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खगड़िया: यहां डॉक्टर नहीं गार्ड के कंधे पर पशु चिकित्सालय की जिम्मेदारी, क्या ऐसे होगा पशुओं का इलाज - मवेशी अस्पताल

मानसी प्रखंड के एक मात्र मवेशी अस्पताल में पदस्थापित डॉक्टर हर समय गायब रहते हैं. इससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी झेलना पड़ती है.

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मवेशी अस्पताल का हाल बेहाल
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Published : Jan 2, 2020, 2:56 PM IST

खगड़ियाः जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. चाहे वो आमजन का अस्पताल हो या मवेशियों का हर तरफ बदइंतजामी और लापरवाही का आलम है. मानसी प्रखंड स्थित एक मात्र मवेशी अस्पताल में डॉक्टरों की घोर कमी है. यहां एक ही डॉक्टर प्रभार में है, जो ज्यादातर गायब रहता है.

प्राइवेट अस्पताल में कराना पड़ता है इलाज
अस्पताल परिसर तो काफी बड़ा है, लेकिन स्थानीय लोग इसे गोबर, भूसा सहित कई समान रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं. ग्रामीण इसके आंगन में घोड़े और दूसरे कई जानवर बांधते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक सरकारी अस्पताल से उन्हें कोई मदद नहीं मिलती. यहां सिर्फ खानापूर्ती के लिए भवन है, लेकिन किसी काम का नहीं है. लोगों का कहना है कि आजतक किसी ने यहां पदस्थापित डॉक्टर को नहीं देखा. अस्पताल के चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी ही इलाज करते हैं. उन्होंने बताया कि इससे उन्हें मवेशियों का इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराना पड़ता है.

मवेशी अस्पताल का हाल बेहाल

नाइट गार्ड करते हैं मवेशियों का इलाज
वहीं, अस्पताल के डॉक्टर किशोर कुमार झा ने बताया कि वे नन्हकू टोला मवेशी अस्पताल में पदस्थापित हैं. इसके साथ ही मवेशी अस्पताल की जिम्मेदारी भी उन्हें ही दी गई है. उन्होंने बताया कि सप्ताह में दो दिन सोमवार और मंगलवार को वे यहां आते हैं. 20 साल से अस्पताल में नाइट गार्ड रहे नारायण झा ने बताया कि वे 1999 से यहां पदस्थापित हैं. तब से वे बीमार जानवरों की दवाई करते आ रहे हैं.

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मवेशी को इंजेक्शन लगाते नाइट गार्ड

कार्रवाई की मांग
इधर, सदर विधायक पूनम यादव ने कहा कि अस्पताल मवेशियों के इलाज के लिए बनाया गया है. लेकिन अफसोस है कि डॉक्टर की कमी की वजह से उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है. विधायक ने कहा कि वे इस मामले पर आला अफसरों से लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग करेंगी.

खगड़ियाः जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. चाहे वो आमजन का अस्पताल हो या मवेशियों का हर तरफ बदइंतजामी और लापरवाही का आलम है. मानसी प्रखंड स्थित एक मात्र मवेशी अस्पताल में डॉक्टरों की घोर कमी है. यहां एक ही डॉक्टर प्रभार में है, जो ज्यादातर गायब रहता है.

प्राइवेट अस्पताल में कराना पड़ता है इलाज
अस्पताल परिसर तो काफी बड़ा है, लेकिन स्थानीय लोग इसे गोबर, भूसा सहित कई समान रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं. ग्रामीण इसके आंगन में घोड़े और दूसरे कई जानवर बांधते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक सरकारी अस्पताल से उन्हें कोई मदद नहीं मिलती. यहां सिर्फ खानापूर्ती के लिए भवन है, लेकिन किसी काम का नहीं है. लोगों का कहना है कि आजतक किसी ने यहां पदस्थापित डॉक्टर को नहीं देखा. अस्पताल के चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी ही इलाज करते हैं. उन्होंने बताया कि इससे उन्हें मवेशियों का इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराना पड़ता है.

मवेशी अस्पताल का हाल बेहाल

नाइट गार्ड करते हैं मवेशियों का इलाज
वहीं, अस्पताल के डॉक्टर किशोर कुमार झा ने बताया कि वे नन्हकू टोला मवेशी अस्पताल में पदस्थापित हैं. इसके साथ ही मवेशी अस्पताल की जिम्मेदारी भी उन्हें ही दी गई है. उन्होंने बताया कि सप्ताह में दो दिन सोमवार और मंगलवार को वे यहां आते हैं. 20 साल से अस्पताल में नाइट गार्ड रहे नारायण झा ने बताया कि वे 1999 से यहां पदस्थापित हैं. तब से वे बीमार जानवरों की दवाई करते आ रहे हैं.

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मवेशी को इंजेक्शन लगाते नाइट गार्ड

कार्रवाई की मांग
इधर, सदर विधायक पूनम यादव ने कहा कि अस्पताल मवेशियों के इलाज के लिए बनाया गया है. लेकिन अफसोस है कि डॉक्टर की कमी की वजह से उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है. विधायक ने कहा कि वे इस मामले पर आला अफसरों से लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग करेंगी.

Intro:खगडिया का आम अस्पताल हो ये जानवरो का मवेशी अस्पताल दोनों का हाल बेहाल ही है, इंसान के अस्पताल से भी डॉक्टर गायब रहते है और मवेशी अस्पताल भी डॉक्टर गायब रहते है दोनों को देखने वाला जिला में कोई नही है।
खगड़िया के मानशी प्रखंड स्थित एक मात्र मवेशी अस्पताल में एक डॉक्टर प्रभार में है जो कि हर समय गायब ही रहते है।


Body:खगडिया का आम अस्पताल हो ये जानवरो का मवेशी अस्पताल दोनों का हाल बेहाल ही है, इंसान के अस्पताल से भी डॉक्टर गायब रहते है और मवेशी अस्पताल भी डॉक्टर गायब रहते है दोनों को देखने वाला जिला में कोई नही है।
खगड़िया के मानशी प्रखंड स्थित एक मात्र मवेशी अस्पताल में एक डॉक्टर प्रभार में है जो कि हर समय गायब ही रहते है। डॉक्टर साहब खगडॉय के नन्हकू टोला मवेशी अस्पताल में पदस्थापित है लेकिन मानशी प्रखंड के मवेशी अस्पताल को भी इनके जिम्मे दिया गया है।और जिला प्रसाशन के तरफ से तय किया गया है कि सप्ताह में सोमवार और मंगलवार दो दिन डॉक्टर साहब को यंहा बैठ कर मवेशियों के इलाह करना है।
लेकिन डॉक्टर साहब ये दो दिन भी यंहा से गायब रहते है।
अब जरा आसपास के ग्रामीण क्या कहते है ये भी सुन लीजये,ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि सरकारी मवेशी अस्पताल से हमे कोई लाभ नही मिलता ये सिर्फ नाम के लिए यंहा बिल्डिंग है। क्यों कि यंहा पर डॉक्टर कौन है इनको हम कभी देखे ही नही । मवेशियों का इलाज प्राइवेट जगह ही कराना पड़ता है। या चतुर्थ वर्ग के यंहा के कर्मचारी करते है ईलाज।

नाइट गार्ड करते है इलाज
मनशी प्रखंड में 20 साल से अपना सेवा दे रहे रात्रि प्रहरी के गार्ड ईज नरायन झा मवेशियों का इलाज के लिए दवा और सूई करते है। गार्ड का कहना है कि 1999 से यंहा पर पदस्थापित है गार्ड के पोस्ट पर तब से दवा सुई करते आ रहे है अब तो बहुत जनकारी हो गई है उसी के बदौलत यंहा आय हुए बीमार जानवरो का इलाज कर देते है।

अस्पताल में अतिक्रमण
अस्पताल का परिसर बड़ा है और स्टाफ की कमी के वजह से अस्थनीय लोगो द्वारा अस्पताल के परिसर को निजी इस्तमाल किया जाता है। अस्पताल के कई कमरे में अस्थनीय लोगो द्वारा गोबर,भूंसा, कुटी कल सहित कई समान रखे गए है। अस्पताल परिसर के आनंगन में घोड़ा,और जानवर बंधे जाते है। जिन ग्रामीणों के द्वारा अतिक्रमण किया गया है।उन लोगो का कहना है कि अस्पताल में कोई आता जाता नहीं है इसलिए हम इसका इस्तेमाल करते है।जिस दिन यंहा सब सुविधा बहाल हो जयगा इस दिन ये सब हटा लेंगे।

वंही डॉक्टर किशोर कुमार झा जो कि मनशी मवेशी अस्पताल के प्रभार में है उनका कहना है कि अपने नन्हकू टोला अस्पताल में ज्यादा समय देते है और वंहा से इस अस्पताल की दूरी ज्यादा पैड जाती है इसलिए आने में देरी हो जाती है लेकिन जो मेरा आने का दिन है उस दो दिन जरूर आते है। अतिक्रमण के सवाल पर डॉक्टर साहब ने कहा कि हमे अपने परिसर की जानकारी नही है क्यों कि हमको आये सिर्फ 9 महीने ही इस अस्पताल में हुआ है ।अब हम इस बात की जनकारी ले लेते है और जिला प्रसाशन को लिख कर अतिक्रमण मुक्त कराते है।

इस मामले में अस्थनीय सदर विधयाक पूनम यादव ने कहा कि बहुत दुख होता है देख कर की सरकारी सुविधा लोगो को नही मिल रही है।ये अस्पताल आम लोगो के सुविधा के लिए दिया गया है।लेकिन ऑफ़सोस है कि आम लोगो को सुविधा डॉक्टर की कमी के वजह से नही मिल पा रही है। विधयाक ने कहा कि इस मामले को आला अधिकारियों तक ले कर जायँगी।

बाइट-ग्रामीण
बाइट- राज नारयण झा,नाइट गार्ड
बाइट-किशोर कुमार झा,डॉक्टर
आधिकारिक बाइट-पूनम यादव,खगड़िया विधयाक


Conclusion:राज्य सरकार को चाहिए कि मवेशी डॉक्टर की संख्या बढ़ाए और हर जिले में जितने मवेशी डॉक्टरों की जरूरत हो उसको उपलब्ध कराय साथ ही जिला प्रसाशन को ये देखना होगा कि कौन डॉक्टर अपने कर्तव्य में लापरवाही बरत रहे है लापरवाह डॉक्टर पर कड़ी करवाई कर के सभी डॉक्टरों को सबक दे।
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