कटिहार: मॉनसून ने प्रदेश में दस्तक दे दी है. बावजूद इसके औसत से भी कम बारिश होने से किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं. शनिवार को आद्रा नक्षत्र समाप्त हो गया है. ऐसे में रोपनी का समय गुजरता जा रहा है और जिले में सूखाड़ का संकट मंडराने लगा है. किसान डीजल और मोटर पंप के सहारे अपने खेतों का पटवन कर धान की रोपनी करने को विवश हैं.
राज्य के सभी जिलों में छिटपुट बारिश हो रही है. लेकिन, इस छिटपुट बारिश से किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है. दरअसल, इस छिटपुट बारिश से ना तो किसानों के खेत गीले हो रहे हैं और ना ही इससे धान की रोपनी हो रही है. ऐसे में किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर साफ दिखाई देने लगी हैं.
किसानों के पॉकेट पर पड़ रहा असर
जुलाई का महीना चल रहा है. आद्रा नक्षत्र भी समाप्त हो गया. धान की रोपनी का वक्त भी धीरे-धीरे गुजरने लगा है. कटिहार के किसानों ने डीजल और मोटर पंप के सहारे धान की रोपनी शुरू कर दी है. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. यह काफी खर्चीला साबित हो रहा है. कटिहार के किसान बताते हैं कि बारिश कम होने की वजह से धान के बिचड़े सूखने लगे थे. आखिरकार किसानों ने 70 रुपये के डीजल और 100 रुपये प्रति घंटा भाड़ा देकर मोटर पंप के सहारे खेतों की पटवन कर धान की रोपाई शुरू कर दी.
कृषि पदाधिकारी ने दी जानकारी
इस मामले पर कृषि पदाधिकारी बताते है कि जिले में अभी तक सिर्फ 127 MM ही बारिश हो पाई है, जो अनुमान से 48% कम है. जिससे किसानों को धान की रोपाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि अगर बारिश नहीं हुई तो किसान अपने डीजल और मोटर पंप के जरिए धान की रोपनी शुरू कर सकते हैं. सरकार ने किसानों के लिए अनुदान और कम दर पर बिजली की व्यवस्था की है.