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खगड़िया: सरकारी उदासीनता का दंश झेल रहा खादी ग्रामोद्योग कारखाना, गलत नीतियों के कारण हुआ बंद - Employment in bihar

जिले के गोगरी में दशकों पुराना खादी ग्राम उद्योग कारखाना आज खंडहर में तब्दील हो गया है. इस कारखाने से कभी 200 लोगों को रोजगार मिलता था. लेकिन सरकार के उदासीन रवैया के वजह से यह कारखाना वर्षो से बंद पड़ा है.

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Published : Sep 4, 2019, 11:26 PM IST

खगड़िया: सरकार खादी उद्योग को लेकर कई योजनाएं बनाती है. लेकिन योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाती हैं. जिले में खादी ग्राम उद्योग कारखाना वर्षो से बंद है. यह कारखाना सरकार के उदासीन रवैया का शिकार बना हुआ है.

कर्मचारी और डीएम अनिरुद्ध कुमार का बयान

जिले के गोगरी में दशकों पुराना खादी ग्राम उद्योग कारखाना आज खंडहर में तब्दील हो गया है. 60 के दशक में यह कारखाना जिले की पहचान हुआ करती थी. सैकड़ों लोगों को रोजगार इस कारखाने से मिलती थी. सरकार की लापरवाही से यह कारखाना वर्षो पहले बंद हो गया. उसके बाद से इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.

'गलत नीतियों के कारण हुआ बंद'
इसमें काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि यहां चरखा से कपड़ा बनाया जाता था. 1975 से 1990 तक यह कारखाना अपनी बुलंदियों पर था. इस कारखाने से लगभग 200 लोगों को रोजगार मिलता था. इस कारखाना को केंद्र सरकार के नेतृत्व में चलाया जाता था. लेकिन यहां के प्रबंधक और सरकार के गलत नीतियों की वजह से अब यह बंद हो गया.

खगड़िया
जर्जर भवन

'योजना बनने के बाद शुरू किया जाएगा'
वहीं, खादी ग्राम उद्योग कारखाना को लेकर जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि इस संबंध में संबंधित विभाग के अधिकारी ही बताएंगे. वह स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है. अन्य सरकार के कामों के लिए उस स्थान का उपयोग किया जा सकता है. इसकी शुरुआत करने के लिए सरकार योजना बनाती है तो इसे चालू किया जाएगा.

खगड़िया
डीएम अनिरुद्ध कुमार

सरकार के उदासीन रवैया से हुआ बंद
बता दें कि 90 के बाद से ही इस खादी कारखाना की हालत बिगड़ने लगी. यह कारखाना वर्ष 2002 तक चलाया गया. इस कारखाना के बंद होने की मुख्य वजह 90 के दशक में सरकार ने ग्राहकों को खादी कपड़े में 40 % छूट देना बताया. यह छूट सरकार को देनी थी. लेकिन यह भार कारखाने पर पड़ने लगी. इस ओर सरकार के ध्यान नहीं देने से यह कारखाना बंद हो गया.

खगड़िया: सरकार खादी उद्योग को लेकर कई योजनाएं बनाती है. लेकिन योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाती हैं. जिले में खादी ग्राम उद्योग कारखाना वर्षो से बंद है. यह कारखाना सरकार के उदासीन रवैया का शिकार बना हुआ है.

कर्मचारी और डीएम अनिरुद्ध कुमार का बयान

जिले के गोगरी में दशकों पुराना खादी ग्राम उद्योग कारखाना आज खंडहर में तब्दील हो गया है. 60 के दशक में यह कारखाना जिले की पहचान हुआ करती थी. सैकड़ों लोगों को रोजगार इस कारखाने से मिलती थी. सरकार की लापरवाही से यह कारखाना वर्षो पहले बंद हो गया. उसके बाद से इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.

'गलत नीतियों के कारण हुआ बंद'
इसमें काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि यहां चरखा से कपड़ा बनाया जाता था. 1975 से 1990 तक यह कारखाना अपनी बुलंदियों पर था. इस कारखाने से लगभग 200 लोगों को रोजगार मिलता था. इस कारखाना को केंद्र सरकार के नेतृत्व में चलाया जाता था. लेकिन यहां के प्रबंधक और सरकार के गलत नीतियों की वजह से अब यह बंद हो गया.

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जर्जर भवन

'योजना बनने के बाद शुरू किया जाएगा'
वहीं, खादी ग्राम उद्योग कारखाना को लेकर जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि इस संबंध में संबंधित विभाग के अधिकारी ही बताएंगे. वह स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है. अन्य सरकार के कामों के लिए उस स्थान का उपयोग किया जा सकता है. इसकी शुरुआत करने के लिए सरकार योजना बनाती है तो इसे चालू किया जाएगा.

खगड़िया
डीएम अनिरुद्ध कुमार

सरकार के उदासीन रवैया से हुआ बंद
बता दें कि 90 के बाद से ही इस खादी कारखाना की हालत बिगड़ने लगी. यह कारखाना वर्ष 2002 तक चलाया गया. इस कारखाना के बंद होने की मुख्य वजह 90 के दशक में सरकार ने ग्राहकों को खादी कपड़े में 40 % छूट देना बताया. यह छूट सरकार को देनी थी. लेकिन यह भार कारखाने पर पड़ने लगी. इस ओर सरकार के ध्यान नहीं देने से यह कारखाना बंद हो गया.

Intro:खगडिया के गोगरी में दशकों पुराना खादी ग्राम उद्योग कारखाना आज के समय मे खंडहर में तब्दील हो गया है।1960 -65 में बने इस कारखाने ने खगडिया को एक अलग पहचान दी थी लेकिन सरकार व कारखाने के आला अधिकारियों के लापरवाही की सजा कारखाना को मिली और कारखाना आज किसी सरकारी योजना के लाभ में आंखे बिछा कर बैठा है कि कोई सरकार की नई शुरुआत हो और इस तरह के कारखाने को एक फिर से नई पहचान मिले


Body:खगडिया के गोगरी में दशकों पुराना खादी ग्राम उद्योग कारखाना आज के समय मे खंडहर में तब्दील हो गया है।1960 -65 में बने इस कारखाने ने खगडिया को एक अलग पहचान दी थी लेकिन सरकार व कारखाने के आला अधिकारियों के लापरवाही की सजा कारखाना को मिली और कारखाना आज किसी सरकारी योजना के लाभ में आंखे बिछा कर बैठा है कि कोई सरकार की नई शुरुआत हो और इस तरह के कारखाने को एक फिर से नई पहचान मिले।
खगड़िया इस खादी ग्राम उद्योग कारखने के इतिहास बहुत पुराना व रोचक रहा है।असल में इस कारखाने की नींव कब रखी गई थी ये स्पस्ट रूप से कोई बता नही पाया है लेकिन ये कारखाना किस तरह से अपना एक पहचान बनाया और अपने समय में सरकार को राजस्व देने में बुलन्दी पर रहा ये यंहा के अस्थानिये बुजुर्ग जरूर बताय।अस्थानिये लोगो की माने तो 1975 और 90 तक ये अपनी बुलंदियों पर रहा और करीब 200 लोगो के घरो में चूल्हा जलाने में अहम योगदान देता रहा।अस्थानिये कहते है कि यंहा 200 लोग दिन रात काम करते थे और उनकी रोजी रोटी इसी कारखाने से चलती थी।
ये खादी ग्राम उद्योग एक संस्था के माध्यम से चलती थी जो कि केंद्र सरकार निर्त्तत्व में रहती थी।इस संस्था में 11 लोग होते थे जो इसी कराखने से होते थे।
1990 तक अच्छी इस्तिथि में रहने के बाद इसका पतन होने लगा और इसका मुख्य वजह बिहार सरकार की लापरवाही रही।उस समय बिहार में राजद की सरकार होती थी और सरकार ने कराखने से 40 प्रतिशत की छूट देने का फहरमान जारी किया।ग्राहकों को 40 प्रतिशत छूट दी जाए और जो वो 40 प्रतिशत बिहार सरकार को देना था लेकिन सरकार इसको नजरअंदाज करती गई और कारखाने पर भार पड़ता गया।
कारखने में आज भी एक रसोइया है निर्मला देवी जो कि वर्षो से इस कारखाने में है जब कारखाना सुचारु रूप से चलता था तब व्व यंहा के कर्मचारियों के लिए खाना बनाती थी और आज निर्मला देवी इस कारखाने के इतिहास को संजो कर रखने में अपनी जीवन बिता रही है। निर्मला देवी आंखों में आँशु लिए हुए ETV BHARAT से कहती है कि बस अब एक।ही इक्षा है कि मरने के पहले इस कारखाने को एक बार फिर चालू हालात में देख लू।निर्मला देवी व पूर्व वार्ड पार्षद अस्थानिये कारखाने के इतिहास के बारे में बात करते नही थक रहे थे।
हालांकि जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने कहा कि ये जिला प्रसाशन के कार्य क्षेत्र की बहार की बात है इसमें सरकार ही कुछ कर सकती है।
बाइट- निर्मला देवी कारखाने की रसोइया,
बाइट-अस्थानिये
बाइट-अनिरुद्ध कुमार,खगडिया जिला अधिकारी


Conclusion:
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