खगड़िया: बिहार के खगड़िया में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विरुद्ध परिवाद दायर (Complaint Filed Against Education Minister) कराया गया है. इस मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की ओर से दी गई तारीख पर सुनवाई होगी. बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान (Ramcharitmanas Controversy In Bihar) के बाद उनका जगह-जगह विरोध शुरू हो गया है. उन पर कार्रवाई की मांग की जा रही है.
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बयान पर कायम हैं शिक्षा मंत्री: शिक्षा मंत्री से उनके द्वारा दिए गये बयान को वापस लेने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन प्रोफेसर चंद्रशेखर अपने बयान पर कायम हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को खगड़िया में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विरुद्ध परिवाद दायर कराया गया. खगड़िया जिले के पूर्व बीजेपी जिलाध्यक्ष सुरेश प्रसाद की तरफ से परिवाद लगाया गया है.
कई धाराओं में दर्ज किया गया है मामला: परिवादी की ओर से खगड़िया सिविल कोर्ट के वरीय अधिवक्ता राजीव प्रसाद की तरफ से 4 धाराओं में परिवाद दाखिल किया गया है. इसमें धारा 153ए, 153बी 295बी और 505 के तहत आवेदन दिया गया है. अधिवक्ता राजीव प्रसाद और परिवादी ने बताया कि पिछले दिनों एक दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया गया था. आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी. इसी को लेकर शिकायत की गई है.
"रामायण लाखों-करोड़ों हिंदुओं के दिल में बसने वाला ग्रंथ है. शिक्षा मंत्री के विवादित बयान की वजह से मामला दर्ज करवाया गया है. अब मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की ओर से दी गई तिथि पर इसकी सुनवाई की जाएगी."- राजीव प्रसाद, अधिवक्ता
"हम अखबार में पढ़े समुचा स्टेटमेंट को तो लगा की ये हमारा ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदु समाज का बहुत हीं शर्मनाक टिप्पणी की गई है. रामचरितमानस वो धर्मग्रंथ है, जिसको कभी भी हिंदु समाज जन्म-जन्मांतर से भी नहीं छोड़ सकता है. हम मर्माहत होकर केस किए हैं."- सुरेश प्रसाद, पूर्व जिलाध्यक्ष, बीजेपी
शिक्षा ने क्या कहा था: बता दें कि शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में यह बयान दिया था कि रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में पिछड़ों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा हासिल करने से रोकता है. यह उन्हें बराबरी का हक देने से रोकता है. चंद्रशेखर ने दावा किया कि बाबा साहब आंबेडकर भी मनुस्मृति के खिलाफ थे. मनुस्मृति के बाद रामचरितमानस ने नफरत के इस दौर को आगे बढ़ाया. इसी बयान को लेकर पूरे देश में बवाल जारी है.