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खगड़िया में बिना बेहोश किए बंध्याकरण मामले पर कोर्ट ने लिया संज्ञान, जांच के लिए बनाई कमेटी

खगड़िया में बिना बेहोश किये 23 महिलाओं का बंध्याकरण (Surgery Without Anesthesia in Khagaria) कर देने के मामले में जिला जज ने संज्ञान लिया है और जांच के लिए एक कमेटी गठित की है. तीन दिन में कमेटी को जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर..

खगड़िया में बिना बेहोश किए बंध्याकरण मामले
खगड़िया में बिना बेहोश किए बंध्याकरण मामले
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Published : Nov 19, 2022, 11:53 AM IST

खगड़िया: बिहार के खगड़िया के अलौली सीएचसी में बीते 12 नवंबर को 23 महिलाओं का बगैर बेहोशी के बंध्याकरण (Surgery Without Anesthesia in Khagaria) कर दिया गया था. इस मामले को जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंहने गंभीरता से लिया है. वहीं इस मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार रंजूला भारती ने न्यायिक जांच के लिए दो सदस्यीय न्यायिक टीम गठित की है.

ये भी पढ़ेंः बिना बेहोश बंध्याकरण का मामले में NGO की सेवा रद्द- 'अपराध की क्वालिटी और क्वांटिटी' के हिसाब से सीएस देंगे दंड

तीन दिन में जांच रिपार्ट देने का निर्देशः तीन दिनों में जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया गया है. साथ ही पीड़िता को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने की बात कही है. अलौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते 12 नवम्बर को चिकित्सक ने बंध्याकरण ऑपरेशन में की गई लापरवाही के विरुद्ध जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंह ने संज्ञान लेते हुए एक जांच टीम गठित करने का निर्देश दिया है. इसमें पैनल अधिवक्ता अजय शंकर देव और पीएलवी भूषण कुमार को जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है. यह बातें जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव रंजुला भारती ने बताई.

जिला जज ने लिया स्वतः संज्ञानः रंजूला भारती ने कहा कि अलौली सीएचसी में 23 महिलाओं का बिना बेहोश किए बंध्याकरण ऑपरेशन कर दिया गया. इस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले को अमानवीय, संवेदनहीन और गंभीर बताया है. उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अलौली में 23 महिलाओं का बंध्याकरण बिना मेडिकल तकनीक के ही कर दिया गया. स्वास्थ्यकर्मियों ने लाभुक महिलाओं का हाथ- पैर पकड़कर ऑपरेशन कर दिया. जानकारी के मुताबिक यह ऑपरेशन मेडिकल नियमानुसार नहीं किया गया है. जिला जज ने ग्रामीण व गरीब महिलाओं के साथ ऐसा करना नियम के विरुद्ध बताया है. साथ ही यह अपराध की श्रेणी में भी बताया गया है. मालूम हो कि इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोगा अध्यक्ष रेखा शर्मा और बिहार मुख्य सचिव भी गंभीरता से ले चुके हैं. भले ही स्वास्थ्य विभाग लीपापोती करने में लगा हो, लेकिन उच्च अधिकारियों की पैनी नजर है.

"अलौली सीएचसी में 23 महिलाओं का बिना बेहोश किए बंध्याकरण ऑपरेशन कर दिया गया. इस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले को अमानवीय, संवेदनहीन और गंभीर बताया है" - रंजूला भारती, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार

क्या है मामलाः बीते 11 नंवबर को जिले के परबत्ता सीएचसी में दो दर्जन महिलाओं को बांध्याकरण ऑपरेशन के लिए एक साथ एनेस्थीसिया सुई देकर जमीन पर लेटा दिया था. जहां एनजीओ व पीएचसी प्रभारी की लापरवाही सामने आयी थी. मामले में सीएस ने सीएससी प्रभारी से स्पष्टीकरण भी पूछा था. वहीं अलौली पीएचसी में बीते 13 नवंबर को 30 महिलाओं को बांध्याकरण के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया था. जिसमें 23 महिलाओं का सुन्न (एनेस्थीसिया) सूई दिए बगैर ही ऑपरेशन कर दिया.

खगड़िया: बिहार के खगड़िया के अलौली सीएचसी में बीते 12 नवंबर को 23 महिलाओं का बगैर बेहोशी के बंध्याकरण (Surgery Without Anesthesia in Khagaria) कर दिया गया था. इस मामले को जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंहने गंभीरता से लिया है. वहीं इस मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार रंजूला भारती ने न्यायिक जांच के लिए दो सदस्यीय न्यायिक टीम गठित की है.

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तीन दिन में जांच रिपार्ट देने का निर्देशः तीन दिनों में जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया गया है. साथ ही पीड़िता को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने की बात कही है. अलौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते 12 नवम्बर को चिकित्सक ने बंध्याकरण ऑपरेशन में की गई लापरवाही के विरुद्ध जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंह ने संज्ञान लेते हुए एक जांच टीम गठित करने का निर्देश दिया है. इसमें पैनल अधिवक्ता अजय शंकर देव और पीएलवी भूषण कुमार को जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है. यह बातें जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव रंजुला भारती ने बताई.

जिला जज ने लिया स्वतः संज्ञानः रंजूला भारती ने कहा कि अलौली सीएचसी में 23 महिलाओं का बिना बेहोश किए बंध्याकरण ऑपरेशन कर दिया गया. इस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले को अमानवीय, संवेदनहीन और गंभीर बताया है. उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अलौली में 23 महिलाओं का बंध्याकरण बिना मेडिकल तकनीक के ही कर दिया गया. स्वास्थ्यकर्मियों ने लाभुक महिलाओं का हाथ- पैर पकड़कर ऑपरेशन कर दिया. जानकारी के मुताबिक यह ऑपरेशन मेडिकल नियमानुसार नहीं किया गया है. जिला जज ने ग्रामीण व गरीब महिलाओं के साथ ऐसा करना नियम के विरुद्ध बताया है. साथ ही यह अपराध की श्रेणी में भी बताया गया है. मालूम हो कि इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोगा अध्यक्ष रेखा शर्मा और बिहार मुख्य सचिव भी गंभीरता से ले चुके हैं. भले ही स्वास्थ्य विभाग लीपापोती करने में लगा हो, लेकिन उच्च अधिकारियों की पैनी नजर है.

"अलौली सीएचसी में 23 महिलाओं का बिना बेहोश किए बंध्याकरण ऑपरेशन कर दिया गया. इस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले को अमानवीय, संवेदनहीन और गंभीर बताया है" - रंजूला भारती, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार

क्या है मामलाः बीते 11 नंवबर को जिले के परबत्ता सीएचसी में दो दर्जन महिलाओं को बांध्याकरण ऑपरेशन के लिए एक साथ एनेस्थीसिया सुई देकर जमीन पर लेटा दिया था. जहां एनजीओ व पीएचसी प्रभारी की लापरवाही सामने आयी थी. मामले में सीएस ने सीएससी प्रभारी से स्पष्टीकरण भी पूछा था. वहीं अलौली पीएचसी में बीते 13 नवंबर को 30 महिलाओं को बांध्याकरण के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया था. जिसमें 23 महिलाओं का सुन्न (एनेस्थीसिया) सूई दिए बगैर ही ऑपरेशन कर दिया.

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