खगड़िया: बिहार के कई जिलों में चमकी बुखार से अब तक 194 बच्चों की मौत हो चुकी है. ये बीमारी ज्यादातर एक से 7 साल के बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है. कहा जा रहा है कि गन्दगी और कुपोषण के कारण ये बीमारी ज्यादा फैलती है. लेकिन खगड़िया स्वास्थ्य विभाग इतनी बड़ी घटना के बाद भी सचेत नहीं है. लोगों में जागरूकता की कमी है. बच्चे गन्दगी और गटर के बीच रह रहे हैं. इनमें से ज्यादातर बच्चे अतिपिछड़ी जाति के हैं.
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
खगड़िया के रसोक गांव में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ तौर पर दिखाई दे रही है. वहां रह रहे लोगों को जागरूक नहीं किया गया है. लोगों का कहना है कि मौसम में बदलाव होने के कारण उनके बच्चों की तबीयत बिगड़ रही है. ऐसे में उन्हें डर है कि कहीं उनके बच्चों को भी चमकी बुखार जैसी खतरनाक बीमारी ना हो जाए. स्थानीय महिलाओं का कहना है कि उनकी समझ में नहीं आ रहा कि बच्चों का कैसे ख्याल रखा जाए. कोई भी अधिकारी उन्हें बताने और समझाने नहीं आता है.
लोगों के बीच नहीं चलाया गया जागरूकता कार्यक्रम
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इसे रोकने का सबसे पहला उपाय सफाई और बढ़िया पोषण है. लेकिन खगड़िया जिले में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है. स्वास्थ्य विभाग या जिला प्रसाशन की ओर से जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है. अगर स्वास्थ्य विभाग समय रहते सचेत नहीं हुआ तो ये खतरनाक बीमारी खगड़िया में भी दस्तक दे सकती है. हालांकि अभी तक ऐसा मामला सामने नहीं आया है.
'चमकी से निपटने के लिए पूरी है व्यवस्था'
बहरहाल इस मामले में खगड़िया सदर अस्पताल के सिविल सर्जन दिनेश कुमार निर्मल का कहना है कि चमकी बुखार से निपटने के सारी व्यवस्था कर ली गई है. डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को भी निर्देश दे दिया गया है. बीमारी को देखते हुए सारी दवाईयां भी मंगा ली गई हैं.
खगड़िया सदर अस्पताल में क्या है सुविधा:
- 11 डॉक्टरों की टीम बनाई गई है.
- 2 चाइल्ड स्पेसलिस्ट डॉक्टर को ट्रेनिग दी गई है.
- 7 बेड का पीकू वार्ड बनाया गया है.
- 30 ऑक्सीजन सिलेंडर रखे गए हैं.
- सारी दवाईयां स्टॉक में रखी गई हैं.