खगड़िया: जिले के नवटोलिया रसोक का उर्दू प्राथमिक विद्यालय कई सालों से मस्जिद के भरोसे चलाया जा रहा है. यहां का हाल इतना बुरा है कि बच्चों के लिए एक अच्छा शौचालय तक नहीं है. वहीं यहां लगभग 100 बच्चे पढ़ने आया करते हैं. लेकिन फिर भी प्रशासन की ओर से यहां के विद्यालय का काम नहीं किया जा रहा है.
सही शिक्षा व्यवस्था की कमी
प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था किस तरह लचर है इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण जिले के खगड़िया प्रखंड के उर्दू प्राथमिक विद्यालय नवटोलिया रसोक है. दरअसल खगड़िया प्रखंड के नवटोलिया गांव के इस विद्यालय में बाकी सुविधाएं छोड़िए इसमें तो मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल रही है. वहीं विद्यालय का अपना भवन तक नहीं है.
मस्जिद में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे
बताया जाता है कि विद्यालय एक मस्जिद में चलता है. हाल इतना बुरा है कि कक्षाएं मस्जिद के किसी कमरे में नहीं बल्कि उसके आंगन में संचालित होता है. विद्यालय में मध्यान भोजन भी मिट्टी के चूल्हे पर बनता है. लेकिन ऐसा प्रतिदिन नहीं हो पाता क्योंकि राशन भी खत्म हो जाया करते हैं. एक तो विद्यालय का अपना छत नहीं, फिर भी यहां 100 बच्चे पढ़ते हैं और दोपहर के भोजन के लालच में ही सही स्कूल आते हैं. वहीं राशन खत्म हो जाने से बच्चों की संख्या भी घट जाया करती है.
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मिड-डे-मील भी मिलता है कभी-कभी
शिक्षिका शौगुफ्ता ने बताया कि विभाग को बहुत बार इसकी शिकायत की गई. लेकिन विद्यालय को अपना भवन नहीं मिला. अब तक इस पर कोई ठोस पहल नहीं की गई. ग्रामीण ने बताया कि विद्यालय के लिए जमीन बहुत जरूरी है. पिछले 4 साल से ये विद्यालय इसी मस्जिद में चलता आ रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसे में बच्चों का भविष्य कैसे बेहतर होगा समझ नहीं आता. प्रशासन इसके लिए कुछ करती क्यों नहीं.
नीतीश सरकार की योजनाएं हो रही असफल
आपको बता दें कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार कई ऐसी योजनाएं चला रहे है जिस से बिहार के शिक्षा दर को बढ़ाया जा सके. जैसे मध्यान भोजन, ताकि बच्चों की उपस्थिति ज्यादा से ज्यादा की जा सके, छात्रवृत्ति दी जा रही है, साईकिल दी जा रही है और भी कई तरह की योजनाएं है. लेकिन फिर भी स्कूल के लिए जमीन का ही नहीं होना कहां तक इन योजनाओं को सफल बनायेगा.