, कनकई, रतुआ, मेची और कोल नदी बरसात के मौसम में खतरे के निशान से ऊपर बहती है. जिससे इलाके में तबाही और बर्बादी लोगों की किस्मत में लिखी रहती है. कई दिनों से नेपाल और उसके तराई क्षेत्र में लगातार बारिश होने से किशनगंज के सभी नदियां तांडव मचा रही है.वहीं ग्रामीण भी नदियों के बढ़ते जलस्तर से खौफ के साए में जी रहे हैं.

Kishanganj
बाढ़ से फसल बर्बाद

कई गांवों में घुसा पानी
जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर गाछपाड़ा पंचायत के टेघनमारी आदिवासी टोला में लोग अब घर छोड़ने को विवश हो गए हैं. लोगों के घरों में महानंदा का पानी घुस गया है. सभी आदिवासी परिवार अपना ठीकाना गांव के स्कूल को बनाया है. वहीं बेलवा,मोतिहारा तालुका,चकला, दौला, पिछला पंचायत के कई गांवों में नदी के पानी घुस जाने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है.

Kishanganj
गांवों में घुसा पानी

महानंदा और डोंक नदी में लगातार बढ़ रहा है पानी
शहरी क्षेत्रों के लोगों मे भी लगातार हो रही बारिश से एक बार फिर बाढ़ का डर सताने लगा है. जिले के लोग 2017 के अगस्त में आयी प्रलयकारी बाढ़ को अबतक नहीं भुला पाये हैं. एक बार फिर से 2019 के जुलाई में ही लोगों को बाढ़ का डर सताने लगा है. निचले इलाकों के लोग में रात जाग कर रह रहे हैं. वहीं महानंदा और डोंक नदी में पानी लगातार बढ़ रहा है. जिससे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ जैसा स्थिति पैदा हो गई है.

किशनगंज से खास रिपोर्ट

किसानों को सबसे अधिक नुकसान
जिले में बहने वाली नदियों में बाढ़ आने से लोगों का जिंदगी दुभर हो जाती है. जिले के 5 प्रखंड दिघलबैंक, कोचाधामन, ठाकुरगंज, किशनगंज, टेढ़ागि में नदियों का पानी घुस जाने से सबसे अधिक किसानों को नुकसान हुआ है. जहां खेतों में लगी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गया है. लगातार हो रही बारिश से शहर के विभिन्न सड़क तलाब में तब्दील हो गई है.

एसडीओ ने दी जानकारी
इस मामले में एसडीओ शाहनवाज अहमद नियाजी ने बताया कि महानंदा और डोंक नदी की पानी बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी घुस गया है. लेकिन प्रशासन ने बाढ़ को लेकर सभी तैयारी पूरी कर रखी है. लगातार नदियों के में बढ़ रहे पानी पर नजर रख रहे हैं. शनिवार दोपहर से हो रही लगातार तेज बारिश ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. शहर के कई आवासीय मोहल्लों में लोगों के घर मे पानी घुस गया है.

किशनगंज: नेपाल के तराई क्षेत्र और किशनगंज में एक सप्ताह से लगातार हो रही बारिश से नेपाल सीमा से सटे जिले से होकर बहने वाले सभी नदियां उफान पर हैं. नदियों के जलस्तर लगातार बढ़ने से नदी खतरे के निशान को छू रही है. बाढ़ की स्थिति को देखते हुए अब ग्रामीण क्षेत्र के लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में लगे हैं. बाढ़ आने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. हजारों एकड़ में लगे धान, अदरक, हल्दी जैसी फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है.

Kishanganj
नदी में बाढ़ का पानी

नदियों के बढ़ते जलस्तर से खौफ में ग्रामीण
सीमावर्ती जिला किशनगंज नेपाल और पहाड़ी क्षेत्र में सटे होने के कारण हर वर्ष बारिश के मौसम में इस इलाके में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो जाती है. किशनगंज जिले में बहने वाली महानंदा, डोंक, कनकई, रतुआ, मेची और कोल नदी बरसात के मौसम में खतरे के निशान से ऊपर बहती है. जिससे इलाके में तबाही और बर्बादी लोगों की किस्मत में लिखी रहती है. कई दिनों से नेपाल और उसके तराई क्षेत्र में लगातार बारिश होने से किशनगंज के सभी नदियां तांडव मचा रही है.वहीं ग्रामीण भी नदियों के बढ़ते जलस्तर से खौफ के साए में जी रहे हैं.

Kishanganj
बाढ़ से फसल बर्बाद

कई गांवों में घुसा पानी
जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर गाछपाड़ा पंचायत के टेघनमारी आदिवासी टोला में लोग अब घर छोड़ने को विवश हो गए हैं. लोगों के घरों में महानंदा का पानी घुस गया है. सभी आदिवासी परिवार अपना ठीकाना गांव के स्कूल को बनाया है. वहीं बेलवा,मोतिहारा तालुका,चकला, दौला, पिछला पंचायत के कई गांवों में नदी के पानी घुस जाने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है.

Kishanganj
गांवों में घुसा पानी

महानंदा और डोंक नदी में लगातार बढ़ रहा है पानी
शहरी क्षेत्रों के लोगों मे भी लगातार हो रही बारिश से एक बार फिर बाढ़ का डर सताने लगा है. जिले के लोग 2017 के अगस्त में आयी प्रलयकारी बाढ़ को अबतक नहीं भुला पाये हैं. एक बार फिर से 2019 के जुलाई में ही लोगों को बाढ़ का डर सताने लगा है. निचले इलाकों के लोग में रात जाग कर रह रहे हैं. वहीं महानंदा और डोंक नदी में पानी लगातार बढ़ रहा है. जिससे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ जैसा स्थिति पैदा हो गई है.

किशनगंज से खास रिपोर्ट

किसानों को सबसे अधिक नुकसान
जिले में बहने वाली नदियों में बाढ़ आने से लोगों का जिंदगी दुभर हो जाती है. जिले के 5 प्रखंड दिघलबैंक, कोचाधामन, ठाकुरगंज, किशनगंज, टेढ़ागि में नदियों का पानी घुस जाने से सबसे अधिक किसानों को नुकसान हुआ है. जहां खेतों में लगी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गया है. लगातार हो रही बारिश से शहर के विभिन्न सड़क तलाब में तब्दील हो गई है.

एसडीओ ने दी जानकारी
इस मामले में एसडीओ शाहनवाज अहमद नियाजी ने बताया कि महानंदा और डोंक नदी की पानी बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी घुस गया है. लेकिन प्रशासन ने बाढ़ को लेकर सभी तैयारी पूरी कर रखी है. लगातार नदियों के में बढ़ रहे पानी पर नजर रख रहे हैं. शनिवार दोपहर से हो रही लगातार तेज बारिश ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. शहर के कई आवासीय मोहल्लों में लोगों के घर मे पानी घुस गया है.

Intro:नेपाल के तराई क्षेत्र और किशनगंज में एक सप्ताह से लगातार हो रही बारिश से नेपाल सीमा से सटे बिहार के किशनगंज जिले से होकर बहने वाले सभी नदियां उफान पर है। नदियों के जलस्तर लगातार बढ़ने से नदी खतरे के निशान को छू रहा है। जिसे देखते हुए अब ग्रामीण क्षेत्र के लोग सुरक्षित स्थान के तलाश में लगे हैं। बाढ़ आने से किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है। जहां हजारों एकड़ में लगी धान, अदरक, हल्दी जैसी फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है।

बाइटः शाहनवाज अहमद नियाजी, एसडीओ, किशनगंज
बाइटः ग्रामीण


Body:सीमावर्ती जिला किशनगंज नेपाल और पहाड़ी क्षेत्र में सटे होने के कारण हर वर्ष बारिश के मौसम में इस इलाके में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो जाती है। किशनगंज जिले में बहने वाली महानंदा, डोंक, कनकई, रतुआ, मेची और कोल नदी बरसात के मौसम में खतरे के निशान से ऊपर बहती है। जिससे इलाके में तबाही और बर्बादी लोगों की किस्मत में लिखी रहती है। कई दिनों से नेपाल और उसके तराई क्षेत्र में लगातार बारिश होने से किशनगंज के सभी नदियां तांडव मचा रही है ।वहीं ग्रामीण भी नदियों के बढ़ते जलस्तर से खौफ के साए में जी रहे हैं।वहीं जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर गाछपाड़ा पंचायत के टेघनमारी आदिवासी टोला में लोग अब घर छोड़ने को विवश हो गए हैं।सभी के घरों में महानंदा का पानी घुस गया है।और सभी आदिवासी परिवार अपना ठीकाना गांव के स्कूल को बनाया है।वहीं बेलवा,मोतिहारा तालुका,चकला, दौला,पिछला पंचायत के कई गांवों मे नदी की पानी घुस जाने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गया है। वहीं शहरी क्षेत्रों के लोगों मे भी हो रहे लगातार बारिश से एक बार फिर बाढ़ का डर सताने लगा है। जिले के लोग 2017 के अगस्त में आयी प्रलयंकारी बाढ़ को अबतक नहीं भुला पाये है की फिर से 2019 के जुलाई में ही लोगों को एक बार फिर से डर सताने लगा है। निचले इलाकों के लोग रात जाग कर रह रहे है।वहीं महानंदा और डोंक नदी की पानी लगातार बढ़ रही हैं। एक बार फिर किशनगंज जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ जैसा स्थिति पैदा कर दिया है।


Conclusion:वहीं जिले में बहने वाली नदियों में बाढ़ आने से लोगों का जिंदगी दुबर हो जाती है। जिले के 5 प्रखंड दिघलबैंक, कोचाधामन, ठाकुरगंज, किशनगंज, टेढ़ागि में नदियों का पानी घुस जाने से सबसे अधिक किसानों को नुकसान हुआ है। जहां खेतों में लगी खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गया है। लगातार हो रही बारिश से शहर के विभिन्न सड़कों मे तलाब मे तब्दील हो गई है। वहीं इस मामले में एसडीओ शाहनवाज अहमद नियाजी ने बताया कि महानंदा डॉक नदी की पानी बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी घुस गया है। लेकिन प्रशासन बाढ़ को लेकर सभी तैयारी पूरी कर रखी है वहीं लगातार नदियों के में बढ़ रहे पानी पर नजर रख रहे हैं। वहीं आज शनिवार दोपहर से ही अबतक हो तेजरफ्तार से लगातार बारिश से लोगों का चिंता बरा दिया है।शहर के कई आवासीय मोहल्लों में लोगों के घर मे पानी घुस गया है।वहीं लगभग सभी सड़कें झील में तब्दील हो गया है।
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