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जिले का ऐतिहासिक धरोहर बना तबेला, कुंभकर्णी नींद में सो रहा प्रशासन

राजेंद्र सरोवर कभी खगड़िया जिले का गौरव हुआ करता था. लेकिन अतिक्रमण और प्रशासन की उदासीन रवैये के कारण इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. सरोवर के चारो तरफ पशु बंधे रहते हैं. तालाब का पानी भी दुर्गंध देता है.

बुरी स्थिति में राजेंद्र सरोवर
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Published : Jul 9, 2019, 2:12 PM IST

खगड़िया: जिले का गौरव है राजेंद्र सरोवर. जिले का एकमात्र सरोवर, जो आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. ऐतिहासिक धरोहर होने के बावजूद इसके हाल पर सुध लेने वाला कोई नहीं है. नगर परिषद से लेकर जिला प्रशासन का इसके प्रति उदासीन है.

बदहाल स्थिति में राजेंद्र सरोवर

सैर सपाटे के लिए मोटरवोट की थी व्यवस्था
कभी राजेन्द्र सरोवर के उद्यान को देखने के लिए जिले के बाहर से पर्यटक आते थे. स्थानीय लोगों ने बताया कि रात्रि में दूधिया रोशनी के बीच इसका दृश्य मनोरम रहता था. सैर सपाटे के लिए मोटरवोट की भी व्यवस्था थी. लेकिन आज सरोवर में पशु रहते हैं. पानी भी बदबू देता है.

khgaria
राजेन्द्र सरोवर के उद्यान में बंधे पशु

पांच एकड़ में फैला है सरोवर
राजेन्द्र सरोवर उद्यान लगभग पांच एकड़ भूभाग में फैला है. पूर्व में यह सन्हौली पोखर के नाम से प्रसिद्ध था. निवर्त्तमान जिलाधिकारी अजित कुमार ने इसका नाम राजेन्द्र सरोवर रखा. उनहोनें इस सरोवर का कायाकल्प किया. सरोवर के उद्यान में फूल, ईंट सोलिंग, चारदीवारी का निर्माण और बल्ब लगाया गया था. लेकिन, अब पेड़-पौधे सूख चुके हैं. लोग सरोवर की मिट्टी काटकर घर ले जाते हैं.

विवाद के कारण सरोवर बदहाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह शहर का एकलौता दर्शनीय स्थल था. लेकिन आज बुरे दौर से गुजर रहा है. स्थानीय लोगों ने इसे अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की है. वही नगर परिषद उपाध्यक्ष सुनील पटेल ने कहा कि विवाद के कारण काम नहीं पा रहा. विवाद सुलझने के बाद इसे फिर से पहले जैसा सुंदर बनाया जाएगा.

खगड़िया: जिले का गौरव है राजेंद्र सरोवर. जिले का एकमात्र सरोवर, जो आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. ऐतिहासिक धरोहर होने के बावजूद इसके हाल पर सुध लेने वाला कोई नहीं है. नगर परिषद से लेकर जिला प्रशासन का इसके प्रति उदासीन है.

बदहाल स्थिति में राजेंद्र सरोवर

सैर सपाटे के लिए मोटरवोट की थी व्यवस्था
कभी राजेन्द्र सरोवर के उद्यान को देखने के लिए जिले के बाहर से पर्यटक आते थे. स्थानीय लोगों ने बताया कि रात्रि में दूधिया रोशनी के बीच इसका दृश्य मनोरम रहता था. सैर सपाटे के लिए मोटरवोट की भी व्यवस्था थी. लेकिन आज सरोवर में पशु रहते हैं. पानी भी बदबू देता है.

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राजेन्द्र सरोवर के उद्यान में बंधे पशु

पांच एकड़ में फैला है सरोवर
राजेन्द्र सरोवर उद्यान लगभग पांच एकड़ भूभाग में फैला है. पूर्व में यह सन्हौली पोखर के नाम से प्रसिद्ध था. निवर्त्तमान जिलाधिकारी अजित कुमार ने इसका नाम राजेन्द्र सरोवर रखा. उनहोनें इस सरोवर का कायाकल्प किया. सरोवर के उद्यान में फूल, ईंट सोलिंग, चारदीवारी का निर्माण और बल्ब लगाया गया था. लेकिन, अब पेड़-पौधे सूख चुके हैं. लोग सरोवर की मिट्टी काटकर घर ले जाते हैं.

विवाद के कारण सरोवर बदहाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह शहर का एकलौता दर्शनीय स्थल था. लेकिन आज बुरे दौर से गुजर रहा है. स्थानीय लोगों ने इसे अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की है. वही नगर परिषद उपाध्यक्ष सुनील पटेल ने कहा कि विवाद के कारण काम नहीं पा रहा. विवाद सुलझने के बाद इसे फिर से पहले जैसा सुंदर बनाया जाएगा.

Intro:खगड़िया जिले का गौरव राजेंद्र सरोवर आज अपनी अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। खगड़िया जिले के लिए राजेन्द्र सरोवर एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में माना जाता है। लेकिन बदकिस्मती से राजेन्द्र सरोवर को देखने के लिए ना ही जिला प्रसाशन के पास समय है और ना ही नगर परिषद के पास।मत्त्वपूर्ण बात ये है कि खगड़िया जिला को सरोवर के नाम पर मात्र एक यही सरोवर है


Body:खगड़िया जिले का गौरव राजेंद्र सरोवर आज अपनी अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। खगड़िया जिले के लिए राजेन्द्र सरोवर एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में माना जाता है। लेकिन बदकिस्मती से राजेन्द्र सरोवर को देखने के लिए ना ही जिला प्रसाशन के पास समय है और ना ही नगर परिषद के पास।मत्त्वपूर्ण बात ये है कि खगड़िया जिला को सरोवर के नाम पर मात्र एक यही सरोवर है
राजेन्द्र सरोवर का भव्य अतीत रहा है
कभी राजेन्द्र सरोवर के उद्यान को देखने के लिए जिला के बाहर दूर-दूर से पर्यटन आते थे। रात्रि में दूधिया रोशनी के बीच इस सरोवर को निहारना,उद्यान में टहलना लोगों को शुकुन प्रदान करता था।राजेन्द्र सरोवर में सैर करने के लिए मोटरवोट की भी वयवसथा थी लेकिन प्रसाशनिक उदासीनता के कारण यह उद्यान अपना अस्तिस्त्व खो चुका है

जिला मुख्यायल में लगभग पांच एकड़ भूभाग में फैला यह एकमात्र तलाब है।राजेन्द्र सरोवर उद्यान पूर्व में सन्हौली पोखर पार के नाम से जाना जाता था लगभग तीन दशक पहले उस समय के जिलाधिकारी अजित कुमार सन्हौली पोखर पार का नया नाम राजनेद्र सरोवर करते हुए उद्यान का कायाकल्प कर दिया।भव्य द्वार का निर्माण किया गया।सरोवर को उद्यान का स्वरूप प्रदान करने की प्रक्रिया के तहत सरोवर के चारो तरफ तरह-तरह के फूल लगाय गए।चारो तरफ से ईंट सोलिंग सड़क का निर्माण किया गया।रंग बिरेंगे बल्ब लगाय गए।चारो तरफ से चारदीवारी दिया गया ।इस तरह राजनेद्र सरोवर उद्यान लोगो के बीच आकर्षण का केंद्र बन गया।
आज राजेन्द्र सरोवर का अस्तित्व खतरे में है बैठने के लिए जो बेंच बनाय गए थे वो टूट चुका है और जो बचे है वो गाय और भैंस बांधने के काम मे आता है,पेड़ पौधे सुख गए है,अस्थानिये लोगो सरोवर के मिट्टी काट कर अपने प्रयोग में ले जाते है।आज के समय मे सरोवर सिर्फ पशुओं के प्यास और गंदगी साफ करने के काम मे आता है
अस्थिय लोगो का कहना है कि पहले ये खगड़िया के लिय एकलौता दर्शनीय स्थल था लेकिन वर्तमान समय मे जिला प्रसाशन की उदासीनता का बहुत बड़ा उदहारण बन कर रह गया है अस्थनीय लोगो की मांग है कि कैसे भी कर जिला प्रसाशन इसका फिर से सुंदरीकरण कर दे और इसको जीवित कर दे
वंही शहर के डिप्टी मेयर सुनील पटेल का कहना है कि वंहा कुछ विवाद चल रहा है जिसके वजह से उसमे काम नही लग पा रहा है डिप्टी मेयर ने कहा है कि बहुत जल्द विवाद सुलझा कर उसका सुंदरीकरण नगर परिषद के तरफ से किया जायेगा


Conclusion:
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