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खगड़िया: 4 महीने पहले ODF घोषित हुआ था जिला, लेकिन इस गांव में नहीं है एक भी शौचालय

गांव के लोगों का कहना है कि हमने  जिला प्रशासन के सलाह पर कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण करवाया लेकिन प्रशासन के उदासिनता के कारण आज लगभग 2 साल बितने के बाद भी शौचालय निर्माण की राशि नहीं मिल पाया है.

खगड़िया सरकारी कागजों पर है ओडीएफ घोषित
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Published : Aug 23, 2019, 12:13 AM IST

खगड़िया: जिले को विगत 4 माह पहले ओडीएफ घोषित कर दिया गया था. लेकिन इस मामले में जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. ईटीवी भारत ने ओडीएफ का सच जानने के लिए जिले के मधुआ गांव की पड़ताल की तो सच इससे परे निकला. जिले के इस गांव में सैकड़ों लोगों के पास शौचालय नहीं है. गांव के लगभग 80 प्रतिशत लोगों को अब तक शौचालय निर्माण का पैसा नहीं मिला है.

खगड़िया जिले का मधुआ गांव
खगड़िया जिले का मधुआ गांव

4 महीने पहले किया गया था ओडीएफ घोषित
बताया जाता है कि जिला प्रशासन को जिले को कम समय में ओडीएफ घोषित करने की बेचैनी इसलिए हुई थी, क्योंकि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दौरा पर आए हुए थे. उस समय जिला प्रशासन ने खुद को अव्वल दिखाने के चलते विगत 4 माह पहले ही जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया था. बाकायदा जिला प्रशासन ने इसके लिए विभिन्न पंचायतों में 'शौचालय निर्माण घर का सम्मान' नारे के तहत कार्य भी किया लेकिन जमीनी हकीकत ने इन नारों को तार-तार कर दिया.

खगड़िया सिर्फ सरकारी कागजों पर है ओडीएफ घोषित

लाभ राशि मिलने के उम्मीद में बैठे है लोग
गांव के लोगों का कहना है कि हमने जिला प्रशासन की सलाह पर कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण करवाया लेकिन प्रशासन की उदासिनता के कारण आज लगभग 2 साल बीतने के बाद भी शौचालय निर्माण की राशि नहीं मिल पाई है. वहीं , कुछ लोगों का कहना है कि शौचालय निर्माण के लिए 2 हजार रुपये की रिश्वत मांगी जाती है. जिस कारण हमलोगों का आज तक शौचालय निर्माण नहीं हो पाया है.

गांव के लोग
गांव के लोग

रिश्वत मांगने वालों पर होगी कारवाई-डीएम
इस मामले पर जिले के डीएम अनिरुद्ध कुमार का कहना है कि जिले मे लगभग सभी घरों में शौचालय का निर्माण हो चुका है और जहां किसी कारणवश नहीं हो पाया है वहां जल्द से जल्द निर्माण करवाया जाएगा. वहीं, रिश्वत मामले पर उन्होंने कहा कि अगर शौचालय निर्माण के लिए कोई पैसे की मांग करता है तो उसकी शिकायत सीधे मेरे पास करें. रिश्वत मांगने वालों पर केस दर्ज कर कारवाई की जाएगी.

डीएम अनिरुद्ध कुमार
डीएम अनिरुद्ध कुमार

खगड़िया: जिले को विगत 4 माह पहले ओडीएफ घोषित कर दिया गया था. लेकिन इस मामले में जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. ईटीवी भारत ने ओडीएफ का सच जानने के लिए जिले के मधुआ गांव की पड़ताल की तो सच इससे परे निकला. जिले के इस गांव में सैकड़ों लोगों के पास शौचालय नहीं है. गांव के लगभग 80 प्रतिशत लोगों को अब तक शौचालय निर्माण का पैसा नहीं मिला है.

खगड़िया जिले का मधुआ गांव
खगड़िया जिले का मधुआ गांव

4 महीने पहले किया गया था ओडीएफ घोषित
बताया जाता है कि जिला प्रशासन को जिले को कम समय में ओडीएफ घोषित करने की बेचैनी इसलिए हुई थी, क्योंकि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दौरा पर आए हुए थे. उस समय जिला प्रशासन ने खुद को अव्वल दिखाने के चलते विगत 4 माह पहले ही जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया था. बाकायदा जिला प्रशासन ने इसके लिए विभिन्न पंचायतों में 'शौचालय निर्माण घर का सम्मान' नारे के तहत कार्य भी किया लेकिन जमीनी हकीकत ने इन नारों को तार-तार कर दिया.

खगड़िया सिर्फ सरकारी कागजों पर है ओडीएफ घोषित

लाभ राशि मिलने के उम्मीद में बैठे है लोग
गांव के लोगों का कहना है कि हमने जिला प्रशासन की सलाह पर कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण करवाया लेकिन प्रशासन की उदासिनता के कारण आज लगभग 2 साल बीतने के बाद भी शौचालय निर्माण की राशि नहीं मिल पाई है. वहीं , कुछ लोगों का कहना है कि शौचालय निर्माण के लिए 2 हजार रुपये की रिश्वत मांगी जाती है. जिस कारण हमलोगों का आज तक शौचालय निर्माण नहीं हो पाया है.

गांव के लोग
गांव के लोग

रिश्वत मांगने वालों पर होगी कारवाई-डीएम
इस मामले पर जिले के डीएम अनिरुद्ध कुमार का कहना है कि जिले मे लगभग सभी घरों में शौचालय का निर्माण हो चुका है और जहां किसी कारणवश नहीं हो पाया है वहां जल्द से जल्द निर्माण करवाया जाएगा. वहीं, रिश्वत मामले पर उन्होंने कहा कि अगर शौचालय निर्माण के लिए कोई पैसे की मांग करता है तो उसकी शिकायत सीधे मेरे पास करें. रिश्वत मांगने वालों पर केस दर्ज कर कारवाई की जाएगी.

डीएम अनिरुद्ध कुमार
डीएम अनिरुद्ध कुमार
Intro:नीतीश कुमार के राज्य में जितने काम धरातल पर नही होते उसके दोगुने काम सिर्फ कागजों पर किये जाते है।
ताजा मामला शौचालय मुक्ति को ले कर है।खगडिया जिला आज से पिछले 4 महीने पहले ही शौच मुक्त कर दिया गया।


Body:नीतीश कुमार के राज्य में जितने काम धरातल पर नही होते उसके दोगुने काम सिर्फ कागजों पर किये जाते है।
ताजा मामला शौचालय मुक्ति को ले कर है।खगडिया जिला आज से पिछले 4 महीने पहले ही शौच मुक्त कर दिया गया। ऐसा क्यों किया गया ये भी बता दे रहे है।माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खगड़िया आने वाले थे उसी आननफानन में जिला प्रसाशन अपने आप को काबिल दिखाने के चक्कर मे पहले कुछ प्रखंड को किया फिर धीरे-धीरे पूरे जिला को ही शौच मुक्त कर दिया गया।लेकिन विडम्बना ये है कि सिर्फ और सिर्फ कागजों पर ही इस जिला को शौचमुक्त किया गया है।
दूसरी बड़ी समस्या ये है कि चलिए आप शौच मुक्त कर दिए खगडिया को लेकिन उन शौचालय बनाने वाले नागरिकों को उनका पैसा तो दे देते जो 2-2 साल से शौचालय बनवा कर पैसे के उम्मीद में आज तक बैठे हुए है। जिनसे शौचालय राशि के नाम से छोटे कर्मचारी 2 हजार की मांग करते है।
खगडिया जिले के मधुआ गांव में हमने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि गांव के करीब 80 प्रतिशत लोगो को अब तक शौचालय का पैसा नही मिला है तो सैकड़ो लोग के पास शौचालय ही नही है।जो लोग शौचालय बनवाया भी है वो भी जैसे तैसे पोसे जोड़ कर बनवाया है तो कोई कर्ज या कुछ बेच कर बनवाया है।ऐसे में खगडिया जिला प्रसाशन पर कोई उंगली ना उठाय तो क्या करे।ग्रामीण महिला और पुरुष ये कहते हुए बिल्कुल नहीं हिचकते की कर्मचारियों द्वारा उनसे रिश्वत की मांग की जा रही है।वंही हमने इस बात पर जब जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार से बाय की तो उन्हनो ने साफ कहा कि किसी को पैसे नही देना है अगर कोई पैसे की मांग करता है तो ग्रामीण मेरे पास शिकायत ले कर आये हम वैसे लोगो पर केश दर्ज कर के करवाई करेंगे।अब भला डीएम साहब के पास 2 हजार के लिए सैकड़ो लोग यो जायंगे नही और ना ही उन कर्मचारियों पर कोई करवाई होगी।


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