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खेत में जुताई के समय मिला खजाना, ग्रामीणों में लूटने की मची होड़ - 19th century silver coins found in fields

मिले सिक्के 19वीं सदी के बताए जा रहे हैं. इनमें सन 1840 ईस्ट इंडिया कंपनी की विक्टोरिया क्वीन और 1877 के सिक्कों में विक्टोरिया एम्प्रेस की फोटो छपी हुई है. मामले की मजेदार बात ये है कि जिस किसान को ये सिक्के मिले उसने दो-तीन दिन तक पूरी बात छुपाकर रखी.

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Published : Sep 21, 2019, 7:49 PM IST

किशनगंज: जिले के भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित डाकू पारा गांव में जुताई के दौरान 19वीं सदी के सैकड़ों चांदी के सिक्के मिले हैं. सिक्के मिलने की जानकारी होते ही अन्य ग्रामीणों में इसे लूटने की होड़ मच गई. वहीं, अधिकारियों ने कुछ सिक्के बरामद किए हैं.

मिले सिक्के 19वीं सदी के बताए जा रहे हैं. इनमें सन 1840 ईस्ट इंडिया कंपनी की विक्टोरिया क्वीन और 1877 के सिक्कों में विक्टोरिया एम्प्रेस की फोटो छपी हुई है. मामले की मजेदार बात ये है कि जिस किसान को ये सिक्के मिले उसने दो-तीन दिन तक पूरी बात छुपाकर रखी. वहीं, खेत में और खजाने को ढूंढता रहा. इसके बाद अन्य ग्रामीणों का माथा ठनका. कीचड़ में किसान को सिक्का ढूंढते देख सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण खेत पहुंच गए. कुछ ग्रामीणों के हाथ दो-चार सिक्के लगे.

ये रहे कुछ सिक्के
ये रहे कुछ सिक्के

मिलता रहता है दबा हुआ खजाना-स्थानीय
दिघलबैंक प्रखंड स्थित ये गांव संयुक्त रूप से भारत और नेपाल में आता है. नेपाल के झापा जिले के पूंजीबारी बाजार के पास ये गांव पड़ता है. जानकर बताते हैं कि जिस खेत में चांदी के सैकड़ों सिक्के मिले हैं. वहां पर दो राजवंशी जमींदार भाइयों का आवास हुआ करता था. इनके नाम चंखु खुंदा और धुम्मा कृतनिया था. बताया जाता है कि दोनों भाइयों का कोई भी वंशज नहीं है. बुजुर्ग ग्रामीण यह भी बताते हैं कि पुराने जमाने में जमींदार चोर और डाकू से बचाव के लिए अपना खजाना जमीन में दबा कर रखते थे.

देखिए खास रिपोर्ट

इतिहास से जुड़ी चीजें मिल सकती हैं- स्थानीय
वहीं, इस क्षेत्र के लोगों का कहना है अक्सर घर की खुदाई या सड़क निर्माण में भी इस तरह के सिक्के निकलते हैं. लेकिन लोग मामले को दबा देते है. यदि पुरातत्व विभाग इस क्षेत्र में खुदाई करे तो इतिहास से जुड़े बहुत कुछ मिल सकता है.

विक्टोरिया की छाप
विक्टोरिया की छाप

क्या बोले डीएम.
वहीं, डीएम यशपाल मीणा ने इस बाबत कहा कि मीडिया के माध्यम से पूरी खबर पता चली है, अधिकारियों से बात हुई है, वो इस प्रकरण पर नजर बनाए हुए हैं. जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. पुरातत्व विभाग की टीम मौके पर पहुंच सिक्कों के बारे में जानकारी जुटाएगी.

चांदी का प्राचीन सिक्का
चांदी का प्राचीन सिक्का

किशनगंज: जिले के भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित डाकू पारा गांव में जुताई के दौरान 19वीं सदी के सैकड़ों चांदी के सिक्के मिले हैं. सिक्के मिलने की जानकारी होते ही अन्य ग्रामीणों में इसे लूटने की होड़ मच गई. वहीं, अधिकारियों ने कुछ सिक्के बरामद किए हैं.

मिले सिक्के 19वीं सदी के बताए जा रहे हैं. इनमें सन 1840 ईस्ट इंडिया कंपनी की विक्टोरिया क्वीन और 1877 के सिक्कों में विक्टोरिया एम्प्रेस की फोटो छपी हुई है. मामले की मजेदार बात ये है कि जिस किसान को ये सिक्के मिले उसने दो-तीन दिन तक पूरी बात छुपाकर रखी. वहीं, खेत में और खजाने को ढूंढता रहा. इसके बाद अन्य ग्रामीणों का माथा ठनका. कीचड़ में किसान को सिक्का ढूंढते देख सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण खेत पहुंच गए. कुछ ग्रामीणों के हाथ दो-चार सिक्के लगे.

ये रहे कुछ सिक्के
ये रहे कुछ सिक्के

मिलता रहता है दबा हुआ खजाना-स्थानीय
दिघलबैंक प्रखंड स्थित ये गांव संयुक्त रूप से भारत और नेपाल में आता है. नेपाल के झापा जिले के पूंजीबारी बाजार के पास ये गांव पड़ता है. जानकर बताते हैं कि जिस खेत में चांदी के सैकड़ों सिक्के मिले हैं. वहां पर दो राजवंशी जमींदार भाइयों का आवास हुआ करता था. इनके नाम चंखु खुंदा और धुम्मा कृतनिया था. बताया जाता है कि दोनों भाइयों का कोई भी वंशज नहीं है. बुजुर्ग ग्रामीण यह भी बताते हैं कि पुराने जमाने में जमींदार चोर और डाकू से बचाव के लिए अपना खजाना जमीन में दबा कर रखते थे.

देखिए खास रिपोर्ट

इतिहास से जुड़ी चीजें मिल सकती हैं- स्थानीय
वहीं, इस क्षेत्र के लोगों का कहना है अक्सर घर की खुदाई या सड़क निर्माण में भी इस तरह के सिक्के निकलते हैं. लेकिन लोग मामले को दबा देते है. यदि पुरातत्व विभाग इस क्षेत्र में खुदाई करे तो इतिहास से जुड़े बहुत कुछ मिल सकता है.

विक्टोरिया की छाप
विक्टोरिया की छाप

क्या बोले डीएम.
वहीं, डीएम यशपाल मीणा ने इस बाबत कहा कि मीडिया के माध्यम से पूरी खबर पता चली है, अधिकारियों से बात हुई है, वो इस प्रकरण पर नजर बनाए हुए हैं. जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. पुरातत्व विभाग की टीम मौके पर पहुंच सिक्कों के बारे में जानकारी जुटाएगी.

चांदी का प्राचीन सिक्का
चांदी का प्राचीन सिक्का
Intro:किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड स्थित भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा के से सटे भारत के डाकूपारा गांव से सटे नेपाल के एक गांव में जुताई के दौरान 19 वी सदी के सैकड़ों चांदी के सिक्के मिले। जिस गांव में सिक्के मिले हैं वह भारतीय गांव डाकू पारा से सटा है। एवं इसका नाम भी नेपाल के डाकूपारा है जो नेपाल के झापा जिले के पूंजीबारी बाजार के समीप है। (नोटःसिक्के का फोटो ईमेल से भेज दिए हैं।)


Body:एक किसान ट्रैक्टर से अपने खेत की जुताई कर रहा था इसी दौरान खेत में उसे कुछ मिट्टी से सने सिक्के मिले। सिक्के चांदी के हैं।इस बात की जानकारी दो तीन दिन बाद ग्रामीणों को होते ही खेत के आस पास पड़ोस के गांव के लोग का खेत में भीड़ जम गया। ग्रामीणों ने खेत पर सिक्के खोजना लगे इसी दौरान किसी को दो, तो किसी को पांच किसी को दस और किसी को दर्जनों और सिखों सिक्के मिले।वहीं भारतीय भी पिछे नहीं रहे वह भी खेत में पहुंच गए। नेपाल के जिस गांव में मिला है वह भारतीय सीमा से कुछ ही दूरी पर है।


Conclusion:खेत मे मिले सभी सिक्के 19 वी सदी के है और सन् 1840 ईस्ट इंडिया कंपनी के विक्टोरिया क्वीन एवं 1877 के सिक्कों में विक्टोरिया एंम्प्रेस का फोटो निशान छपे हुए हैं। मजेदार बात ये है जिस किसान के खेत में ये सिक्के मिले वह तीन दिनों तक बात छुपाकर खेत सिक्के डुडते रहे। लेकिन ग्रामीणों ने अकेले किसान को दो-तीन दिनों तक कीचड़ में कुछ ढूंढते देख अन्य ग्रामीणों का माथा ठनका फिर पता चला कि वह चांदी के सिक्के चुन रहा है। यो बात जंगल में आग की तरह फैल गई और गुरुवार और शुक्रवार को हजारों ग्रामीण खेत में सिक्का चुनने पहुंच गए दो दिनों तक जिसके हाथ जो लगा वह उसे लेकर चलता बना।जानकर बताते हैं कि जिस खेत में चांदी के सैकड़ों सिक्के मिले हैं। वहां पर दो राजबंशी जमींदार भाइयों का आवास हुआ करता था। इनके नाम चंखु खुंदा और धुम्मा कृतनिया था। बताया जाता है कि दोनों भाइयों का कोई भी वंशज नहीं है। बुजुर्ग ग्रामीण यह भी बताते हैं कि पुराने जमाने में जमींदार चोर और डाकू से बचाव के लिए अपने कीमती आभूषण और सिक्के बगैर को जमीन में दबा कर रखते थे। घटना क्षेत्र नेपाल में है और सिक्के 18 वीं सदी के हैं इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। वहीं इस क्षेत्र के लोगों का कहना है अक्सर घर की खुदाई या सड़क निर्माण व अन्य खुदाई में भी अक्सर इस तरह के सिक्के निकलते हैं। लेकिन लोग मामले को दबा देते है।यदि पुरातत्व विभाग इस क्षेत्र में खुदाई करे तो इतिहास से जुड़े बहुत कुछ मिल सकता है।
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