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पलायन की पीड़ा: रोजी-रोटी के लिए फिर शहरों की ओर भागे प्रवासी मजदूर, मतदान में दिलचस्पी नहीं

स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने के कारण प्रवासी श्रमिक फिर एक बार परदेस के डगर पर हैं, जिससे यह समझा जा सकता है कि सरकार के दावे किस कदर खोखले हैं. देखें पूरी रिपोर्ट...

Migrant workers
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Published : Sep 14, 2020, 10:00 PM IST

कटिहार: पेट की ज्वाला और अपनों के भरण-पोषण की बेचैनी प्रवासियों को पुन: लौटने को विवश कर रही है. रोजगार मुहैया कराने के सरकारी दावों के उलट प्रवासी मजदूर योजनाओं के हकीकत में तब्दील होने को लेकर असमंजस में हैं. वैसे भी बिहार से कामगारों के पलायन के जो कारण पहले थे, कमोबेश वहीं आज भी मौजूद हैं. कोरोना जैसी महामारी के बावजूद उसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है.

Migrant workers
रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य जाते प्रवासी मजदूर

मजदूरों को मतदान में दिलचस्पी नहीं
बिहार में चन्द दिनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मतदान में इन मजदूरों का कोई दिलचस्पी नहीं हैं. क्योंकि पेट की भूख के आगे लोकतंत्र का महापर्व बौना दिखाई पड़ता है. कटिहार के अमदाबाद इलाके के रहने वाले मंटू मंडल ने बताया कि गांव में करें तो क्या करें, ऐसा कोई काम नहीं हैं, जिससे आमदनी हो सके.

देखें पूरी रिपोर्ट

कटिहार रेलवे जंक्शन पर सुबह से ही परदेश जाने वालों की होड़ लग जाती है और रेलवे सुरक्षा बल के जवान इसे कतारबद्ध करवाते नजर आते हैं. बता दें कि सरकार एक ओर प्रवासी श्रमिकों का नाम मतदाता सूची से जोड़ने के लिए अभियान चलाने का निर्देश देती है. ताकि अधिक से अधिक लोग लोकतंत्र का हिस्सा बन सकें. लेकिन इन प्रवासी मजदूरों का मतदान भगवान भरोसे हैं.

प्रवासी श्रमिकों को नहीं मिला रोगजार
कोरोना वायरस के संक्रमण में काफी कुछ बदला है. लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर अपने घर को लौट आए. शुरुआत में 'सुशासन बाबू' की सरकार ने इस प्रवासी श्रमिकों के लिए अपने घर पर ही काम देने वादा किया. लेकिन इन श्रमिकों को कुछ नसीब नहीं हुआ. तीन महीने पहले अपने घर को पहुंचे इन मजदूरों को अब पेट की चिन्ता सताने लगी हैं, जिससे यह सभी एक बार फिर परदेश पलायन को मजबूर हैं.

क्या कहते हैं आरजेडी विधायक
वहीं, विपक्ष प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है. आरजेडी विधायक नीरज कुमार ने बताया कि चुनाव में लोग सरकार से सब हिसाब-किताब चुकता करेंगे.

कटिहार जंक्शन
कटिहार जंक्शन

परदेश के डगर पर प्रवासी मजदूर
सरकारी आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान कटिहार में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिक घर को लौटे थे. प्रवासी मजदूरों की यह संख्या चुनाव के दौरान किसी भी राजनीतिक दलों के जीत-हार के गणित को बदल सकती हैं. लेकिन स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने के कारण यह प्रवासी श्रमिक फिर एक बार परदेश के डगर पर हैं, जिससे समझा जा सकता हैं कि सरकार के दावे किस कदर खोखले हैं.

कटिहार: पेट की ज्वाला और अपनों के भरण-पोषण की बेचैनी प्रवासियों को पुन: लौटने को विवश कर रही है. रोजगार मुहैया कराने के सरकारी दावों के उलट प्रवासी मजदूर योजनाओं के हकीकत में तब्दील होने को लेकर असमंजस में हैं. वैसे भी बिहार से कामगारों के पलायन के जो कारण पहले थे, कमोबेश वहीं आज भी मौजूद हैं. कोरोना जैसी महामारी के बावजूद उसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है.

Migrant workers
रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य जाते प्रवासी मजदूर

मजदूरों को मतदान में दिलचस्पी नहीं
बिहार में चन्द दिनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मतदान में इन मजदूरों का कोई दिलचस्पी नहीं हैं. क्योंकि पेट की भूख के आगे लोकतंत्र का महापर्व बौना दिखाई पड़ता है. कटिहार के अमदाबाद इलाके के रहने वाले मंटू मंडल ने बताया कि गांव में करें तो क्या करें, ऐसा कोई काम नहीं हैं, जिससे आमदनी हो सके.

देखें पूरी रिपोर्ट

कटिहार रेलवे जंक्शन पर सुबह से ही परदेश जाने वालों की होड़ लग जाती है और रेलवे सुरक्षा बल के जवान इसे कतारबद्ध करवाते नजर आते हैं. बता दें कि सरकार एक ओर प्रवासी श्रमिकों का नाम मतदाता सूची से जोड़ने के लिए अभियान चलाने का निर्देश देती है. ताकि अधिक से अधिक लोग लोकतंत्र का हिस्सा बन सकें. लेकिन इन प्रवासी मजदूरों का मतदान भगवान भरोसे हैं.

प्रवासी श्रमिकों को नहीं मिला रोगजार
कोरोना वायरस के संक्रमण में काफी कुछ बदला है. लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर अपने घर को लौट आए. शुरुआत में 'सुशासन बाबू' की सरकार ने इस प्रवासी श्रमिकों के लिए अपने घर पर ही काम देने वादा किया. लेकिन इन श्रमिकों को कुछ नसीब नहीं हुआ. तीन महीने पहले अपने घर को पहुंचे इन मजदूरों को अब पेट की चिन्ता सताने लगी हैं, जिससे यह सभी एक बार फिर परदेश पलायन को मजबूर हैं.

क्या कहते हैं आरजेडी विधायक
वहीं, विपक्ष प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है. आरजेडी विधायक नीरज कुमार ने बताया कि चुनाव में लोग सरकार से सब हिसाब-किताब चुकता करेंगे.

कटिहार जंक्शन
कटिहार जंक्शन

परदेश के डगर पर प्रवासी मजदूर
सरकारी आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान कटिहार में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिक घर को लौटे थे. प्रवासी मजदूरों की यह संख्या चुनाव के दौरान किसी भी राजनीतिक दलों के जीत-हार के गणित को बदल सकती हैं. लेकिन स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने के कारण यह प्रवासी श्रमिक फिर एक बार परदेश के डगर पर हैं, जिससे समझा जा सकता हैं कि सरकार के दावे किस कदर खोखले हैं.

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