खगड़िया: जिले का गौरव है राजेंद्र सरोवर. जिले का एकमात्र सरोवर, जो आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. ऐतिहासिक धरोहर होने के बावजूद इसके हाल पर सुध लेने वाला कोई नहीं है. नगर परिषद से लेकर जिला प्रशासन का इसके प्रति उदासीन है.
सैर सपाटे के लिए मोटरवोट की थी व्यवस्था
कभी राजेन्द्र सरोवर के उद्यान को देखने के लिए जिले के बाहर से पर्यटक आते थे. स्थानीय लोगों ने बताया कि रात्रि में दूधिया रोशनी के बीच इसका दृश्य मनोरम रहता था. सैर सपाटे के लिए मोटरवोट की भी व्यवस्था थी. लेकिन आज सरोवर में पशु रहते हैं. पानी भी बदबू देता है.
पांच एकड़ में फैला है सरोवर
राजेन्द्र सरोवर उद्यान लगभग पांच एकड़ भूभाग में फैला है. पूर्व में यह सन्हौली पोखर के नाम से प्रसिद्ध था. निवर्त्तमान जिलाधिकारी अजित कुमार ने इसका नाम राजेन्द्र सरोवर रखा. उनहोनें इस सरोवर का कायाकल्प किया. सरोवर के उद्यान में फूल, ईंट सोलिंग, चारदीवारी का निर्माण और बल्ब लगाया गया था. लेकिन, अब पेड़-पौधे सूख चुके हैं. लोग सरोवर की मिट्टी काटकर घर ले जाते हैं.
विवाद के कारण सरोवर बदहाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह शहर का एकलौता दर्शनीय स्थल था. लेकिन आज बुरे दौर से गुजर रहा है. स्थानीय लोगों ने इसे अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की है. वही नगर परिषद उपाध्यक्ष सुनील पटेल ने कहा कि विवाद के कारण काम नहीं पा रहा. विवाद सुलझने के बाद इसे फिर से पहले जैसा सुंदर बनाया जाएगा.