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कटिहार: रोजगार ऋण के लिए उमड़ी युवाओं की भीड़ - कटिहार में रोजगार ऋण के लिये भीड़

कटिहार समाहरणालय के अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय के बाहर युवाओं ने रोजगार ऋण के लिये आवेदन किया. सैंकड़ो की तादाद में युवा जिले के विभिन्न इलाके से आये हैं.

youth gathered for employment loans in katihar
रोजगार ऋण के लिये उमड़ी युवाओं की भीड़
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Published : Jan 1, 2020, 1:46 PM IST

कटिहार: बिहार में अल्पसंख्यकों को स्वावलंबी बनाने की सरकारी मुहिम का असर अल्पसंख्यकों पर साफ दिखने लगा है. मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना के तहत जिला समाहरणालय में सैकड़ों युवा कतार में लगकर ऋण के लिए आवेदन कर रहे हैं.

विभिन्न इलाके से आये युवा
कटिहार समाहरणालय के अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय के बाहर युवाओं ने रोजगार ऋण के लिये आवेदन किया. सैकड़ों की तादाद में युवा जिले के विभिन्न इलाके से आये हैं. दरअसल बिहार सरकार ने सूबे में अल्पसंख्यक समाज के लोगों को खासकर मुस्लिम, जैन, सिख, ईसाई और बौद्ध वर्ग के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिये मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना चला रही है. जिसके तहत रोजगार के लिये दो से पांच लाख रुपये का लोन दिया जाता है. इस ऋण के तहत लोग ब्यूटी पार्लर से लेकर किराना, कपड़ा सहित अन्य दुकान खोल सकते हैं.

देखें ये रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: खुशखबरी: नए साल में डेढ़ लाख शिक्षकों की होगी बहाली

'रोजगार के लिये ऋण का आवेदन'
आवेदनकर्ता शकूर ने बताया कि उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन किया है. उसके बाद जगह-जगह सरकारी नौकरी के लिये आवेदन किया. लेकिन सफल नहीं हो पाए. इसलिए रोजगार के लिये ऋण का आवेदन कर रहे हैं. वहीं, आवेदनकर्ता वारिश हुसैन ने बताया कि पहले से कपड़े की छोटी-मोटी दुकान है. ऋण लेकर उसको बढ़ाने का काम करना है.

कटिहार: बिहार में अल्पसंख्यकों को स्वावलंबी बनाने की सरकारी मुहिम का असर अल्पसंख्यकों पर साफ दिखने लगा है. मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना के तहत जिला समाहरणालय में सैकड़ों युवा कतार में लगकर ऋण के लिए आवेदन कर रहे हैं.

विभिन्न इलाके से आये युवा
कटिहार समाहरणालय के अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय के बाहर युवाओं ने रोजगार ऋण के लिये आवेदन किया. सैकड़ों की तादाद में युवा जिले के विभिन्न इलाके से आये हैं. दरअसल बिहार सरकार ने सूबे में अल्पसंख्यक समाज के लोगों को खासकर मुस्लिम, जैन, सिख, ईसाई और बौद्ध वर्ग के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिये मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना चला रही है. जिसके तहत रोजगार के लिये दो से पांच लाख रुपये का लोन दिया जाता है. इस ऋण के तहत लोग ब्यूटी पार्लर से लेकर किराना, कपड़ा सहित अन्य दुकान खोल सकते हैं.

देखें ये रिपोर्ट

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'रोजगार के लिये ऋण का आवेदन'
आवेदनकर्ता शकूर ने बताया कि उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन किया है. उसके बाद जगह-जगह सरकारी नौकरी के लिये आवेदन किया. लेकिन सफल नहीं हो पाए. इसलिए रोजगार के लिये ऋण का आवेदन कर रहे हैं. वहीं, आवेदनकर्ता वारिश हुसैन ने बताया कि पहले से कपड़े की छोटी-मोटी दुकान है. ऋण लेकर उसको बढ़ाने का काम करना है.

Intro:रोजगार ऋण के लिये उमड़ी अल्पसंख्यक युवाओं की भीड़ ।


.......बिहार में अल्पसंख्यकों को स्वावलंबी बनाने के सरकारी मुहिम का असर अल्पसंख्यकों पर साफ दिखने लगा हैं । कटिहार में अल्पसंख्यक समाज के युवा अपनी तकदीर और तस्वीर बदलने के लिये तथा नया इतिहास गढ़ने के लिये आतुर दिख रहे हैं । मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना के तहत सैकड़ों युवा कतार में लग ऋण के लिये आवेदन कर रहें हैं ताकि यह समाज की मुख्यधारा में जुड़ ईमानदारी से दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के साथ - साथ सुनहरा भविष्य लिख सकें.....।


Body:रोजगार कर बेहतर जिन्दगी गुजारने का सपना ।



यह दृश्य कटिहार समाहरणालय स्थित अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय के बाहर का हैं जहाँ युवाओं की लंबी कतार रोजगार ऋण के लिये आवेदन कर रही हैं। युवाओं के हाथों में तस्वीर लगे कागज के आवेदन पत्र हैं जिस पर ऋण के लिये जरूरी जानकारी लिखी हैं । सैकड़ों के तादाद में कतारबद्ध यह युवा , जिले के विभिन्न इलाके से आये हैं । दरअसल , बिहार सरकार ने सूबे में अल्पसंख्यक समाज के लोगों को खासकर मुस्लिम , जैन , सिख , ईसाई , बौद्ध वर्ग के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिये मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना चला रहीं हैं जिसके तहत रोजगार के लिये दो से पाँच लाख रुपये का लोन दिया जाता हैं । इस ऋण के तहत लोग ब्यूटी पार्लर से लेकर किराना , कपड़ा सहित अन्य दुकानें खोल सकते हैं । आवेदनकर्ता शकूर बताते हैं कि इन्होंने साइंस में ग्रेड्यूएशन किया , जगह - जगह सरकारी नौकरी के लिये आवेदन किये लेकिन सफल नहीं हो पाये। रोजगार के लिये ऋण का आवेदन कर रहें हैं , यदि मिल गयी तो तकदीर सुनहरी बन सकेगी । आवेदनकर्ता आफताब बताते हैं कि रोजगार आदमी को स्वाबलम्बी बनाता हैं और इसी के लिये आवेदन कर रहा हूँ वहीं वारिश हुसैन बताते हैं कि पहले से कपड़े का छोटी- मोटी दुकान हैं जिसे ऋण लेकर और संवारना चाहता हूँ ......।


Conclusion:मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना से बदल सकती हैं बेरोजगारों की किस्मत ।


जब पढ़ लिखकर आदमी नौकरी के लिये निकलता हैं तो हर किसी को नौकरी नसीब नहीं हो पाती जिसके बाद रोजगार ही जिन्दगी बसर करने का रास्ता बन जाता हैं लेकिन यदि रोजगार के लिये भी पॉकेट में पैसे नहीं हों तो आदमी करें तो क्या करें , किस्मत को कोसता हैं । ऐसे में जिन्दगी की सफर को आसान बनाने के लिये सरकारी ऋण संजीवनी का काम करती हैं जिसके मिल जाने के बाद युवा इधर - उधर भटकने के बजाय रोजगार पर ध्यान केन्द्रित करते हैं और सफल जिन्दगी गुजारते हैं । कटिहार में भी अल्पसंख्यकों युवाओं की यह अंगराई बेहतर भविष्य की पटकथा लिख रहीं हैं .......।
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