खगड़ियाः जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. चाहे वो आमजन का अस्पताल हो या मवेशियों का हर तरफ बदइंतजामी और लापरवाही का आलम है. मानसी प्रखंड स्थित एक मात्र मवेशी अस्पताल में डॉक्टरों की घोर कमी है. यहां एक ही डॉक्टर प्रभार में है, जो ज्यादातर गायब रहता है.
प्राइवेट अस्पताल में कराना पड़ता है इलाज
अस्पताल परिसर तो काफी बड़ा है, लेकिन स्थानीय लोग इसे गोबर, भूसा सहित कई समान रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं. ग्रामीण इसके आंगन में घोड़े और दूसरे कई जानवर बांधते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक सरकारी अस्पताल से उन्हें कोई मदद नहीं मिलती. यहां सिर्फ खानापूर्ती के लिए भवन है, लेकिन किसी काम का नहीं है. लोगों का कहना है कि आजतक किसी ने यहां पदस्थापित डॉक्टर को नहीं देखा. अस्पताल के चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी ही इलाज करते हैं. उन्होंने बताया कि इससे उन्हें मवेशियों का इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराना पड़ता है.
नाइट गार्ड करते हैं मवेशियों का इलाज
वहीं, अस्पताल के डॉक्टर किशोर कुमार झा ने बताया कि वे नन्हकू टोला मवेशी अस्पताल में पदस्थापित हैं. इसके साथ ही मवेशी अस्पताल की जिम्मेदारी भी उन्हें ही दी गई है. उन्होंने बताया कि सप्ताह में दो दिन सोमवार और मंगलवार को वे यहां आते हैं. 20 साल से अस्पताल में नाइट गार्ड रहे नारायण झा ने बताया कि वे 1999 से यहां पदस्थापित हैं. तब से वे बीमार जानवरों की दवाई करते आ रहे हैं.
कार्रवाई की मांग
इधर, सदर विधायक पूनम यादव ने कहा कि अस्पताल मवेशियों के इलाज के लिए बनाया गया है. लेकिन अफसोस है कि डॉक्टर की कमी की वजह से उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है. विधायक ने कहा कि वे इस मामले पर आला अफसरों से लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग करेंगी.