कटिहार: किसानों का रुझान अब पारंपरिक खेती से हटकर कैश क्रॉप्स की खेती की ओर बढ़ रहा है. कटिहार जिले के किसान पपीता की खेती कर लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. मौजूदा समय में किसान उन्नत फसलों की खेती करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं. जिसमें पपीता की खेती भी शामिल है. यह एक ऐसी फसल है. जिसकी मांग गर्मियों के दिनों में बढ़ जाती है. इसका उपयोग फल और सब्जी दोनों के रूप में किया जाता है. आज कई किसान पपीता की खेती करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं. भारत के कई राज्यों में किसान पपीता की खेती करते हैं. इसमें बिहार के कटिहार जिले का नाम भी शामिल है.
पपीते की खेती से 5 गुना हो रहा है फायदा
वैसे तो कटिहार जिला मक्का और केला की खेती के लिए जाना जाता है. लेकिन बाढ़ के कारण यहां पर किसान तबाह रहते हैं और उन्हें काफी नुकसान पहुंचता है. जिस कारण अब जिले के किसानों का रुझान परंपरागत खेती से हटकर कैश क्रॉप्स की खेती की ओर बढ़ रहा है. पपीते की खेती कर किसानों को 5 गुना ज्यादा मुनाफा हो रहा है. पपीता की खेती करने वाले किसानों के लिए खास बात यह है कि उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता और स्थानीय बाजारों में इसकी बिक्री हो जाती है.
लोकल मार्केट में पपीता की बढ़ी मांग
कटिहार जिले के कोढा प्रखंड क्षेत्र के दिघरी विनोदपुर गांव के रहने वाले शेख हिफाजुदिन ने पिछले साल 1 एकड़ में पपीता के दो प्रजाति के करीब 1500 पौधे लगाए. अभी 1 साल के अंदर करीब 4 से 5 लाख रुपये की आमदनी हो चुकी है. शेख हिफाजुदिन कहते हैं कि परंपरागत खेती में ज्यादा नुकसान होता है. लेकिन पपीता की खेती में नुकसान कम है और मार्केट में 20 रुपये प्रति किलो पपीता की बिक्री हो जाती है. गर्मी से समय में पपीता की मांग बढ़ जाती है.
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पपीता की खेती से किसान खुश
किसान शेख हिफाजुदीन बताते हैं कि कटिहार के लोकल मार्केट में 15 से 20 रुपये प्रति किलो पपीता बिक जाता है. उनका मानना है कि पहले खेत में धान और मक्का की फसल लगाते थे. उसने अब पपीता की खेती कर रहे हैं और इसमें उन्हें किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है. जिले के किसानों को ट्रेडिशनल खेती को बढ़ावा देने के लिए जिला उद्यान विभाग भी हर संभव मदद देने की बात कह रहे हैं.
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क्या कहते हैं उद्यान पदाधिकारी अमित कुमार पांडे?
कोढ़ा प्रखंड के उद्यान पदाधिकारी अमित कुमार पांडे ने बताया कि खुद से पौधा तैयार कर पपीता की खेती कई लोगों ने की है. लेकिन इस बार उद्यान विभाग की ओर से उन्हें एक हेक्टेयर में पपीता की खेती को बढ़ावा देने के लिए 2500 पौधे दिए जा रहे हैं. साथ ही उनके खेत में उद्यान विभाग के द्वारा 90% अनुदान पर ड्रिप सिंचाई भी लगाई जा रही है. परंपरागत खेती करने वाले किसान कम पूंजी में अच्छा मुनाफा कमाना चाहें तो पपीता की खेती उनके लिए सबसे बेहतर है. इसकी खेती के बिना ज्यादा जमीन की जरूरत है और ना ही अधिक पूंजी की, लेकिन मुनाफा इसमें अच्छा खासा है. सबसे बड़ी बात है कि खेती किसी भी इलाके में की जा सकती है. उसके लिए बाजार में आसानी से उपलब्ध है. गांव में रहने वाले युवाओं के लिए रोजगार का यह एक बेहतरीन साधन बन सकता है और लोग आत्मनिर्भर बन सकते हैं.