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औसत से कम बारिश होने से मुरझाए किसानों के चेहरे, पटवन के बाद कर रहे धान की रोपनी

कटिहार के किसानों ने डीजल और मोटर पंप के सहारे धान की रोपनी शुरू कर दी है. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. यह काफी खर्चीला साबित हो रहा है.

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Published : Jul 8, 2019, 8:51 PM IST

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कटिहार: मॉनसून ने प्रदेश में दस्तक दे दी है. बावजूद इसके औसत से भी कम बारिश होने से किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं. शनिवार को आद्रा नक्षत्र समाप्त हो गया है. ऐसे में रोपनी का समय गुजरता जा रहा है और जिले में सूखाड़ का संकट मंडराने लगा है. किसान डीजल और मोटर पंप के सहारे अपने खेतों का पटवन कर धान की रोपनी करने को विवश हैं.

राज्य के सभी जिलों में छिटपुट बारिश हो रही है. लेकिन, इस छिटपुट बारिश से किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है. दरअसल, इस छिटपुट बारिश से ना तो किसानों के खेत गीले हो रहे हैं और ना ही इससे धान की रोपनी हो रही है. ऐसे में किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर साफ दिखाई देने लगी हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

किसानों के पॉकेट पर पड़ रहा असर
जुलाई का महीना चल रहा है. आद्रा नक्षत्र भी समाप्त हो गया. धान की रोपनी का वक्त भी धीरे-धीरे गुजरने लगा है. कटिहार के किसानों ने डीजल और मोटर पंप के सहारे धान की रोपनी शुरू कर दी है. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. यह काफी खर्चीला साबित हो रहा है. कटिहार के किसान बताते हैं कि बारिश कम होने की वजह से धान के बिचड़े सूखने लगे थे. आखिरकार किसानों ने 70 रुपये के डीजल और 100 रुपये प्रति घंटा भाड़ा देकर मोटर पंप के सहारे खेतों की पटवन कर धान की रोपाई शुरू कर दी.

कृषि पदाधिकारी ने दी जानकारी
इस मामले पर कृषि पदाधिकारी बताते है कि जिले में अभी तक सिर्फ 127 MM ही बारिश हो पाई है, जो अनुमान से 48% कम है. जिससे किसानों को धान की रोपाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि अगर बारिश नहीं हुई तो किसान अपने डीजल और मोटर पंप के जरिए धान की रोपनी शुरू कर सकते हैं. सरकार ने किसानों के लिए अनुदान और कम दर पर बिजली की व्यवस्था की है.

कटिहार: मॉनसून ने प्रदेश में दस्तक दे दी है. बावजूद इसके औसत से भी कम बारिश होने से किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं. शनिवार को आद्रा नक्षत्र समाप्त हो गया है. ऐसे में रोपनी का समय गुजरता जा रहा है और जिले में सूखाड़ का संकट मंडराने लगा है. किसान डीजल और मोटर पंप के सहारे अपने खेतों का पटवन कर धान की रोपनी करने को विवश हैं.

राज्य के सभी जिलों में छिटपुट बारिश हो रही है. लेकिन, इस छिटपुट बारिश से किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है. दरअसल, इस छिटपुट बारिश से ना तो किसानों के खेत गीले हो रहे हैं और ना ही इससे धान की रोपनी हो रही है. ऐसे में किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर साफ दिखाई देने लगी हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

किसानों के पॉकेट पर पड़ रहा असर
जुलाई का महीना चल रहा है. आद्रा नक्षत्र भी समाप्त हो गया. धान की रोपनी का वक्त भी धीरे-धीरे गुजरने लगा है. कटिहार के किसानों ने डीजल और मोटर पंप के सहारे धान की रोपनी शुरू कर दी है. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. यह काफी खर्चीला साबित हो रहा है. कटिहार के किसान बताते हैं कि बारिश कम होने की वजह से धान के बिचड़े सूखने लगे थे. आखिरकार किसानों ने 70 रुपये के डीजल और 100 रुपये प्रति घंटा भाड़ा देकर मोटर पंप के सहारे खेतों की पटवन कर धान की रोपाई शुरू कर दी.

कृषि पदाधिकारी ने दी जानकारी
इस मामले पर कृषि पदाधिकारी बताते है कि जिले में अभी तक सिर्फ 127 MM ही बारिश हो पाई है, जो अनुमान से 48% कम है. जिससे किसानों को धान की रोपाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि अगर बारिश नहीं हुई तो किसान अपने डीजल और मोटर पंप के जरिए धान की रोपनी शुरू कर सकते हैं. सरकार ने किसानों के लिए अनुदान और कम दर पर बिजली की व्यवस्था की है.

Intro:कटिहार

15 दिन पहले सूबे में मानसून के दस्तक देने के बावजूद औसत से भी कम बारिश से किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं। शनिवार को आद्रा नक्षत्र समाप्त हो गया है। रोपनी का समय गुजरता जा रहा है साथ हीं जिले में अभी तक सामान्य से भी कम बारिश होने के कारण सूखा का संकट गहराने लगा है। किसान डीजल और मोटर पंप के सहारे अपने खेतों की पटवन कर धान की रोपनी कर रहे हैं।


Body:बिहार में मानसून ने दस्तक दे दिया है और राज्य के सभी जिलों में छिटपुट बारिश भी हो रही है लेकिन इस छिटपुट बारिश के कारण किसानों के चेहरे मुरझाए हुए दिख रहे हैं। दरअसल इस छिटपुट बारिश से ना तो किसानों के खेत गीले हो रहे हैं और ना ही इससे धान की रोपनी हो सकती है ऐसे में किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर साफ दिखाई देने लगी है।

जुलाई का महीना चल रहा है आद्रा नक्षत्र भी समाप्त हो गया, धान की रोपनी का वक्त भी धीरे-धीरे गुजरने लगा है ऐसे में कम बारिश ने किसानों की चिंता को बढ़ा दी है। कटिहार में धान की रोपनी शुरू हो गई है लेकिन बारिश कम होने के कारण किसान डीजल और मोटर पंप के सहारे अपने खेतों की पटवन कर धान की रोपनी कर रहे हैं।

धान रोपनी का वक्त धीरे-धीरे गुजरने के साथ हीं किसानों ने मानसून का भरोसा छोड़ कर डीजल और मोटर पंप के जरिए अपने खेतों की पटवन कर धान की रोपनी कर रहे हैं जिससे इनके पैकेट लगातार ढीला होता जा रहा है। कटिहार के किसान बताते हैं बारिश कम होने की वजह से धान के बिचड़े सूखने लगे थे ऐसे में डीजल और मोटर पंप के सहारे खेतों की पटवन कर धान की रोपाई शुरू की। डीजल और मोटर पंप के सहारे धान की रोपाई करना किसानों को महंगा पड़ रहा है ₹70 प्रति लीटर डीजल तेल खरीद कर तथा ₹100 प्रति घंटा मोटर भाड़ा देकर खेतों की पटवन कर रहे हैं। ऐसे में अगर बारिश नहीं हुई तो पूरी तरह से कमजोर पड़ जाएंगे।


Conclusion:कटिहार के कृषि पदाधिकारी बताते हैं जिले में अभी तक सिर्फ 127 MM ही बारिश हो पाई है जो अनुमान से भी 48% कम है जिससे किसानों को धान की रोपाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं ताकि खेतों में गिराए गए धान के बिचड़े को रोपा जा सके। कृषि पदाधिकारी ने बताया अगर बारिश नहीं हुई तो किसान अपने डीजल और मोटर पंप के जरिए धान की रोपनी शुरू कर सकते हैं। सरकार के द्वारा ऐसे किसानों के लिए अनुदान तथा कम दर पर बिजली की भी व्यवस्था की है।

मानसून के दस्तक देने के बावजूद राज्य में कम बारिश से किसानों के कलेजे जलने लगे हैं। सूबे में एक दर्जन जिले तो ऐसे हैं जहां 30% से भी कम बारिश हुई है लिहाजा जहां किसान बीज डाल दिए हैं वहां बिचड़े को बचाना कठिन हो रहा है। कई जिलों में दोबारा डाले गए बिचड़े भी सूख गए। यह देख किसानों की चिंता की लकीरें और गहरी होती जा रही है। किसानों की मानें तो सूबे में सुखा का संकट गहराने वाला है। और अगर जल्द ही बारिश नहीं हुई तो किसानों के जेबे भी पूरी तरह से ढीला हो जाएगी जिससे उनका घर भी चलाना मुश्किल हो जाएगा।

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