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विकास के नाम पर खोखले हो रहे सरकार के दावे, अधूरे पुल निर्माण से लोग परेशान - पुल निर्माण कराने की मांग

स्थानीय लोगों का कहना है बारिश के दिनों में काफी परेशानी होती है. बाढ़ के कारण गांव से प्रखंड मुख्यालय पहुंचना एक टेढ़ी खीर है क्योंकि सड़क पर पानी आ जाता है और नाव के जरिए आवागमन होता है. यदि पुल बन जाता है तो इस इलाके के हजारों लोगों को काफी मदद मिलेगी.

अधूरे पुल निर्माण से लोग परेशान
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Published : Nov 7, 2019, 2:26 PM IST

कटिहार: सरकार विकास के लाख दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. कहीं सड़क बना तो ढलाई नहीं हुई, कहीं पुल बना तो अप्रोच नहीं है. बस जैसे-तैसे काम निकाला जा रहा है. विकास के नाम पर पानी की तरह पैसा भी बहाया जा रहा है लेकिन जिले में अधकचरा विकास सरकार के दावे की पोल खोल रहा है.

जिले के बलरामपुर प्रखंड के दुल्लहपुर गांव में सरकार ने लोगों को बाढ़ से निजात दिलाने के लिए आवागमन हेतु एक पक्के पुल का निर्माण कराया था. यह पुल क्षेत्र के 10 हजार आबादी के आवागमन का एकमात्र जरिया है बावजूद इसके 6 महीने से भी अधिक समय गुजर जाने के बावजूद भी इसका अप्रोच अभी तक नहीं बन पाया है. इस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

katihar
अधूरे पुल निर्माण से आवागमन में होती है परेशानी

आवागमन में होती है परेशानी
स्थानीय लोगों का कहना है बारिश के दिनों में काफी परेशानी होती है. बाढ़ के कारण गांव से प्रखंड मुख्यालय पहुंचना एक टेढ़ी खीर है क्योंकि सड़क पर पानी आ जाता है और नाव के जरिए आवागमन होता है. यदि पुल बन जाता है तो इस इलाके के हजारों लोगों को काफी मदद मिलेगी.

जानकारी देते स्थानीय और ईटीवी भारत के संवाददाता

पुल निर्माण कराने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि यहां सिर्फ पुल की समस्या ही नहीं है. पुल के साथ-साथ सड़क की समस्या भी है जो जले पर नमक छिड़कने के समान है. एक तो पुल का आधा अधूरा निर्माण हुआ है वहीं दूसरी और सड़क की भी हालात जर्जर है. सरकार से इनकी मांग है कि जल्द से जल्द इस पुल का निर्माण कराया जाये ताकि लोगों को आवागमन में सुविधा हो.

कटिहार: सरकार विकास के लाख दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. कहीं सड़क बना तो ढलाई नहीं हुई, कहीं पुल बना तो अप्रोच नहीं है. बस जैसे-तैसे काम निकाला जा रहा है. विकास के नाम पर पानी की तरह पैसा भी बहाया जा रहा है लेकिन जिले में अधकचरा विकास सरकार के दावे की पोल खोल रहा है.

जिले के बलरामपुर प्रखंड के दुल्लहपुर गांव में सरकार ने लोगों को बाढ़ से निजात दिलाने के लिए आवागमन हेतु एक पक्के पुल का निर्माण कराया था. यह पुल क्षेत्र के 10 हजार आबादी के आवागमन का एकमात्र जरिया है बावजूद इसके 6 महीने से भी अधिक समय गुजर जाने के बावजूद भी इसका अप्रोच अभी तक नहीं बन पाया है. इस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

katihar
अधूरे पुल निर्माण से आवागमन में होती है परेशानी

आवागमन में होती है परेशानी
स्थानीय लोगों का कहना है बारिश के दिनों में काफी परेशानी होती है. बाढ़ के कारण गांव से प्रखंड मुख्यालय पहुंचना एक टेढ़ी खीर है क्योंकि सड़क पर पानी आ जाता है और नाव के जरिए आवागमन होता है. यदि पुल बन जाता है तो इस इलाके के हजारों लोगों को काफी मदद मिलेगी.

जानकारी देते स्थानीय और ईटीवी भारत के संवाददाता

पुल निर्माण कराने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि यहां सिर्फ पुल की समस्या ही नहीं है. पुल के साथ-साथ सड़क की समस्या भी है जो जले पर नमक छिड़कने के समान है. एक तो पुल का आधा अधूरा निर्माण हुआ है वहीं दूसरी और सड़क की भी हालात जर्जर है. सरकार से इनकी मांग है कि जल्द से जल्द इस पुल का निर्माण कराया जाये ताकि लोगों को आवागमन में सुविधा हो.

Intro:कटिहार

सरकार विकास के लाख दावे कर ले, सात निश्चय योजना बना ले लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। कहीं सड़क बना तो ढलाई नहीं हुई और कहीं पुल बना तो अप्रोच नहीं है। बस जैसे तैसे काम निकाला जा रहा है। विकास के नाम पर पानी की तरह पैसा भी बहाया जा रहा है लेकिन अधकचरा विकास सरकार के विकास के दावे का पोल खोल रही है।

Body:यह तस्वीर बलरामपुर प्रखंड के दुल्लहपुर गांव का है जहां सरकार ने लोगों को बाढ़ से निजात दिलाने के लिए आवागमन हेतु एक पक्के पुल का निर्माण कराया। यह पुल क्षेत्र के 10 हजार आबादी के आवागमन का एकमात्र जरिया भी है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत को देखिए। हवा में खड़ा यह पुल बिना अप्रोच का है और विकास के जमीनी हकीकत को बताता है। इस पुल से होकर आसपास के महीसाल, बीरपुर, दुल्लहपुर आदि गांवों को जोड़ता है। सरकार ने इस इलाके में हर साल आने वाले बाढ़ के दौरान होने वाली आवागमन की समस्या को देखते हुए इसका निर्माण कराया लेकिन पुल निर्माण के 6 महीने से भी अधिक समय गुजर जाने के बावजूद इसका अप्रोच अभी तक नहीं बन पाया है जिस कारण यह जनता के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है।

स्थानीय ग्रामीण शंकर गोस्वामी बताते हैं बहुत ही दिक्कत है बारिश और बाढ़ के दिनों में गांव से प्रखंड मुख्यालय पहुंचना एक टेढ़ी खीर है क्योंकि सड़क पर पानी आ जाता है और नाव के जरिए आवागमन होता है। यह पुल बन जाता तो इस इलाके के हजारों लोगों के लिए काफी मददगार होता। दूसरे अन्य ग्रामीण जितेंद्र दास बताते हैं सिर्फ पुल की समस्या ही नहीं है। पुल के साथ-साथ सड़क की समस्या भी है जो जले पर नमक छिड़कने के समान है। क्योंकि एक तो पुल का आधा अधूरा निर्माण हुआ है दूसरी सड़क के भी हालात खराब है। इनका सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द इस पुल पर ध्यान देकर आवागमन के लिए इसका निर्माण पूरा करना चाहिए।

Conclusion:बिहार सरकार ने सात निश्चय योजना के तहत 500 से ऊपर हर आबादी वाले गांव को पुल पुलिया और सड़क से जोड़ने का निश्चय दोहराया है ताकि ग्रामीणों को परेशानी से निजात मिल सके। लेकिन यह कैसा विकास है जहां एक और हम चांद पर घर बनाने की सोच रहे हैं वहीं जमीन पर लोग जिंदगी को जीने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं और सरकार के इस आधे अधूरे विकास का थोथा हमें मूंह चिढ़ा रहा है। लाखों रुपए की लागत से बने इस पुल का अप्रोच निर्माण नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानियां उठाना पड़ रहा है। ग्रामीणों की मांग है सरकार जल्द से जल्द इस पुल का निर्माण करा दें ताकि आवागमन में कोई परेशानी ना हो।
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