पटनाः खगड़िया में बिना बेहोश किये बंध्याकरण (family planing surgery Without Anesthesia) करने के मामले में पटना हाइकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. कोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल एवं जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अखबारों में छपी रिपोर्ट को आधार बनाने हुए इस मामले पर संज्ञान लिया है. बता दें कि खगड़िया के अलौली सीएचसी में बीते 12 नवंबर को 23 महिलाओं का बगैर बेहोश किये बंध्याकरण कर दिया गया था.
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क्या है मामलाः 12 नंवबर को जिले के परबत्ता सीएचसी में दो दर्जन महिलाओं को बांध्याकरण ऑपरेशन के लिए एक साथ एनेस्थीसिया सुई देकर जमीन पर लेटा दिया था. 23 महिलाओं का बंध्याकरण बिना मेडिकल तकनीक के ही कर दिया गया. स्वास्थ्यकर्मियों ने लाभुक महिलाओं का हाथ-पैर पकड़कर ऑपरेशन कर दिया. इस मामले में एनजीओ व पीएचसी प्रभारी की लापरवाही सामने आयी है. मामले में सीएस ने सीएससी प्रभारी से स्पष्टीकरण भी पूछा था. वहीं अलौली पीएचसी में बीते 13 नवंबर को 30 महिलाओं को बांध्याकरण के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया था.
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जिला कोर्ट ने भी लिया था संज्ञानः अलौली सीएचसी में बीते 12 नवंबर को 23 महिलाओं का बगैर बेहोशी के बंध्याकरण (Surgery Without Anesthesia in Khagaria) मामले को जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंहने गंभीरता से लिया था. इस मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार रंजूला भारती ने न्यायिक जांच के लिए दो सदस्यीय न्यायिक टीम गठित की थी. तीन दिनों में जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया था. साथ ही पीड़िता को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने की बात कही थी.