कटिहार : भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलाने के लिये कटिहार के 13 शहीदों के नाम पर बना शहीद पार्क सरकारी उपेक्षाओं का शिकार बन गया है. शहीद पार्क के रख - रखाव और सौंदर्यीकरण के नाम पर हर साल लाखों रुपये फूंक दिये जाते हैं. लेकिन प्रबंधन को इसकी याद तब आती है जब 15 अगस्त , 26 जनवरी और कारगिल शौर्य दिवस की तारीखें नजदीक आती हैं. बदइंतजामी की वजह से दिन - प्रतिदिन शहीद पार्क के हालात गिरते जा रहे हैं.
शहादत की याद में शहीद पार्क का हुआ था निर्माण
पार्क के बीचों-बीच काले पत्थरों के टाइल्स पर जिले के उन 13 वीर सपूतों के नाम खुदे हैं. जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते हुए तेरह अगस्त 1942 को शहीद पार्क से महज पचास मीटर दूर उत्तर , रंगरूटों की गोली का शिकार होकर मौत को गले लगाया था. राज्य सरकार ने शहादत की याद में शहीद पार्क का निर्माण कराया और लाखों रुपये खर्च किये. इसमें पानी के झरने, बैठने के प्लेटफॉर्म और खूबसूरत पेड़ों को लगाया गया. लेकिन कुछ समय बाद ही इसकी भी हालत सूबे के अन्य पार्कों की तरह दयनीय हो गयी. स्तंभों में दरारें पड़ गयी हैं. इन स्तंभों पर शहीदों के कुर्बानियों के बारे में लिखी बातें मिट रही हैं.
महीनों से साफ नहीं हुई हैं पार्क की नालियां
दिन में अक्सर यहाँ असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है. जो झरने और वाटर फॉल पार्क के खूबसूरती के लिये लगाये गये थे , उसमें गन्दे पानी और कीड़े - मकोड़े रह रहें हैं. पार्क की नालियाँ भी महीनों से साफ नहीं हुई हैं, और फूलों के बेतरकीब बढ़े टहनियाँ, घास - फूस इसकी सुंदरता के पैरामीटर को गिरा रहे हैं. स्थानीय निवासी समरेंद्र कुणाल बताते हैं कि पार्क की बदइंतजामी, वतन पर शहादत देने वालों का अपमान है. लेकिन शहीद पार्क का प्रबंधन देख रहे कटिहार नगर निगम के मेयर विजय सिंह बदइंतजामी के सवाल पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.
क्या कहते हैं अधिकारी
मेयर विजय सिंह बताते हैं कि पेड़ों के पत्ते गिरने की वजह से वाटर फॉल गन्दा हो जाता है. इस पार्क में छोटे - छोटे बच्चे घूमने आते हैं , सेल्फी लेते हैं और इन्जॉय करते हैं. हम आने वाले दिनों में साफ - सफाई करेगें ताकि ज्यादा से ज्यादा इसका फायदा लोगों को मिल सके. शहीदों के चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले , वतन पर मरने वालों का यही निशां होगा ". सपूतों के कुर्बानियों को याद रखने के लिये लिखी यह पंक्तियाँ और दूसरी ओर शहीद पार्क की बदहाली की यह तस्वीर यह बताने के लिये काफी है कि जिला प्रशासन किस कदर संवेदनहीन हो चुका है. जरूरत है आजादी के दीवानों के नामों पर बने शहीद पार्क के रखरखाव के बेहतर प्रबंधन की.