कटिहार(मनिहारी): बाबा धाम की अलौकिक कांवर यात्रा यूं तो बिहार के भागलपुर जिले से शुरू होती हैं. परंपरा के अनुसार शिवभक्त भागलपुर के सुल्तानगंज में गंगा नदी में स्नान करतें हैं और बाबा अजगैबीनाथ की पूजा कर यात्रा का संकल्प लेते हैं. लेकिन जिले के मनिहारी गंगा तट पर भी एक 'मिनी सुल्तानगंज' बसता है.
'मिनी सुल्तानगंज' झेल रहा कोरोना की मार
इस 'मिनी सुल्तानगंज' में हर साल कटिहार, पुर्णिया, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा जैसे सीमांचल के जिलों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल, भूटान से भी श्रद्धालु आते है और गंगा स्नान कर सुल्तानगंज के लिए प्रस्थान करते हैं. लेकिन जिले का मनिहारी गंगा नदी तट घाट इन दिनों कोरोना संकट की मार झेल रहा है.
बेजान पड़ा मनिहारी गंगा नदी तट
झारखंड सरकार ने इस साल देवघर में सावन मेला नहीं आयोजित करने का फैसला लिया है. इस फैसले से जिस मनिहारी गंगा नदी तट घाट पर सावन के दौरान तिल भर भी पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी, वहां गंगा नदी का तट बेजान बना हुआ है. स्थानीय मनोज कुमार ठाकुर बताते हैं कि एक महीने चलने वाले सावन कांवर यात्रा के लिए यहा महीनों पहले तैयारियां शुरू हो जाती है. गंगा तट पर दुकानें लगाने के लिए बुकिंग की जाती है.
लोगों के कारोबार पर फिरा पानी
हर साल इस गंगा तट पर लाखों के पूजन सामग्रियों का कारोबार होता है. अलग-अलग जगहों से पहुंचे श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में स्नान कर सुल्तानगंज के लिए प्रस्थान करते हैं. स्थानीय पुजारी चितरंजन मिश्रा बताते हैं कि जब से कोरोना संकट हुआ हैं, लोगों के कारोबार पर पानी फिर गया है. सारा कामकाज बन्द है. एक भी दुकान नहीं खुल रही है. गंगा दशहरा और सूर्यग्रहण के दौरान भी वीरानी छायी थी.
पहली बार पूजा-अर्चना पर लगा ब्रेक
उन्होंने कहा कि बाबा धाम का उल्लेख पुराणों में भी हैं. यहां पूजा अनवरत चलती आ रही है. यह पहला मौका है जब सावन में मेले के आयोजन पर सरकारी ब्रेक लगा है. मुगल और अंग्रेजी शासनकाल में भी यहां पूजा पर रोक नहीं लगी थी. कॉलरा, प्लेग और स्पेनिश फ्लू जैसी महामारी के समय में भी बाबा धाम में पूजा अर्चना जारी रही. लेकिन कोविड-19 ने इस कदर अपना असर डाला है कि पूजा-पाठ, धार्मिक संस्कार, शादी-विवाह, मुंडन संस्कार और कारोबार में मंदी छा गयी.