खगड़िया : नियमों की धज्जियां उड़ाने वाला खगड़िया के जिला प्रशासन का आंख खोल कर लापरवाही करने का मामला सामने आया है. तेलंगाना से 2 लोग आकर खगड़िया के नवादा गांव के लोगो से संपर्क में आ कर अगले दिन वापस चले गए, जबकि दोनों युवकों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखना था. लेकिन जिला प्रशासन ने दोनों को अनुमति दे कर तेलंगाना भेज दिया.
नहीं भेजा गया क्वॉरेंटाइन सेंटर
बीते 6 मई को तेलंगाना से खगड़िया एक स्पेशल ट्रेन आई थी, जिसमें करीब 1300 लोग खगड़िया स्टेशन पर उतरे थे, जो कि बिहार के सभी जिलों से थे. इनमें खगड़िया के चौथम प्रखंड के नवादा गांव से दो लोग थे. ऋषि कुमार और विकाश कुमार ये दोनों इसी ट्रेन से 6 मई को दिन के 10 बजे खगड़िया स्टेशन उतरे थे और अगले दिन 7 मई को सुबह 3:45 मिनट पर खगड़िया से वापस तेलंगाना चले गए. इनका आने का उद्देश्य ये था कि अपने गांव से इनको मजदूर ले कर जाना था.
सीधे शब्द में कहे तो ये मजदूरों के ठकेदार थे. इनका कमीशन तेलांगना के राइस मिल में फिक्स्ड था, जिसकी वजह से ये यहां के मजदूरों को ले कर गए. लेकिन इनसब के बीच सवाल ये खड़ा हुआ है कि की कैसे ये कोरोना के सबसे प्रभावित राज्य से बिहार के खगड़िया जिला आये और बिना क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजे. ये वापस भेज दिय गए?.
नियमों की उड़ाई गई धज्जियां
नवादा गांव के ये दोनों युवक अपने गांव में आ कर पूरे गांव के लोगों से सम्पर्क में आये थे. अगर ये कोरोना पॉजिटिव निकले, तो खगड़िया जिले का क्या होगा ? कौन जवदेही होगा ? सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि ये जिला प्रसाशन के नजर में ही खगड़िया उतरे और वापस भी जिला प्रसाशन की अनुमति से कैसे चले गए? जबकि कोरोना का नियम कहता है कि अगर कोई व्यक्ति अन्य राज्य से आता है, तो 21 दिन क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखना होता और उसके बाद उसको छोड़ा जाता है. लेकिन यहां सारे नियमों की धज्जियां उड़ाई गई. इस सारे मामले की पुष्टि तेलंगाना से आने वाले और अगले दिन जाने वाले व्यक्ति विकाश कुमार के पिता बिंदेश्वरी महतो ने की है. बिंदेश्वरी महतो ने पूरा वाक्या बताते हुए कहा कि मेरा बेटा आया था और 13 लोगों को साथ में लेकर वापस अगले दिन चला गया. वहीं, दूसरे व्यक्ति ऋषि कुमार के बड़े भाई सुजय कुमार ने भी माना कि मेरा भाई तेलंगाना से खगड़िया स्टेशन उतर कर सीधा घर आया.