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कटिहार: कटाव से नदी में समा रहे सरकारी स्कूल, सवालों के घेरे में शिक्षा विभाग

कटिहार में कटाव का डर लोगों के लिए कोई नई बात नहीं है. जिले में बीते तीन सालों में करीब पांच सरकारी स्कूल गंगा नदी में बह चुके हैं. ऐसे में साल दर साल सरकारी स्कूलों के नदी में विलीन होने की कहानी अब सवालों के घेरे में है.

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Published : Sep 6, 2019, 11:08 AM IST

कटाव का डर

कटिहार: जिले के अमदाबाद इलाके के बबलाबन्ना गांव में चंद दिन पहले कटवा की वजह से देखते ही देखते चार कमरे का सरकारी स्कूल गंगा नदी के गर्भ में चला गया. इस तरह इलाके के पांच और सरकारी स्कूल नदी में समा चुके हैं. जिसमें मध्य विद्यालय धन्नीटोला, मध्य विद्यालय कृष्णनगर केवाला, उत्क्रमित मध्य विद्यालय खट्टी भवानीपुर, मध्य विद्यालय खट्टी विशनपुर सहित अन्य कई स्कूल शामिल हैं.

government schools of katihar, bihar education department, Fear of erosion in Katihar
जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेशचन्द्र देव बिंद

'विभाग और प्रशासन को लिख चुके हैं पत्र'
शिक्षा विभाग स्कूल के नदियों में विलीन होने से कुछ दिनों पहले बाढ़ नियंत्रण विभाग और स्थानीय प्रशासन को पत्र लिख चुका है. ऐसे में स्थानीय लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग लापरवाह है. कटिहार के जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेशचन्द्र देव बिंद कह रहे हैं कि कटाव की जद में स्कूलों को जाने से रोकने के लिए हम विभाग और प्रशासन को पत्र लिख चुके हैं. लेकिन जब गांव ही पूरी तीव्र गंगा में बह जाए तो क्या कहा जा सकता है.

कटाव से नदी में समा रहे सरकारी स्कूल

अंधकार में है छात्रों का भविष्य
स्थानीय आशु पांडेय कहते हैं कि ये शिक्षा विभाग की लापरवाही है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नींद तब खुलती है जब कटाव स्कूल के ठीक नजदीक आ चुका होता है. उनकी ऊंचाई टूटते ही वे फ्लड कंट्रोल डिपार्टमेंट को पत्र लिखते हैं. फिर फ्लड कंट्रोल विभाग इसे रूटीन मैसेज मानकर इस पर कार्रवाई और फंडिंग के लिये उच्च अधिकारियों को पत्र लिखता है. ऐसे में जब तक इस पर कोई विभागीय प्रक्रिया शुरू होती है, तब तक पूरे गांव के विद्यालय कटाव में विलीन हो चुके होते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जिले में पढ़ रहे छात्रों का भविष्य अंधकार में है. वहीं, नेताओं के कान पर जूं तक नहीं रेंगते हैं. ऐसे में इसकी पूरी जवाबदेही मुख्यमंत्री की है.

कटिहार: जिले के अमदाबाद इलाके के बबलाबन्ना गांव में चंद दिन पहले कटवा की वजह से देखते ही देखते चार कमरे का सरकारी स्कूल गंगा नदी के गर्भ में चला गया. इस तरह इलाके के पांच और सरकारी स्कूल नदी में समा चुके हैं. जिसमें मध्य विद्यालय धन्नीटोला, मध्य विद्यालय कृष्णनगर केवाला, उत्क्रमित मध्य विद्यालय खट्टी भवानीपुर, मध्य विद्यालय खट्टी विशनपुर सहित अन्य कई स्कूल शामिल हैं.

government schools of katihar, bihar education department, Fear of erosion in Katihar
जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेशचन्द्र देव बिंद

'विभाग और प्रशासन को लिख चुके हैं पत्र'
शिक्षा विभाग स्कूल के नदियों में विलीन होने से कुछ दिनों पहले बाढ़ नियंत्रण विभाग और स्थानीय प्रशासन को पत्र लिख चुका है. ऐसे में स्थानीय लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग लापरवाह है. कटिहार के जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेशचन्द्र देव बिंद कह रहे हैं कि कटाव की जद में स्कूलों को जाने से रोकने के लिए हम विभाग और प्रशासन को पत्र लिख चुके हैं. लेकिन जब गांव ही पूरी तीव्र गंगा में बह जाए तो क्या कहा जा सकता है.

कटाव से नदी में समा रहे सरकारी स्कूल

अंधकार में है छात्रों का भविष्य
स्थानीय आशु पांडेय कहते हैं कि ये शिक्षा विभाग की लापरवाही है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नींद तब खुलती है जब कटाव स्कूल के ठीक नजदीक आ चुका होता है. उनकी ऊंचाई टूटते ही वे फ्लड कंट्रोल डिपार्टमेंट को पत्र लिखते हैं. फिर फ्लड कंट्रोल विभाग इसे रूटीन मैसेज मानकर इस पर कार्रवाई और फंडिंग के लिये उच्च अधिकारियों को पत्र लिखता है. ऐसे में जब तक इस पर कोई विभागीय प्रक्रिया शुरू होती है, तब तक पूरे गांव के विद्यालय कटाव में विलीन हो चुके होते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जिले में पढ़ रहे छात्रों का भविष्य अंधकार में है. वहीं, नेताओं के कान पर जूं तक नहीं रेंगते हैं. ऐसे में इसकी पूरी जवाबदेही मुख्यमंत्री की है.

Intro:.......कटिहार में कटाव की विभीषिका कोई नयी बात नहीं हैं लेकिन गंगा कटाव में साल दर साल सरकारी स्कूलों के विलीन होने की दास्ताँ अब सवालों के घेरे में हैं कि आखिर यह कटिहार के वाशिन्दों के लिये क्या एक नियति भर हैं या फिर इसके पीछे लापरवाही हैं .....। शिक्षा विभाग स्कूल के नदियों में विलीन होने से चन्द दिनों पहले बाढ़ नियंत्रण विभाग और स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता हैं लेकिन स्थानीय लोग इसके पीछे शिक्षा विभाग की ही अकर्मण्यता करार देते हैं......। जिले में बीते तीन सालों में करीब पाँच सरकारी विद्यालय बाबुओं की लापरवाही से नदियों में विलीन हो चुके हैं .....।


Body:यह तस्वीर कटिहार के अमदाबाद इलाके के बबलाबन्ना गाँव की हैं जहाँ चन्द दिन पहले देखते ही देखते चार कमरे का सरकारी स्कूल गंगा नदी के गर्भ में चला गया .....। लाइव कटाव की दहशतभरी यह कोई पहली तस्वीर नहीं हैं बल्कि इससे पहले भी गंगा नदी के रौद्ररूप ने इलाके के पाँच अन्य सरकारी विद्यालयों को अपने जबड़े में लील लिया हैं जिसमे मध्य विद्यालय धन्नीटोला , मध्य विद्यालय कृष्णनगर केवाला , उत्क्रमित मध्य विद्यालय खट्टी भवानीपुर , मध्य विद्यालय खट्टी विशनपुर सहित अन्य कई स्कूल हैं लेकिन साल दर साल गंगा नदी में विलीन होते यह स्कूल आखिर किसकी लापरवाही की भेंट चढ़ रहे हैं ......। क्या यह एकमात्र प्राकृतिक नियति हैं जिसे भुगतना मजबूरी हैं ....। स्थानीय आशु पांडेय बताते हैं कि यह शिक्षा विभाग के बाबुओं की सरासर लापरवाही हैं ....। शिक्षा विभाग के बाबुओं की नींद तब खुलती है जब कटाव स्कूल के ठीक नजदीक आ चुका होता हैं तब इन अधिकारियों की तन्द्रा टूटती हैं और तब होता हैं फ्लड कंट्रोल डिपार्टमेंट को पत्र लिखने का कार्य ....। मजे की बात यह हैं कि तब तक फ्लड कंट्रोल विभाग इसे रूटीन मैसेज मानकर फिर वह कार्रवाई और फंडिंग के लिये उच्च अधिकारियों को लिखता हैं और फिर जब तक इसपर विभागीय प्रक्रिया शुरू होती हैं तब तक पूरा गाँव कटाव से विलीन हो चुका होता है । कटिहार के जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेशचन्द्र देव बिंद बताते हैं कटाव की जद में जाने से रोकने के लिये विभाग और प्रशासन को पत्र लेखन किया जाता हैं लेकिन जब पूरी गाँव ही तीव्र गंगा में बह जाये तो क्या कहा जा सकता हैं.......।


Conclusion:यह सच हैं कि सरकारी विभाग की कार्यगति भी सरकारी ही होती हैं और शायद यही वजह हैं कि स्कूल कट कर नदी में समा गया लेकिन विभागीय बाबुओं ने अंतिम समय मे पत्र लेखन के सिवा बचाव में कोई हाय - तौबा नहीं मचायी । लिहाजा विगत तीन वर्षों में पाँच स्कुल भवन का नदी में विलीन होना बताता हैं कि सिस्टम संवेदनशून्य हो चुका हैं .....।

नोट - सर , लाइव गंगा में विलीन होते स्कूल बिल्डिंग की खबर 24.08.2019 को school_buliding_in_ganga के नाम से गयी थी , फाइल वीडियो को उपयोग किया जा सकता हैं ।
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