खगड़िया: खगड़िया के भारतीय सेना के जवान हवलदार (Martyr Ankesh Kumar Chowdhary) अंकेश कुमार चौधरी के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए अगुवानी गंगा घाट पर लाया गया. यहां पूरे सैन्य और पुलिस सम्मान के साथ शहीद के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दी गई. अगुवानी घाट पर सेना ने पहले गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और उन्हें शस्त्र के साथ आखिरी सलामी दी गई. मासूम बेटे ने मुखाग्नि दी.
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अंकेश 63 आरआर जम्मू रजौरी में पदस्थापित थे: शहीद अंकेश 63 आरआर जम्मू रजौरी में पदस्थापित थे. अंकेश मूल रूप से जिले के परबत्ता प्रंंखड के सियातदपुर अगुआनी पंचायत के डुमरिया बुजुर्ग गांव के निवासी थे. शहीद अंकित चौधरी के पार्थिव शरीर को पहले दानापुर लाया गया. फिर ससम्मान पैतृक गांव पहुंचाया गया. जहां हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान शहीद की पत्नी और परिजनों का रो रो कर बुरा हाल था.
"देश की सेवा करते हुए मेरा बेटा शहीद हो गया. हवलदार अंकेश कुमार चौधरी विगत एक महीने से बीमार चल रहे थे. उनका उद्धमपुर के कमांड अस्पताल में इलाज चल रहा था." - सुभाष चौधरी,चाचा
16 साल की उम्र से कर रहे देश सेवा: जानकारी के अनुसार उनके पिता नारद चौधरी और माता सीता देवी का पहले ही निधन हो चुका है. हवलदार अंकेश कुमार चौधरी विगत एक महीने से बीमार चल रहे थे. उनका उद्धमपुर के कमांड अस्पताल में इलाज चल रहा था. वहीं इलाज के दौरान मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. जवान के छोटे भाई अंकुर कुमार चौधरी ने बताया है कि वे 2003 में 16 साल की उम्र में कटिहार बीआरओ से सेना में भर्ती हुए थे. फिलहाल उनकी पोस्टिंग जम्मू के राजौरी में की गयी थी.
जवान के गांव में फैला मातमी सन्नाटा: उनकी शादी 2007 में भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल के सोनवर्षा गांव में प्रिया कुमारी से हुई थी. उन्हें दो पुत्री आदित्यि (14 वर्ष) b भव्या (11 वर्ष) और एक पुत्र आरव (7 वर्ष) है. हवलदार अंकेश चौधरी का परिवार अम्बाला में ही रहता है. इधर हवलदार अंकेश कुमार चौधरी के पैतृक गांव में उनके निधन की खबर से शोक की लहर दौड़ गयी. गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. अंकेश कुमार चौधरी का छोटा भाई अंकुर चौधरी भी बीएसएफ में कार्यरत है