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कटिहार: जल जमाव के कारण दोहरी मार झेल रहा किसान, मदद नहीं मिलने से हैं परेशान

कटिहार में नेपाल से आये का 'जल आफत' से किसान परेशान हैं. खेतों में पानी जमा है. फसल डूब चुकी है और अगली फसल लगाने के लिये पैसे नहीं हैं. ऐसे में परेशान किसान सरकार से मदद की आस लगाए बैठा है. लेकिन, जिला प्रशासन सुस्त गति से पानी निकलने का इंतजार कर रहा है.

खेतों में पानी से परेशान किसान
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Published : Jul 24, 2019, 4:24 PM IST

कटिहार: जिले के कदवा इलाके में नेपाल से आये ' जल आफत ' ने सबसे ज्यादा तबाही मचायी है. गांव जलमग्न हो गये थे. पानी में डूबकर कई लोगों की मौत हो गयी थी .दस दिनों बाद जलस्तर कम होने से लोगों के घरों का पानी तो निकल गया लेकिन खेत-खलियानों में जल जमाव अभी भी मौजूद है.

किसान परेशान
खेतों में पानी जमा रहने के कारण धान की फसल डूब कर पौधे गल चुके हैं. किसानों की समस्या यह है कि उन्होंने साहूकारों से कर्ज लेकर खेती की थी. वह फसल तो डूबने से चौपट हो ही गयी और अगली फसल के लिए पैसे नहीं हैं. वहीं, जिला प्रशासन पानी निकलने का इंतजार कर रहा है.

खेतों में पानी से परेशान किसान

नहीं मिली कोई मदद
जिला प्रशासन ने अभी तक सर्वे का काम नहीं किया है. जिससे किसानों को क्षतिपूर्ति के लिये कोई मदद नहीं मिल पाई है. जिला पदाधिकारी पूनम ने कहा कि पानी खेतों से निकल जाये तो सर्वे का काम किया जाएगा. कटिहार दौरे पर आये भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कहा कि पानी निकलने के बाद सर्वे होगा और क्षतिपूर्ति की राशि दी जाएगी. सरकार की ओर से हरसंभव मदद की जाएगी.

कटिहार: जिले के कदवा इलाके में नेपाल से आये ' जल आफत ' ने सबसे ज्यादा तबाही मचायी है. गांव जलमग्न हो गये थे. पानी में डूबकर कई लोगों की मौत हो गयी थी .दस दिनों बाद जलस्तर कम होने से लोगों के घरों का पानी तो निकल गया लेकिन खेत-खलियानों में जल जमाव अभी भी मौजूद है.

किसान परेशान
खेतों में पानी जमा रहने के कारण धान की फसल डूब कर पौधे गल चुके हैं. किसानों की समस्या यह है कि उन्होंने साहूकारों से कर्ज लेकर खेती की थी. वह फसल तो डूबने से चौपट हो ही गयी और अगली फसल के लिए पैसे नहीं हैं. वहीं, जिला प्रशासन पानी निकलने का इंतजार कर रहा है.

खेतों में पानी से परेशान किसान

नहीं मिली कोई मदद
जिला प्रशासन ने अभी तक सर्वे का काम नहीं किया है. जिससे किसानों को क्षतिपूर्ति के लिये कोई मदद नहीं मिल पाई है. जिला पदाधिकारी पूनम ने कहा कि पानी खेतों से निकल जाये तो सर्वे का काम किया जाएगा. कटिहार दौरे पर आये भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कहा कि पानी निकलने के बाद सर्वे होगा और क्षतिपूर्ति की राशि दी जाएगी. सरकार की ओर से हरसंभव मदद की जाएगी.

Intro:........ कटिहार में नेपाल से आये का ' जल आफत ' का पानी दो से तीन फीट घट गया हैं जिससे आबादी वाले इलाके में लोगों की परेशानियाँ कम हुई हैं लेकिन मैदानी इलाकों यानि खेतों में पानी जमा रहने के कारण किसानों की परेशानी कम नहीं हुई हैं । किसानों की परेशानी यह हैं कि जिस किसानों ने साहूकारों से रुपये उधार ले खेती की थी , उसकी वर्तमान फसल तो डूबने से चौपट हो ही गयी हैं और अगली फसल के तो पैसे हैं और ना ही सरकारी मदद उनतक पहुँची हैं । जिला प्रशासन जहाँ पानी घटने की बात कह हाथ पर हाथ धड़े बैठा हैं वहीं परेशान किसानों की समस्या पर सत्तारूढ़ दल भी बेरुखी भरी बातें कह रहा हैं ......।


Body:यह दृश्य कटिहार के कदवा इलाके का हैं जहाँ नेपाल से आये ' जल आफत ' ने सबसे ज्यादा तबाही मचायी हैं । गाँव के गाँव जलमग्न हो गये थे , पानी मे डूबकर कई लोगों की मौत हो गयी थी । दस दिनों बाद पानी का जलस्तर तीन से चार फीट घट गया है जिससे लोगों के घरों का पानी निकल गया हैं लेकिन खेत - खलियानों में पानी का जलजला अभी भी मौजूद हैं । खेतों में पानी जमा रहने के कारण धान की फसल डूब कर पौधे गल चुके हैं । किसानों की समस्या यह हैं कि उन्होंने साहूकारों से कर्ज लेकर खेती की थी , वह डूब ही गया और अगली फसल के लिये पैसे नहीं हैं और ना ही जिला प्रशासन अभी तक सर्वें का काम ही शुरू कर पाया हैं जिससे किसानों को क्षतिपूर्ति के लिये कुछ राशि मदद ही मिलती । कटिहार के जिला पदाधिकारी पूनम बताती हैं कि पानी खेतों से निकल जाये तो सर्वें का काम किया जायेगा वहीं कटिहार दौरे पर आये भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह सर्वें के काम मे विलम्ब पर उल्टे मीडिया से ही सवाल पूछने लगते है । जरा सुनिये , किसानों के हित की माला जपने वाले भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह का बयान......।


Conclusion:किसान परेशान हैं , खेतों में पानी जमा हैं , वर्तमान फसल डूब चुकी हैं और अगली फसल लगाने के लिये पैसे नहीं हैं । जिला प्रशासन सरकारी कामों की तरह सुस्त गति से पानी निकलने का इंतजार कर रहा हैं वहीं सत्तारूढ़ दल भी जबाब देने के बजाय सवाल पूछकर मामले पर पर्दा डालने पर लगा हैं । ऐसे में उस सरकारी क्षतिपूर्ति का क्या होगा जब ' का वर्षा जब कृषि सुखानी ' वाले मुहावरे की तरह दो - चार महीने बाद कुछ हजार रुपये किसानों को थमा सरकारे अपनी मानवतावादी होने का पीठें थपथपायेगी .....। बेहतर तो यह होता कि फसल क्षतिपूर्ति का सर्वें का काम अभी शुरू कर दिया गया होता तो किसानों को मदद का फलसफा भी नजर आता .......।
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