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खगड़िया में नीलगायों के आंतक से परेशान किसान आत्महत्या करने को हैं मजबूर

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि 2017 में नीलगाय को मारने का नियम आया था. लेकिन एक साल में ही बदल दिया गया. विभाग के पास कोई साधन भी नहीं है कि नीलगायों को पकड़ा जा सके.

खगड़िया
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Published : Jan 9, 2020, 10:49 PM IST

खगड़िया: सरकार किसानों की समस्या को लेकर कई योजनाएं तो बनाती है. लेकिन योजनाएं कागजों पर ही सिमट कर रह जाती हैं. जिले के किसान नीलगाय के आतंक से परेशान हैं. इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. लेकिन इनको सुनने वाला कोई नहीं है.

जिले के अलौली प्रखंड में नीलगाय का काफी आतंक है. यहां नीलगाय खेतों में फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं. किसान नीलगाय से बचने के लिए खेतो को बांस और तार से घेरे लगा रहे हैं. लेकिन नीलगाय इस भी तोड़ कर खेतों में घुस जाते हैं. इससे खेतों में लगी हरी सब्जी, मक्का, सहित तेलहन फसल बर्बाद हो रहा है.

पेश है रिपोर्ट

'आत्महत्या करने को मजबूर किसान'
किसानों का कहना है कि रात में एक साथ 20 से 30 नीलगाय खेतों में प्रवेश कर जाते हैं. खेत में लगी फसल को चरने साथ-साथ बर्बाद कर देते हैं. इनकों रोकने को लेकर कई तरकीब अपनाया गया. लेकिन कोई काम नहीं आ रहा है. घर काफी दूर और ठंड का मौसम है, इसलिए रखवाली करने में भी असमर्थ हैं. कर्ज लेकर फसल लगाए हुए फसल भी बर्बाद हो गया. इस स्थिति में हम आत्महत्या करने को मजबूर हैं. प्रशासन हमारी समस्याओं का जल्द समाधान करे.

ये भी पढ़ें: मानव श्रृंखला के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में शिक्षक संघ ने दायर की जनहित याचिका

'विभाग के पास कोई साधन भी नहीं'
वहीं, वन विभाग के अधिकारी अभय कुमार ने बताया कि 2017 में नीलगाय को मारने का नियम आया था. लेकिन एक साल में ही बदल दिया गया. विभाग के पास कोई साधन भी नहीं है कि नीलगायों को पकड़ा जा सके. लेकिन किसान मांग करेंगे, तो पौधा सरंक्षण करने वाले मजदूरों के मदद से नीलगायों को पकड़ कर दूर छोड़ दिया जाएगा.

खगड़िया: सरकार किसानों की समस्या को लेकर कई योजनाएं तो बनाती है. लेकिन योजनाएं कागजों पर ही सिमट कर रह जाती हैं. जिले के किसान नीलगाय के आतंक से परेशान हैं. इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. लेकिन इनको सुनने वाला कोई नहीं है.

जिले के अलौली प्रखंड में नीलगाय का काफी आतंक है. यहां नीलगाय खेतों में फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं. किसान नीलगाय से बचने के लिए खेतो को बांस और तार से घेरे लगा रहे हैं. लेकिन नीलगाय इस भी तोड़ कर खेतों में घुस जाते हैं. इससे खेतों में लगी हरी सब्जी, मक्का, सहित तेलहन फसल बर्बाद हो रहा है.

पेश है रिपोर्ट

'आत्महत्या करने को मजबूर किसान'
किसानों का कहना है कि रात में एक साथ 20 से 30 नीलगाय खेतों में प्रवेश कर जाते हैं. खेत में लगी फसल को चरने साथ-साथ बर्बाद कर देते हैं. इनकों रोकने को लेकर कई तरकीब अपनाया गया. लेकिन कोई काम नहीं आ रहा है. घर काफी दूर और ठंड का मौसम है, इसलिए रखवाली करने में भी असमर्थ हैं. कर्ज लेकर फसल लगाए हुए फसल भी बर्बाद हो गया. इस स्थिति में हम आत्महत्या करने को मजबूर हैं. प्रशासन हमारी समस्याओं का जल्द समाधान करे.

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'विभाग के पास कोई साधन भी नहीं'
वहीं, वन विभाग के अधिकारी अभय कुमार ने बताया कि 2017 में नीलगाय को मारने का नियम आया था. लेकिन एक साल में ही बदल दिया गया. विभाग के पास कोई साधन भी नहीं है कि नीलगायों को पकड़ा जा सके. लेकिन किसान मांग करेंगे, तो पौधा सरंक्षण करने वाले मजदूरों के मदद से नीलगायों को पकड़ कर दूर छोड़ दिया जाएगा.

Intro:इन दिनों इलाके के किसानों को नीलगाय के आतंक से जूझना पड़ रहा है। झुंडों में आकर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचा रहै हैं। और ठंड के कारण किसान जहां रखवाली करने में मुस्तैद नहीं रह पा रहे हैं जिसका लाभ नीलगाय उठाने में लगे हैं।


Body:इन दिनों इलाके के किसानों को नीलगाय के आतंक से जूझना पड़ रहा है। झुंडों में आकर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचा रहै हैं। और ठंड के कारण किसान जहां रखवाली करने में मुस्तैद नहीं रह पा रहे हैं जिसका लाभ नीलगाय उठाने में लगे हैं।

जिले के नजदीकी खेत से लेकर के दूर के बधार तक नीलगाय का आतंक इन दिनों अपने चरम सीमा पर है। किसानों का कहना है कि खेतों में लगी मशहूर, तेलहन, हरी सब्जी, व मक्का, नीलगाय के द्वारा प्रतिदिन नष्ट कर दी जा रही है। एक साथ 15 से 30 नीलगाय खेतों में प्रवेश करते हैं। जिस खेत में झुंड जाता है उस खेत की फसल को चरने के अलावे बर्बाद भी कर देते हैं। नील गायों के तांडव से मुक्ति के लिए किसानों ने जिला प्रशासन व वन विभाग के अधिकारियों को कई बार आवेदन भी दिया गया ।लेकिन किसानों को राहत पहुंचाने की दिशा में आज तक कोई पहल नहीं किया जा सका है। जिससे किसानों में काफी आक्रोश व्याप्त हैं । किसान की मानें तो बधार में झुंड के झुंड नीलगायों को भगाने के लिए कई बार प्रयास किया गया है। इनके झुंड को खदेड़ कर कई बार ग्रामीण इलाके से दूर कर दिया जाता है। लेकिन अगले दिन वह पुनः लौट आते हैं। ऐसे में समझ नहीं आ रहा क्या उपाय किया जाए।

घेराव भी नही रोक पा रहा नीलगायों को
खगडिया के अलौली प्रखंड के किसान नीलगाय से बचने के लिए खेतो को बांस और तार से घेरे हुए है,इसके बाद खेतो में डराने वाले पुतले भी लगाए है लेकिन नीलगायों को इन किसानों का ये तरकीब भी नही रोक पाए रही है।

विओ 1
किरण देव चैरसिया खगड़िया के अलौली प्रखंड के किसान है ये मक्का की खेती किये है। और जंहा इनका खेत है वो इनके घर से काफी दूर पड़ता है तो ये रखवाली करने में भी असमर्थ है। ऐसे में हर रात नीलगाय खेत मे आ कर इनके फसल को बर्बाद कर रहे है। किरण देव चैरसिया इतने परेशान हो चुके है कि अब आत्महत्या की बात भी करने लगे है।

विओ 2
श्री लाल चैरसिया कहते है कि हम हरि सब्जी की खेती किये है वो भी कर्ज ले कर अगर सब्जी होने के पहले ही पुरी फसल नष्ट हो जायेगी तो हम कर्ज कैसे भुगतान करंगे। जिला प्रसाशन से आग्रह करते है कि हमारे समस्या को जल्द से जल्द दूर करे नही तो हम कंही के नही रहंगे।

विओ 3
राम सदन चैरसिया एक बुजुर्ग किसान है अपने नष्ट हुए फसल को दिखाते हुए etv bharat से कहते है कि आप ही देखिए क्या हाल हो रहा है हमारे फसल का। हम इतने पैसे वाले भी नही है कि खेतो को घेर सके।

वन्य प्राणी अधिनियम का लगता है डर
नीलगाय जंगली जीव है इसलिए इन्हें छूने एवं मारने पर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है जिसके कारण नीलगाय को ग्रामीण मारने से बेहद डरते हैं वन विभाग के अधिकारी की बात माने तो 2017 में यह नियम आया था कि नीलगाय को सूट कर दिया जाय लेकिन एक साल के अंदर ही फिर से इस नियम को बदल दिया गया और अब नीलगाय को मारना अपराध के श्रेणी में आता है। वन विभाग के अधिकारी अभय कुमार कहते है कि हमारे पास ऐसा कोई साधन भी नही है कि नीलगायों को पकड़ सके फिर भी अगर किसान आते है हमारे पास तो जो पौधा सरंक्षण करने वाले मजदूर है उनको ले कर जायंगे और नीलगायों को पकड़ कर दूर छोड़ आएंगे।


Conclusion:किसान को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जिला प्रसाशन को वन विभाग का सहारा लेना चाहिए और निर्देश दे कर उसको यंहा से दूर छोड़ आना चाहिए। और ये एक दिन में नही हो पायेगा इसलिए वह विभाग को नीलगाय से प्रभवित इलाके में कैम्प लगाना चाहिए और जड़ से इस समस्या को दूर करना चाहिए।
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