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पानी पर पाठशालाः बाढ़ के कारण गांव में नहीं बची सूखी जमीन तो नाव पर ही लगी क्लास

कटिहार के मनिहारी में तीन शिक्षकों ने बच्चों को नाव पर ही पढ़ाना शुरू कर दिया है. क्योंकि स्कूल, घर, खेत तमाम जगहों पर बाढ़ का पानी जमा है. सड़क सूखी है लेकिन लोगों ने वहां अपना आशियाना बना लिया है. ऐसे में शिक्षकों ने नाव पर क्लास लगा दी.

कटिहार
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Published : Sep 5, 2021, 4:17 PM IST

कटिहारः शिक्षक दिवस (Teachers Day) के मौके पर कटिहार के मनिहारी (Manihari Block) से एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है, जो शिक्षा की अलख जगाने के लिए काफी है. बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) अब लोगों की नियति बन चुका है. ऐसे में मनिहारी के मारालैंड (Maraland Village) में भी बाढ़ का पानी जमा है. सूखी जमीन बची नहीं कि पढ़ाई हो सके. इस कारण बच्चों को तीन शिक्षक नाव पर पढ़ा रहे हैं. दो फीट पानी पर नाव रहती है और बच्चे पढ़ाई करते रहते हैं.

यह भी पढ़ें- इस 'गुरुकुल' में पढ़ाई की फीस है मात्र एक किलो चावल, कुकिंग और फार्मिंग की भी दी जाती है शिक्षा

इन शिक्षकों का मकसद है कि बाढ़ की परेशानियों के बीच गांव के किसी भी मासूम की पढ़ाई बाधित न हो. बीच दरिया में नाव पर मासूमों को ये शिक्षक तालीम देते हैं. बता दें कि कटिहार के मनिहारी इलाके के मारालैंड गांव में गंगा नदी में बाढ़ आ जाने के कारण सब कुछ डूब चुका है.

देखें वीडियो

निचले इलाके में पड़ने वाले इस इलाके में लाखों की फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो गयी है. लोगों के घरों में अब भी कमर भर से ज्यादा पानी जमा है. स्कूलों की तो बात ही छोड़िये. जमे हुए बाढ़ के पानी ने शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ डाली है. जिससे बच्चे महीनों से पढ़ाई से महरूम है.

शिक्षकों का कहना है कि इलाके में जो सूखी जगह है, वह सड़क है. सड़कों पर लोगों ने अपना आशियाना बना लिया है. गांव में कुछ जगहों पर सूखी जगह है, लेकिन लोग वहां मचान बना कर रहते हैं. पहले कम बच्चे ही आते थे. लेकिन अब 20-30 बच्चे पढ़ाई करने आने लगे हैं.

जगह की कमी है, जिससे स्कूल चलाने में दिक्कत हो रही है. लेकिन बच्चों के पढ़ाई पर ब्रेक नहीं लगे इसके लिये गांव के तीन शिक्षक कुन्दन, पंकज और रविन्द्र बच्चों को नाव पर तालीम मुहैय्या करवा रहे हैं, वह भी निःशुल्क.

'मनिहारी चारों ओर से डूबा है. यहां नाव हर घर में है. हमने यह सोचा कि पढ़ाई की जगह नहीं मिल रही है तो हम नाव पर ही पढ़ाने लगे हैं. जब तक बाढ़ खत्म नहीं हो जाती, तब तक हम नाव पर ही पढ़ाएंगे.' -कुंदन कुमार, शिक्षक

'यह बाढ़ पीड़ित क्षेत्र है. छह महीने यहां पानी जमा रहता है. छह माह सूखा रहता है. ऐसे में हमारा नाव से गहरा रिश्ता रहा है. नाव ही हमारा एक मात्र विकल्प रहा है. यहां बच्चे पानी से नहीं डरते हैं. लोगों को एक आदत सी हो गई है. हम यहां 12 दिन पहले जब आए थे, तो भीग कर आते थे. लेकिन अब थोड़ आवागमन सुलभ हुआ है.' -पंकज कुमार साह, शिक्षक

'मैं मैट्रिक में हूं. लॉकडाउन के कारण सिलेबस पूरा नहीं हुआ है. हमारे सीनियर्स ने कहा कि सिलेबस पूरा करने के लिए हम लोग पढ़ा देते हैं. जगह नहीं था, तो उन्होंने नाव पर पढ़ाना शुरू कर दिया. नाव से हमारा गहरा रिश्ता रहा है. इस कारण नाव पर डर नहीं लगता है. मुझे इंडियन आर्मी में जाना है. इसलिए मुझे पढ़ाई करना जरूरी है.' -अमीरलाल कुमार, छात्र

पानी की लहरों पर नाव चलती रहती है और बच्चे पढ़ाई करते रहते हैं. बता दें कि गंगा में आये बाढ़ से आम जनजीवन परेशान है लेकिन बच्चों की पढ़ाई कभी नहीं रुकी. शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षा से जुड़ी यह अनोखी तस्वीर बताती है कि शिक्षा दान महादान है.

यह भी पढ़ें- निशुल्क गरीब बच्चों में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं योगेंद्र ठाकुर

कटिहारः शिक्षक दिवस (Teachers Day) के मौके पर कटिहार के मनिहारी (Manihari Block) से एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है, जो शिक्षा की अलख जगाने के लिए काफी है. बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) अब लोगों की नियति बन चुका है. ऐसे में मनिहारी के मारालैंड (Maraland Village) में भी बाढ़ का पानी जमा है. सूखी जमीन बची नहीं कि पढ़ाई हो सके. इस कारण बच्चों को तीन शिक्षक नाव पर पढ़ा रहे हैं. दो फीट पानी पर नाव रहती है और बच्चे पढ़ाई करते रहते हैं.

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इन शिक्षकों का मकसद है कि बाढ़ की परेशानियों के बीच गांव के किसी भी मासूम की पढ़ाई बाधित न हो. बीच दरिया में नाव पर मासूमों को ये शिक्षक तालीम देते हैं. बता दें कि कटिहार के मनिहारी इलाके के मारालैंड गांव में गंगा नदी में बाढ़ आ जाने के कारण सब कुछ डूब चुका है.

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निचले इलाके में पड़ने वाले इस इलाके में लाखों की फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो गयी है. लोगों के घरों में अब भी कमर भर से ज्यादा पानी जमा है. स्कूलों की तो बात ही छोड़िये. जमे हुए बाढ़ के पानी ने शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ डाली है. जिससे बच्चे महीनों से पढ़ाई से महरूम है.

शिक्षकों का कहना है कि इलाके में जो सूखी जगह है, वह सड़क है. सड़कों पर लोगों ने अपना आशियाना बना लिया है. गांव में कुछ जगहों पर सूखी जगह है, लेकिन लोग वहां मचान बना कर रहते हैं. पहले कम बच्चे ही आते थे. लेकिन अब 20-30 बच्चे पढ़ाई करने आने लगे हैं.

जगह की कमी है, जिससे स्कूल चलाने में दिक्कत हो रही है. लेकिन बच्चों के पढ़ाई पर ब्रेक नहीं लगे इसके लिये गांव के तीन शिक्षक कुन्दन, पंकज और रविन्द्र बच्चों को नाव पर तालीम मुहैय्या करवा रहे हैं, वह भी निःशुल्क.

'मनिहारी चारों ओर से डूबा है. यहां नाव हर घर में है. हमने यह सोचा कि पढ़ाई की जगह नहीं मिल रही है तो हम नाव पर ही पढ़ाने लगे हैं. जब तक बाढ़ खत्म नहीं हो जाती, तब तक हम नाव पर ही पढ़ाएंगे.' -कुंदन कुमार, शिक्षक

'यह बाढ़ पीड़ित क्षेत्र है. छह महीने यहां पानी जमा रहता है. छह माह सूखा रहता है. ऐसे में हमारा नाव से गहरा रिश्ता रहा है. नाव ही हमारा एक मात्र विकल्प रहा है. यहां बच्चे पानी से नहीं डरते हैं. लोगों को एक आदत सी हो गई है. हम यहां 12 दिन पहले जब आए थे, तो भीग कर आते थे. लेकिन अब थोड़ आवागमन सुलभ हुआ है.' -पंकज कुमार साह, शिक्षक

'मैं मैट्रिक में हूं. लॉकडाउन के कारण सिलेबस पूरा नहीं हुआ है. हमारे सीनियर्स ने कहा कि सिलेबस पूरा करने के लिए हम लोग पढ़ा देते हैं. जगह नहीं था, तो उन्होंने नाव पर पढ़ाना शुरू कर दिया. नाव से हमारा गहरा रिश्ता रहा है. इस कारण नाव पर डर नहीं लगता है. मुझे इंडियन आर्मी में जाना है. इसलिए मुझे पढ़ाई करना जरूरी है.' -अमीरलाल कुमार, छात्र

पानी की लहरों पर नाव चलती रहती है और बच्चे पढ़ाई करते रहते हैं. बता दें कि गंगा में आये बाढ़ से आम जनजीवन परेशान है लेकिन बच्चों की पढ़ाई कभी नहीं रुकी. शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षा से जुड़ी यह अनोखी तस्वीर बताती है कि शिक्षा दान महादान है.

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