खगड़िया: जिले में बाढ़ के प्रकोप ने कई गांवों को उजाड़ दिया है. वहीं, कई अन्य क्षेत्र पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. खगड़िया प्रखंड के महुआ गांव में बूढ़ी गंडक नदी से कटाव हर मिनट हो रहा है. घरों के नीचे पानी आ गया है. लेकिन जिला प्रसाशन सिर्फ कार्यालयों में बैठकर बाढ़ से बचाने का काम कर रही है.
खगड़िया जिला सात नदियों से घिरा हुआ जिला है. बाढ़ के समय में हल्की सी बारिश भी नदियों को उफान पर ला देती है. ऐसी ही स्थिति खगड़िया ब्लॉक के मधुआ गांव में बनी हुई है. इस गांव के ठीक पास से बूढ़ी गंडक नदी बहती है. अभी की स्थिति ऐसी बनी है कि घंटे में गांव के घरों को बूढ़ी गंडक नदी निगल सकती है.
स्थानीय लोग है परेशान
बूढ़ी गंडक के कहर से स्थानीय ग्रामीण दहशत के में जी रहे है. मधुआ गांव के कटाव को रोकने के लिए जिला प्रशासन बिल्कुल तत्पर नहीं दिख रहा है. इस वजह से किसानों की उपजाऊ जमीन तेजी से बूढ़ी गंडक निगल रही है. यह कटाव सिर्फ इस साल ही नही कई सालों से हो रही है. जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं.
कोई नहीं है सुध लेने वाला
गांव के कटाव को रोकने के लिए ग्रामीणों ने प्रसाशन से ले कर मंत्री और जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत की. लेकिन कोई भी सुध लेने नही आया. किसी को खगड़िया के बाढ़ पीड़ितों की फिक्र नहीं है.
'करीब 700 बीघा जमीन आज 200 बीघा से भी कम बची है'
मधुआ गांव के बुजर्ग ग्रामीणों का कहना है कि मधुआ गांव के पास करीब 700 बीघा जमीन थी. जो कि आज 200 बीघा से भी कम बची है. इस साल के कटाव में अब तक 20 से 25 एकड़ उपजाऊ जमीन कट चुकी है. कई किसान आज के समय भूमिहिन हो गए है. इससे 5000 की आबादी के सामने खेती की जमीन का संकट गहरा रहा है. सरकार के तरफ से किसानों को मुआवजे की भी कोई राशि नहीं दी जा रही है.
अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं
बूढ़ी गंडक नदी के कटाव को लेकर जिला प्रसाशन लापरवाह है. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने विभागीय अधिकारियों से इस पर बात करने कि कोशिश की तो वे कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं हुए. जिला के मालिक कहे जाने वाले जिला अधिकारी भी इस पर बोलने से इनकार कर गए.