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कटिहार में नवनिर्मित बस स्टैंड बना डंपिंग यार्ड, 3 साल पहले सीएम ने किया था उद्घाटन

सीएम नीतीश कुमार के कर कमलों द्वारा इस बस स्टैंड का उद्घाटन हुआ था. 3 साल बीत जाने का बाद भी यहां से एक भी बस का आवागमन नहीं हो पाया है. हालांकि बस स्टैंड डंपिंग यार्ड में जरूर तब्दील हो गया.

नवनिर्मित बस स्टैंड
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Published : Jul 8, 2019, 7:41 AM IST

कटिहार: कटिहार में करोड़ों की लागत से बस स्टैंड का निर्माण किया गया. जिसका उद्घाटन 24 दिसंबर 2016 खुद सीएम नीतीश कुमार ने किया. नवनिर्मित बस स्टैंड के जरिए लोगों को परिवहन में एक जगह से सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने का मकसद था. लेकिन वर्तमान में यह बस स्टैंड डंपिंग यार्ड बन कर रह गया है.

ईटीवी भारत संवादाता की रिपोर्ट

परेशानी का सबब बना डंपिंग यार्ड
इस बस स्टैंड से शहर को जाम से निजात दिलाने की तरफ देखा जा रहा था. लेकिन यह बस स्टैंड कचड़ों का डंपिंग यार्ड बन गया. डंपिंग यार्ड बनने से स्थानीय लोग भी परेशान हैं. लोगों ने इसके खिलाफ आंदोलन से लेकर सड़क जाम भी किया. लेकिन नतीजा कुछ भी हासिल नहीं हुआ. इसके गंदगी के कारण स्थानीय लोग तरह-तरह की बिमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं.

katihar
स्थानीय निवासी

पुरे शहर का कचरा होता है डंप
यह बस स्टैंड 20 एकड़ में फैला हुआ है. इसके जरिए जिले के 35 लाख आबादी को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने की योजना थी. बस स्टैंड में बना मुसाफिरखाना का भवन भी धूल फांक रहा है. स्थानीय लोग कहते हैं, 'पूरे शहर का कचरा यहीं पर फेंका जाता है'. यह बीमारी को दावत दे रहा है.

katihar
नवनिर्मित बस स्टैंड में कचड़े का अंबार

सदन में भी उठा सवाल परन्तु नहीं निकला हल
स्थानीय लोगों की मानें तो शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर होने के कारण नवनिर्मित बस स्टैंड चालू नहीं हो सका है. शहर की ओर जाने में दो-दो रेल फाटक को क्रॉस करना पड़ता है. जिसके कारण जाम की समस्या बनी रहती है. रेल ओवरब्रिज की मांग भी की गई. लेकिन न तो बस की शुरूआत हो सकी और न ही बसों का परिचालन. जनप्रतिनिधियों ने सदन में सवाल भी उठाया. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

कटिहार: कटिहार में करोड़ों की लागत से बस स्टैंड का निर्माण किया गया. जिसका उद्घाटन 24 दिसंबर 2016 खुद सीएम नीतीश कुमार ने किया. नवनिर्मित बस स्टैंड के जरिए लोगों को परिवहन में एक जगह से सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने का मकसद था. लेकिन वर्तमान में यह बस स्टैंड डंपिंग यार्ड बन कर रह गया है.

ईटीवी भारत संवादाता की रिपोर्ट

परेशानी का सबब बना डंपिंग यार्ड
इस बस स्टैंड से शहर को जाम से निजात दिलाने की तरफ देखा जा रहा था. लेकिन यह बस स्टैंड कचड़ों का डंपिंग यार्ड बन गया. डंपिंग यार्ड बनने से स्थानीय लोग भी परेशान हैं. लोगों ने इसके खिलाफ आंदोलन से लेकर सड़क जाम भी किया. लेकिन नतीजा कुछ भी हासिल नहीं हुआ. इसके गंदगी के कारण स्थानीय लोग तरह-तरह की बिमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं.

katihar
स्थानीय निवासी

पुरे शहर का कचरा होता है डंप
यह बस स्टैंड 20 एकड़ में फैला हुआ है. इसके जरिए जिले के 35 लाख आबादी को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने की योजना थी. बस स्टैंड में बना मुसाफिरखाना का भवन भी धूल फांक रहा है. स्थानीय लोग कहते हैं, 'पूरे शहर का कचरा यहीं पर फेंका जाता है'. यह बीमारी को दावत दे रहा है.

katihar
नवनिर्मित बस स्टैंड में कचड़े का अंबार

सदन में भी उठा सवाल परन्तु नहीं निकला हल
स्थानीय लोगों की मानें तो शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर होने के कारण नवनिर्मित बस स्टैंड चालू नहीं हो सका है. शहर की ओर जाने में दो-दो रेल फाटक को क्रॉस करना पड़ता है. जिसके कारण जाम की समस्या बनी रहती है. रेल ओवरब्रिज की मांग भी की गई. लेकिन न तो बस की शुरूआत हो सकी और न ही बसों का परिचालन. जनप्रतिनिधियों ने सदन में सवाल भी उठाया. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

Intro:कटिहार

कटिहार का बस स्टैंड बना कचडो का डंपिंग यार्ड। सूबे के निजाम ने 3 साल पहले अपने कर कमलों से किया था इसका उद्घाटन अब मजे की बात यह है कि 3 साल में यहां से न तो बसें फर्राटे भरे और नहीं यहां तक कोई बसें पहुंची लिहाजा यह बस स्टैंड डंपिंग यार्ड में तब्दील हो गया। नवनिर्मित बस स्टैंड से बसों का परिचालन ना होंने का कारण शहर के 2-2 रेलवे क्रॉसिंग बताया जाता है।


Body:इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए करोड़ों की लागत से बना यह कटिहार का नवनिर्मित बस स्टैंड है जिसका उद्घाटन 24 दिसंबर 2016 को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के कर कमलों के द्वारा किया गया था मकसद था लोगों को परिवहन में एक जगह से सारी सुविधाएं उपलब्ध हो और शहर में जाम से निजात मिल सके लेकिन यह तस्वीर खुद बयां कर रही है कि यह बस स्टैंड कचडो का डंपिंग यार्ड बन गया है और कचडो का डंपिंग यार्ड बन जाने से स्थानीय लोग काफी परेशान हैं। लोगों की मानें तो उन्होंने इसके लिए आंदोलन तक किए, सड़क भी जाम किए लेकिन नतीजा नसीब में कचरा ही मिला।

20 एकड़ में फैला यह बस स्टैंड कटिहार के 35 लाख आबादी को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने की योजना थी और इसके लिए बकायदा बस स्टैंड में मुसाफिरखाना का भवन भी बना दिए गए थे लेकिन यह भवन भी धूल फांक रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं पूरे शहर का कचरा यहीं पर फेंका जाता है जिससे यह बीमारी को दावत दे रह है।

स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो यह नवनिर्मित बस स्टैंड महज इसलिए नहीं चालू हो सका है क्योंकि इसे शहर से 6 किलोमीटर दूर बनाया गया और बसें रवाना होने के बाद जब शहर की ओर जाती है तब 2-2 रेलवे फाटक से होकर गुजरने पड़ती है जिससे हमेशा जाम की स्थिति बन जाती है। ऐसे में रेल ओवरब्रिज की सख्त जरूरत है जिससे बसें आसानी से निकल सके। हालांकि रेल ओवरब्रिज की मांग को लेकर सभी जनप्रतिनिधियो ने भी सदन में सवाल उठाया बावजूद अभी तक न रेल ओवरब्रिज बनी है और न ही बसों का परिचालन शुरू हुआ है।


Conclusion:योजना है योजनाओं का क्या इमारतें तो बन जाती है लेकिन समस्या लोगों की जस की तस मुंह बाए खड़े रह जाती है। सरकार ने बस स्टैंड का निर्माण तो लोगों की सुविधाओं के लिए किया था लेकिन अब लोग इस बस स्टैंड को लेकर दुविधा में पड़ गए हैं। न गले की हड्डी की तरफ फेंकते बनता है और ना ही निकलते बनता। लिहाजा लोग परेशान हैं, सरकार को कोस रहे हैं बद्दुआएं दे रहे हैं। अब देखना बाकी है इस बद्दुआएं से नीतीश कुमार को कब तक निजात मिल पाती है और बस स्टैंड कब से सुचारू रूप से काम करना शुरू करेगा।
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