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खगड़िया: संकट में महुआ गांव का अस्तित्व, बूढ़ी गंडक के कटाव ने लीला 500 बीघा जमीन

मधुआ गांव के बुजर्ग ग्रामीणों का कहना है कि मधुआ गांव के पास करीब 700 बीघा जमीन थी. जो कि आज 200 बीघा से भी कम बची है. इस साल के कटाव में अब तक 20 से 25 एकड़ उपजाऊ जमीन कट चुकी है.

बूढ़ी गंडक के कारण कटान
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Published : Aug 7, 2019, 2:18 PM IST

खगड़िया: जिले में बाढ़ के प्रकोप ने कई गांवों को उजाड़ दिया है. वहीं, कई अन्य क्षेत्र पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. खगड़िया प्रखंड के महुआ गांव में बूढ़ी गंडक नदी से कटाव हर मिनट हो रहा है. घरों के नीचे पानी आ गया है. लेकिन जिला प्रसाशन सिर्फ कार्यालयों में बैठकर बाढ़ से बचाने का काम कर रही है.

खगड़िया जिला सात नदियों से घिरा हुआ जिला है. बाढ़ के समय में हल्की सी बारिश भी नदियों को उफान पर ला देती है. ऐसी ही स्थिति खगड़िया ब्लॉक के मधुआ गांव में बनी हुई है. इस गांव के ठीक पास से बूढ़ी गंडक नदी बहती है. अभी की स्थिति ऐसी बनी है कि घंटे में गांव के घरों को बूढ़ी गंडक नदी निगल सकती है.

खगड़िया
कटाव से नदी में मिलती खेती की जमीन

स्थानीय लोग है परेशान
बूढ़ी गंडक के कहर से स्थानीय ग्रामीण दहशत के में जी रहे है. मधुआ गांव के कटाव को रोकने के लिए जिला प्रशासन बिल्कुल तत्पर नहीं दिख रहा है. इस वजह से किसानों की उपजाऊ जमीन तेजी से बूढ़ी गंडक निगल रही है. यह कटाव सिर्फ इस साल ही नही कई सालों से हो रही है. जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं.

कोई नहीं है सुध लेने वाला
गांव के कटाव को रोकने के लिए ग्रामीणों ने प्रसाशन से ले कर मंत्री और जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत की. लेकिन कोई भी सुध लेने नही आया. किसी को खगड़िया के बाढ़ पीड़ितों की फिक्र नहीं है.

बूढ़ी गंडक के कारण कटान

'करीब 700 बीघा जमीन आज 200 बीघा से भी कम बची है'
मधुआ गांव के बुजर्ग ग्रामीणों का कहना है कि मधुआ गांव के पास करीब 700 बीघा जमीन थी. जो कि आज 200 बीघा से भी कम बची है. इस साल के कटाव में अब तक 20 से 25 एकड़ उपजाऊ जमीन कट चुकी है. कई किसान आज के समय भूमिहिन हो गए है. इससे 5000 की आबादी के सामने खेती की जमीन का संकट गहरा रहा है. सरकार के तरफ से किसानों को मुआवजे की भी कोई राशि नहीं दी जा रही है.

अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं
बूढ़ी गंडक नदी के कटाव को लेकर जिला प्रसाशन लापरवाह है. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने विभागीय अधिकारियों से इस पर बात करने कि कोशिश की तो वे कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं हुए. जिला के मालिक कहे जाने वाले जिला अधिकारी भी इस पर बोलने से इनकार कर गए.

खगड़िया: जिले में बाढ़ के प्रकोप ने कई गांवों को उजाड़ दिया है. वहीं, कई अन्य क्षेत्र पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. खगड़िया प्रखंड के महुआ गांव में बूढ़ी गंडक नदी से कटाव हर मिनट हो रहा है. घरों के नीचे पानी आ गया है. लेकिन जिला प्रसाशन सिर्फ कार्यालयों में बैठकर बाढ़ से बचाने का काम कर रही है.

खगड़िया जिला सात नदियों से घिरा हुआ जिला है. बाढ़ के समय में हल्की सी बारिश भी नदियों को उफान पर ला देती है. ऐसी ही स्थिति खगड़िया ब्लॉक के मधुआ गांव में बनी हुई है. इस गांव के ठीक पास से बूढ़ी गंडक नदी बहती है. अभी की स्थिति ऐसी बनी है कि घंटे में गांव के घरों को बूढ़ी गंडक नदी निगल सकती है.

खगड़िया
कटाव से नदी में मिलती खेती की जमीन

स्थानीय लोग है परेशान
बूढ़ी गंडक के कहर से स्थानीय ग्रामीण दहशत के में जी रहे है. मधुआ गांव के कटाव को रोकने के लिए जिला प्रशासन बिल्कुल तत्पर नहीं दिख रहा है. इस वजह से किसानों की उपजाऊ जमीन तेजी से बूढ़ी गंडक निगल रही है. यह कटाव सिर्फ इस साल ही नही कई सालों से हो रही है. जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं.

कोई नहीं है सुध लेने वाला
गांव के कटाव को रोकने के लिए ग्रामीणों ने प्रसाशन से ले कर मंत्री और जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत की. लेकिन कोई भी सुध लेने नही आया. किसी को खगड़िया के बाढ़ पीड़ितों की फिक्र नहीं है.

बूढ़ी गंडक के कारण कटान

'करीब 700 बीघा जमीन आज 200 बीघा से भी कम बची है'
मधुआ गांव के बुजर्ग ग्रामीणों का कहना है कि मधुआ गांव के पास करीब 700 बीघा जमीन थी. जो कि आज 200 बीघा से भी कम बची है. इस साल के कटाव में अब तक 20 से 25 एकड़ उपजाऊ जमीन कट चुकी है. कई किसान आज के समय भूमिहिन हो गए है. इससे 5000 की आबादी के सामने खेती की जमीन का संकट गहरा रहा है. सरकार के तरफ से किसानों को मुआवजे की भी कोई राशि नहीं दी जा रही है.

अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं
बूढ़ी गंडक नदी के कटाव को लेकर जिला प्रसाशन लापरवाह है. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने विभागीय अधिकारियों से इस पर बात करने कि कोशिश की तो वे कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं हुए. जिला के मालिक कहे जाने वाले जिला अधिकारी भी इस पर बोलने से इनकार कर गए.

Intro:बाढ़ अपना प्रचंड रूप दिखा रही है। बूढ़ी गंडक गांवों को उजाड़ने में जुट गई है।खगड़िया के खगडिया प्रखंड के मधुआ गांव में बूढ़ी गंडक नदी का कटाव हर मिनट हो रहा है घरों के नीचे पानी आ गया है। लेकिन जिला प्रसाशन सिर्फ कार्यालयों में बैठ कर ही बाढ़ से बचाने का काम कर रही है।


Body:बाढ़ अपना प्रचंड रूप दिखा रही है। बूढ़ी गंडक गांवों को उजाड़ने में जुट गई है।खगड़िया के खगडिया प्रखंड के मधुआ गांव में बूढ़ी गंडक नदी का कटाव हर मिनट हो रहा है घरों के नीचे पानी आ गया है। लेकिन जिला प्रसाशन सिर्फ कार्यालयों में बैठ कर ही बाढ़ से बचाने का काम कर रही है।

खगड़िया जिला सात नदियों से घिरा हुआ जिला है और बाढ़ के समय में हल्की सी बारिश भी नदियों को उफान पर ला देती है और यंहा की श्रापित नदिया कई -कई गावो को अपने गोद मे लिए आगे बढ़ जाती है कुछ ऐसी ही स्थिति खगड़िया के खगड़िया ब्लॉक के मधुआ गांव में बनी हुई है इस गांव के ठीक पास से बढ़ी गंडक नदी बहती है ।आज का समय मे परिस्थिति ऐसी बनी है कि मानो घण्टे 2 घण्टे में गांव के घरों को बूढ़ी गंडक नदी निगल सकती है।अस्थनीय ग्रामीण दहसत के साय में जी रहे है।विभाग की उपेक्षा कहे या मधुआ गांव के ग्रामीणों की बदकिस्मती लेकिन इसमें कोई दो राय नही है कि मधुआ गांव के कटाव को रोकने के लिए जिला प्रसाशन बिल्कुल ततपर नही दिख रहा है।इस वजह से किसानों की उपजाऊ जमीन तेजी से बूढ़ी गंडक निगल रहीं है।यह कटाव सिर्फ इस साल ही नही कई सालों से हो रही है।जिसकी शिकायत ग्रामीणों द्वारा प्रसाशन से ले कर मंत्री और जनप्रतिनिधियों से कई बार की गई फिर भी आज तक कोई भी इन पर रहम करने वाला नही आया।मधुआ गांव के बुजर्ग ग्रामीण कहते है कि मधुआ गांव के पास करीब 700 बीघा जमीन थी जो कि आज 200 से भी कम बची है। इस साल के कटाव में अब तक 20 से 25 एकड़ उपजाऊ जमीन कट चुकी है।कई किसान आज के समय भूमिहिन हो गए है और हद तो तब हो गई जब किसानों को मुआवजे का भी कोई प्रावधान नही दिया जा रहा है।
दूसरी समस्या इनलोगो की ये भी है गंडक के पुराने नियम हाथ गंडक के वजह से नदी के उस पार में जो जमीन निकलती है किसानो की वो भी भूस्वामी के हाथों से निकल जाती है।ग्रामीणों का कहना है कि उस जमीन में वो खेती करना चाहते है लेकिन दूसरे पक्ष के लोग हथियार के बल पर उस जमीन को नही जोतने देते है जबकि उस पार के जमीनों की राशिद भूस्वामी ही कटवाते है।लेकिन जमीन मालिको का कब्जा उस जमीन पर नही रह जाता।
इस कटाव को ले कर जिला प्रसाशन किस कदर लापरवाह है आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि कोई भी विभागीय अधिकारी जो इस से जुड़ा हुआ है वो कैमरे पर बोलने को तैयार नही हुआ यंहा तक कि जिला के मालिक कहे जाने वाले जिला अधिकारी भी इस पर बोलने से मना कर दिए।अब इन ग्रमीणों की किश्मत ऊपर वाले के हाथ मे ही दिखती है।


Conclusion:
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