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नदी के कटाव की जद में 100 साल पुराना पीपल का पेड़, लोगों ने प्रशासन से लगाई बचाने की गुहार

100 साल से भी अधिक पुराने ये पीपल का पेड़ कटाव की चपेट में है. हिंदुओं के लिए ये पेड़ आस्था के रूप में मौजूद है. छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु इस घाट के किनारे सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

100 साल पुराना पीपल
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Published : Oct 11, 2019, 11:10 PM IST

कटिहार: जिले में लोगों की आस्था का प्रतीक बना सौ साल पुराने पीपल को बचाने के लिए अल्पसंख्यक युवाओं ने मुहिम छेड़ी है. लोगों ने प्रशासन से लेकर सरकार तक पीपल को बचाने की मांग की है. बरारी प्रखण्ड के बरंडी नदी के पास ये पीपल का पेड़ स्थित है. 100 साल पुराने इस पेड़ को हिन्दू समाज के लोग आस्था का प्रतीक मानते हुए सालों से पूजा करते आए हैं.

Katihar
100 साल पुराने पीपल की पूजा करती स्थानीय महिलाएं

100 साल से भी अधिक पुराना पीपल
स्थानीय लोगों के मुताबिक बिहार सरकार की ओर से पेड़ लगाओ अभियान चलाया जा रहा है. जिससे वातावरण साफ और सुरक्षित रहे. वहीं, दूसरी ओर कटिहार के बरारी में बरंडी नदी के किनारे मौजूद 100 साल से भी अधिक पुराने ये पीपल का पेड़ कटाव की चपेट में है. हिंदुओं के लिए ये पेड़ आस्था के रूप में मौजूद है. छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु इस घाट के किनारे सूर्य को अर्घ्य देते हैं. ऐसे में इस पेड़ को बचाने को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रखंड मनरेगा के पदाधिकारी से बात की है.

पीपल को बचाने की मुहिम

कटाव के जद से बचाने के लिए पहल
हरियाली और सुखद छांव के साथ-साथ सौ साल पुराना ये पेड़ कैसे आपसी सौहार्द को बढ़ाते हुए एक समाज को जोड़े रखता है. ये पीपल उसका एक अद्भुत उदाहरण है. पीपल के पेड़ को बचाने को लेकर अल्पसंख्यक युवाओं की पहल ने अब रंग लाना शुरू कर दिया है. बरारी प्रखंड मनरेगा पदाधिकारी रतन कुमार कहते हैं कि इस पेड़ को कटाव की जद से बचाने के लिए पहल की जाएगी. फिलहाल वहां पर पानी तेज है, इसलिए पानी कम होने के बाद ही कुछ किया जा सकता है.

कटिहार: जिले में लोगों की आस्था का प्रतीक बना सौ साल पुराने पीपल को बचाने के लिए अल्पसंख्यक युवाओं ने मुहिम छेड़ी है. लोगों ने प्रशासन से लेकर सरकार तक पीपल को बचाने की मांग की है. बरारी प्रखण्ड के बरंडी नदी के पास ये पीपल का पेड़ स्थित है. 100 साल पुराने इस पेड़ को हिन्दू समाज के लोग आस्था का प्रतीक मानते हुए सालों से पूजा करते आए हैं.

Katihar
100 साल पुराने पीपल की पूजा करती स्थानीय महिलाएं

100 साल से भी अधिक पुराना पीपल
स्थानीय लोगों के मुताबिक बिहार सरकार की ओर से पेड़ लगाओ अभियान चलाया जा रहा है. जिससे वातावरण साफ और सुरक्षित रहे. वहीं, दूसरी ओर कटिहार के बरारी में बरंडी नदी के किनारे मौजूद 100 साल से भी अधिक पुराने ये पीपल का पेड़ कटाव की चपेट में है. हिंदुओं के लिए ये पेड़ आस्था के रूप में मौजूद है. छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु इस घाट के किनारे सूर्य को अर्घ्य देते हैं. ऐसे में इस पेड़ को बचाने को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रखंड मनरेगा के पदाधिकारी से बात की है.

पीपल को बचाने की मुहिम

कटाव के जद से बचाने के लिए पहल
हरियाली और सुखद छांव के साथ-साथ सौ साल पुराना ये पेड़ कैसे आपसी सौहार्द को बढ़ाते हुए एक समाज को जोड़े रखता है. ये पीपल उसका एक अद्भुत उदाहरण है. पीपल के पेड़ को बचाने को लेकर अल्पसंख्यक युवाओं की पहल ने अब रंग लाना शुरू कर दिया है. बरारी प्रखंड मनरेगा पदाधिकारी रतन कुमार कहते हैं कि इस पेड़ को कटाव की जद से बचाने के लिए पहल की जाएगी. फिलहाल वहां पर पानी तेज है, इसलिए पानी कम होने के बाद ही कुछ किया जा सकता है.

Intro:कटिहार

हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक सौ साल पुराने पीपल के पेड़ को बचाने के लिए अल्पसंख्यक युवाओ ने छेड़ दी मुहीम, प्रशासन से लेकर सरकार तक बुलंद कर रही है आवाज़, बरारी प्रखण्ड के बरंडी नदी के कटाव के जद में है पीपल की पेड़, एक दूसरे की आस्था के सम्मान करती आपसी सौहार्द पर कटिहार से एक रिपोर्ट। 


Body:यह सौहार्द का पीपल पेड़ है, सौ साल पुराने इस पेड़ को हिन्दू समाज के लोग आस्था के प्रतीक मानते हुए पूजा करते आये हैं। फिलहाल अब इस इलाके में हिन्दू आबादी बेहद कम है और बाढ़ के बाद अब बरंडी नदी के कहर से ये पीपल का पेड़ कटाव के जद में है, वर्षों से हिन्दुओं की आस्था के प्रतिक इस पेड़ को कटाव के जद में आते देख कर अल्पसंख्यक युवाओ ने अब इसे बचाने के लिए सरकार से लेकर प्रशासन तक मुहीम छेड़ दी। हिन्दू समाज के महिला भी इस पेड़ को लेकर अपनी आस्था बयां कर रही है। 

स्थानीय ग्रामीण मोहम्मद बाबर बताते हैं बिहार सरकार द्वारा पेड़ लगाओ अभियान चलाया जा रहा है जिससे वातावरण साफ एवं स्वच्छ रहे वहीं दूसरी ओर कटिहार के बरारी में बरंडी नदी के किनारे मौजूद 100 साल से भी अधिक पुराने यह पीपल का पेड़ कटाव के चपेट में हैं। हिंदू धर्मावलंबियों के लिए यह पेड़ आस्था के रूप में मौजूद है। छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु इस घाट के किनारे सूर्य अर्घ्य देते हैं। ऐसे में इस पेड़ को बचाने को लेकर प्रखंड मनरेगा पदाधिकारी से भी बात की गई है।


Conclusion:हरियाली और सुखद छांव के साथ साथ सौ साल पुराने एक पेड़ कैसे आपसी सौहार्द को बढ़ाते हुए एक समाज को जोड़े रखता है यह शायद उसकी एक अद्भुत उदाहरण है। पीपल पेड़ को बचाने को लेकर अल्पसंख्यक युवाओ की पहल अब रंग लाना शुरू कर दिया है। बरारी प्रखंड मनरेगा पदाधिकारी रतन कुमार कहते हैं की इस पेड़ को कटाव के जद से बचाने के लिए पहल की जायेगी। फिलहाल वहां पर पानी तेज है इसलिए पानी कम होने के बाद ही कुछ किया जाएगा।
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